Skip to main content

राजस्थान सरकार ने की विभिन्न पदों पर नियुक्तियां

पिछले कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक नियुक्तियों के क्रम में सरकार ने निम्नांकित मुख्य पदों पर नियुक्तियां की हैं-

1. राजस्थान हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष-
कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष परसराम मोरदिया (नियुक्ति तीन साल के लिए तथा कैबिनेट मंत्री का दर्जा)

2. राजस्थान खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष-
कांग्रेस नेता अनिल पारीक (नियुक्ति तीन साल के लिए तथा राज्य मंत्री का दर्जा)

3. राजस्थान जन अभाव अभियोग निराकरण समिति का अध्यक्ष-
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव तथा वर्तमान में एआईसीसी सदस्य मुमताज मसीह (नियुक्ति तीन साल के लिए तथा राज्य मंत्री का दर्जा)

4. किसान आयोग का अध्यक्ष-
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह ( कार्यकाल दो वर्ष के लिए और कैबिनेट मंत्री का दर्जा )

5. राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष-
पूर्व विधायक माहिर आजाद ( कार्यकाल तीन वर्ष के लिए और राज्य मंत्री का दर्जा )

6. राजस्थान मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष-
कोटा के मौलाना फजले हक ( कार्यकाल तीन वर्ष के लिए और राज्य मंत्री का दर्जा )

7. राजस्थान डांग क्षेत्रीय विकास मंडल का अध्यक्ष-
पूर्व आईएएस सत्यनारायण सिंह (कार्यकाल तीन वर्ष के लिए और राज्य मंत्री का दर्जा)

8. बीस सूत्रीय कार्यक्रम के आयोजन क्रियान्वयन एवं समन्वय के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति का उपाध्यक्ष-
डॉ. करण सिंह यादव (कार्यकाल तीन साल के लिए और दर्जा कैबिनेट मंत्री का)

9. समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष-
महिला कांग्रेस की प्रदेश श्रीमती विजय लक्ष्मी विश्नोई को (कार्यकाल तीन साल के लिए और दर्जा राज्य मंत्री का)

विभिन्न अकादमियों के अध्यक्ष-

1. राजस्थान साहित्य अकादमी- श्री वेद व्यास

2. राजस्थान उर्दू अकादमी- श्री हबीबुर्रहमान नियाजी

3. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी- श्याम महर्षि

4. राजस्थान संस्कृत अकादमी- डॉ. सुषमा सिंघवी

5. राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी- श्री सुरेंद्र उपाध्याय

6. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर- श्री अर्जुन देव चारण

7. राजस्थान सिंधी भाषा अकादमी- श्री नरेश कुमार चंदनानी
(इन सभी का कार्यकाल तीन वर्ष होगा)

8. राजस्थान ललित कला अकादमी- श्री भवानी शंकर शर्मा (इनका कार्यकाल दो साल होगा)

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली