अलवर जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग व नगर विकास न्यास के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार 25 नवंबर को प्रातः इंदिरा गांधी स्टेडियम में दो दिवसीय मत्स्य उत्सव का विधिवत शुभारंभ किया गया। मत्स्य उत्सव के शुभारंभ अवसर पर जिला कलक्टर आशुतोष एटी पेडणेकर, जिला प्रमुख साफिया खान, अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम नारायण सिंह, एसडीएम द्वितीय श्रवण कुमान बुनकर, एसीएम नीलिमा तक्षक, एसडीएम प्रतीभा पारीक एवं कांग्रेस नेता नरेंद्र शर्मा मौजूद थे। मत्स्य उत्सव के शुभारंभ के बाद जिला कलक्टर, जिला प्रमुख व कांग्रेस नेता नरेंद्र शर्मा बैलून में उड़े। इसके बाद अलवर दर्शन कार्यक्रम में पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों सिलीसेढ़, हाजीपुर ढढ़ीकर फोर्ट, विजय मंदिर सहित अन्य स्थानीय पर्यटक स्थलों का भ्रमण कराया गया। इस अवसर पर नवीन स्कूल में चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई।
इसी दिन कलक्टर कार्यालय में अलवर ट्यूरिम डाट कॉम वेबसाइट जारी की गई। उत्सव के दौरान पुराना सूचना केंद्र से मूसी महारानी की छतरी तक हैरिटेज वॉक एवं शोभायात्रा का आयोजन भी किया गया। शोभायात्रा में अजमेर से आए कच्छी घोड़ी नृत्य के कलाकारों ने केसरिया बालम आओ नी, होलिया में उडे रे गुलाल, जैसे गीतों से समां बांधा। विराटनगर के बाबलू गांव निवासी बहरूपिया कलाकारों ने शिव, कृष्ण आदि का रूप धर कर इस कला के रंगों को साकार किया जबकि विनोद नाथ सपेरा एंड पार्टी में शामिल बाल नृत्यांगनाओं ने भी काल्यो कूद पड्यो मेला में, जैसे प्रसिद्ध गीतों तथा अन्य कालबेलिया गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। शोभायात्रा की समाप्ति जगन्नाथ मंदिर पर हुई। इसके बाद महिलाओं ने सागर जलाशय में दीपदान किया।
कार्यक्रम के अंतर्गत सिटी पैलेस के महल चौक में दो दिवसीय "धरोहर प्रदर्शनी" प्रारंभ की गई।
इस प्रदर्शनी में आम जनता के लिए आजादी से पूर्व के अस्त्र-शस्त्रों को प्रदर्शित किया गया। यह प्रदर्शनी प्रथम बार आयोजित की गई है।
इसी दिन मत्स्य उत्सव के दौरान कंपनी बाग में कलाकारों द्वारा राजस्थान के श्रेष्ठ लोक नृत्य एवं लोक संगीत की प्रस्तुति दी गई। इसमें तेरह ताली नृत्य में लोक कलाकार गंगा देवी के नृत्य ने लोगों को एकटक देखते रहने पर विवश कर दिया। तो उनके बाद भवाई नृत्य में लोक कलाकार ममता और उनके साथियों ने खनकती राजस्थानी संस्कृति के दर्शन करवाए। मेवात के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार उमर फारूख के भंपग वादन ने सभी का मन मोह लिया। कंपनी बाग में ही हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस उत्सव के दौरान इंदिरा गांधी स्टेडियम में हाट एयर बैलूनिंग, पेरासेलिंग, जोरबेलिंग बॉल, सैन्य प्रदर्शनी, रूमाल झपट्टा, रस्सा-कस्सी, तीरंदाजी के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मत्स्य उत्सव कार्यक्रम में 26 नवंबर को मूसी महारानी की छतरी से बाला किला तक ट्रेकिंग, वन विभाग चौकी से बाला किला रोड पर साइकिल दौड़, चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम, महलचौक में शाम को श्रीराम भारतीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका का आयोजन किया गया। 26 नवंबर को ही रात्रि में मोती डूंगरी पर आतिशबाजी का आयोजन किया गया जबकि भिवाड़ी स्थित सेंट्रल पार्क में रात्रि 9 बजे सांस्कृतिक संध्या राजस्थानी लोक नृत्य एवं लोक संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें लोक नृत्यों की एक के बाद एक मनमोहक प्रस्तुति पर दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम में चरी नृत्य, भपंग वादन, खारी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, भवई, मयूर नृत्य लोगों को अत्यधिक पसंद आए।
इसी दिन कलक्टर कार्यालय में अलवर ट्यूरिम डाट कॉम वेबसाइट जारी की गई। उत्सव के दौरान पुराना सूचना केंद्र से मूसी महारानी की छतरी तक हैरिटेज वॉक एवं शोभायात्रा का आयोजन भी किया गया। शोभायात्रा में अजमेर से आए कच्छी घोड़ी नृत्य के कलाकारों ने केसरिया बालम आओ नी, होलिया में उडे रे गुलाल, जैसे गीतों से समां बांधा। विराटनगर के बाबलू गांव निवासी बहरूपिया कलाकारों ने शिव, कृष्ण आदि का रूप धर कर इस कला के रंगों को साकार किया जबकि विनोद नाथ सपेरा एंड पार्टी में शामिल बाल नृत्यांगनाओं ने भी काल्यो कूद पड्यो मेला में, जैसे प्रसिद्ध गीतों तथा अन्य कालबेलिया गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। शोभायात्रा की समाप्ति जगन्नाथ मंदिर पर हुई। इसके बाद महिलाओं ने सागर जलाशय में दीपदान किया।
कार्यक्रम के अंतर्गत सिटी पैलेस के महल चौक में दो दिवसीय "धरोहर प्रदर्शनी" प्रारंभ की गई।
इस प्रदर्शनी में आम जनता के लिए आजादी से पूर्व के अस्त्र-शस्त्रों को प्रदर्शित किया गया। यह प्रदर्शनी प्रथम बार आयोजित की गई है।
इसी दिन मत्स्य उत्सव के दौरान कंपनी बाग में कलाकारों द्वारा राजस्थान के श्रेष्ठ लोक नृत्य एवं लोक संगीत की प्रस्तुति दी गई। इसमें तेरह ताली नृत्य में लोक कलाकार गंगा देवी के नृत्य ने लोगों को एकटक देखते रहने पर विवश कर दिया। तो उनके बाद भवाई नृत्य में लोक कलाकार ममता और उनके साथियों ने खनकती राजस्थानी संस्कृति के दर्शन करवाए। मेवात के अंतर्राष्ट्रीय कलाकार उमर फारूख के भंपग वादन ने सभी का मन मोह लिया। कंपनी बाग में ही हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस उत्सव के दौरान इंदिरा गांधी स्टेडियम में हाट एयर बैलूनिंग, पेरासेलिंग, जोरबेलिंग बॉल, सैन्य प्रदर्शनी, रूमाल झपट्टा, रस्सा-कस्सी, तीरंदाजी के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मत्स्य उत्सव कार्यक्रम में 26 नवंबर को मूसी महारानी की छतरी से बाला किला तक ट्रेकिंग, वन विभाग चौकी से बाला किला रोड पर साइकिल दौड़, चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम, महलचौक में शाम को श्रीराम भारतीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका का आयोजन किया गया। 26 नवंबर को ही रात्रि में मोती डूंगरी पर आतिशबाजी का आयोजन किया गया जबकि भिवाड़ी स्थित सेंट्रल पार्क में रात्रि 9 बजे सांस्कृतिक संध्या राजस्थानी लोक नृत्य एवं लोक संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें लोक नृत्यों की एक के बाद एक मनमोहक प्रस्तुति पर दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम में चरी नृत्य, भपंग वादन, खारी नृत्य, कालबेलिया नृत्य, भवई, मयूर नृत्य लोगों को अत्यधिक पसंद आए।
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