Skip to main content

खेल समसामयिक घटनाचक्र

रणजी में दोहरा शतक लगा कर एलीट क्लब में आए राजस्थान के अशोक मेनारिया

उदयपुर के 21 वर्षीय अशोक मेनारिया रेलवे के खिलाफ अपनी दोहरे शतक की पारी की बदौलत एलीट क्लब में सम्मिलित हो गए हैं। उनका नाम अब राजस्थान की ओर से रणजी में दोहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाजों में शुमार हो गया है। कॅरिअर का 12वां प्रथम श्रेणी मैच खेल रहे अशोक मेनारिया ने 408 गेंदों की पारी में 21 चौके व तीन छक्के लगाए। गत विजेता राजस्थान ने मेनारिया के इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत मैच की पहली पारी में रनों की बरसात करते हुए रेलवे की टीम पर दबाव बना दिया तथा इस रणजी मैच के 8/521 रन के स्कोर पर पारी घोषित की। टीम को इस स्कोर तक पहुंचाने में युवा बल्लेबाजों अशोक मेनारिया और रॉबिन बिष्ट की मुख्य भूमिका रही। मेनारिया ने जहां 230 रन की उत्कृष्ट पारी खेली, जबकि बिष्ट ने 167 रन बनाए। मैच के दूसरे दिन खेल समाप्ति तक रेलवे ने एक विकेट खोकर 32 रन बनाए।

एशियन टेबल सॉकर चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम के कोच बने राजस्थान के राजेंद्र सिंह

कुआलालंपुर में 23 से 28 नवंबर तक होने वाली एशियन टेबल सॉकर चैंपियनशिप के लिए राजस्थान के राजेंद्र सिंह करीरी को भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया है। चैंपियनशिप के लिए 15 सदस्यीय भारतीय टीम का चयन कर लिया गया है।
राजेंद्र हाल ही थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल टेबल सॉकर चैंपियनशिप में भी भारतीय टीम के कोच थे। उसमें भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। राजेंद्र पिछले दो साल से अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में रैफरी की भूमिका भी निभा रहे हैं।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली