Skip to main content

पूर्व मंत्री खेतसिंह राठौड़ का निधन

लंबी अस्वस्थता के बाद राज्य के पूर्व केबिनेट मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी खेतसिंह राठौड़ का दिनांक 15 नवंबर को सुबह एमडीएम अस्पताल में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। इसी दिन शाम को राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। वे सुखाडिया सरकार में उपमंत्री, हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर और पिछली अशोक गहलोत सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे थे। खेत सिंह राठौड़ की पार्थिव देह को उनके भतीजे किशोरसिंह ने मुखाग्नि दी। खेतसिंह के परिवार में पत्नी रामकंवर के अलावा बेटी उषाकंवर व दामाद परमवीर मेजर शैतानसिंह के पुत्र नरपत सिंह भाटी हैं। राठौड़ सांस में तकलीफ के बाद 8 नवम्बर से एमडीएम की सीसीयू में भर्ती थे। वे दो दिन से वेंटिलेटर पर थे और पेरिटोनियल डायलेसिस चल रही थी। सिंह के निधन की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व मंत्रीपरिषद के राजेंद्र पारीक, दुर्रू मियां, भरतसिंह, शांति धारीवाल सहित कई राजनेता जोधपुर पहुंचे। सभी ने उनके पावटा स्थित निवास पर अंतिम दर्शन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। उनकी अंतिम यात्रा में गहलोत सहित कई राजनेता, पुलिस व प्रशासन के अधिकारी शामिल हुए। जयपुर में मंत्रिपरिषद की बैठक में राठौड़ के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया।
राठौड़ का राजनीतिक सफर:-
वर्ष 1952 में 28 वर्ष की आयु में देश के प्रथम आम चुनाव में (जोधपुर के हनवंतसिंह की निर्दलीय पार्टी से) शेरगढ़ क्षेत्र के निर्दलीय विधायक चुने गए। खेतसिंह ने 91.55 प्रतिशत मत प्राप्त किए और प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। 1954 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के प्रयासों से राठौड़ कांग्रेस में शामिल हुए और वर्ष 1952, 1967, 1972, 1977, 1980, 1993 व 1998 में विधायक चुने गए। 1957 में शेरगढ़ क्षेत्र हट जाने से उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 1962 व 1990 तथा 2003 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। वर्ष 1985 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था।
पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया की प्रथम सरकार में वे 8 फरवरी 1956 को सिंचाई, वन एवं सहकारिता उपमंत्री बने तथा 5 सितम्बर 1967 को सुखाडिया के चौथे कार्यकाल में गृह, जेल एवं विद्युत उपमंत्री बनाया था। बाद में 22 जून 1968 को योजना, विद्युत, जेल एवं पूर्व सैनिक कल्याण एवं स्वायत्त शासन उपमंत्री बने। मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के मंत्रिमंडल में 12 नवम्बर 1973 को उन्हें शिक्षा, भाषाई अल्पसंख्यक, विधि एवं न्याय तथा संसदीय मामलात का केबिनेट मंत्री बनाया गया। 1976 में वे फिर जोशी मंत्रिमंडल में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भूजल, विधि, न्याय एवं संसदीय मामले, निर्वाचन आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग का केबिनेट मंत्री बने। शिवचरण माथुर ने 15 अक्टूबर 1982 को उन्हें चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा 1998 में अशोक गहलोत ने विधि एवं न्याय, संसदीय मामले व निर्वाचन विभाग का केबिनेट मंत्री बनाया। 1 मार्च 2000 से 13 मई 2002 तक सहकारिता विभाग भी उनके पास ही रहा। 13 अप्रेल 1972 में मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खां सरकार में विधानसभा में सरकारी मुख्य सचेतक तथा हरिदेव जोशी सरकार में शिक्षा मंत्री के साथ सरकारी मुख्य सचेतक रहे। वे 1980 में जगन्नाथ पहाड़िया सरकार में तथा वर्ष 1982 में शिवचरण माथुर सरकार के समय केबिनेट मंत्री के साथ सरकारी मुख्य सचेतक रहे।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

Scheduled Areas of State of Rajasthan - राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण

राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (जनगणना 2011 के अनुसार)-   अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणना अनुसार इस अनुसूचित क्षेत्र की जनसंख्या 64.63 लाख है, जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.51 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है। सहरिया आदिम जाति क्षेत्र- राज्य की एक मात्र आदिम जाति सहरिया है जो बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित किया जाकर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 37.44 प्रतिशत है।  अनुसूचित क्षेत्र में राजकीय सेवाओं में आरक्षण सम्बन्धित प्रावधान-  कार्मिक (क-...