यह संस्थान जिसे "आईजीपीआर एंड जीवीएस" के संक्षिप्त नाम से जाना जाता है, जयपुर में जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर स्थित है।
• इस संस्थान का उद्भव
मार्च, 1984 में राजस्थान सरकार के केबिनेट प्रस्ताव द्वारा स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में हुआ।
• यह पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र मे मानव संसाधन विकास हेतु राज्य के सर्वोच्च संस्थान के रूप मे कार्यरत है।
• इसे मार्च, 1989 मेँ राजस्थान सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1958 के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया।
• जुलाई, 1999 में राज्य सरकार के केबिनेट निर्णय द्वारा "राज्य ग्रामीण विकास संस्थान" (एस.आई.आर.डी.) का इस संस्थान मे विलय किया जिसका विस्तृत विवरण आगे के पोस्ट में दिया गया है।
संस्थान का लक्ष्य-
इस संस्थान का लक्ष्य सतत विकास हेतु क्षमता विकास (प्रशिक्षण) के माध्यम से ग्रामीण समाज में आमूलचूल परिवर्तन करना है।
संस्थान के मुख्य उद्देश्य-
• पंचायती राज संस्थाओं तथा ग्रामीण विकास के चुने गए प्रतिनिधियों, अधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के साथ कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रशिक्षित करना।
• पंचायती राज तथा ग्रामीण विकास संबंधी शोध एवं अध्ययन करना।
• सेमिनार, कार्यशालाओं तथा कॉन्फ्रेन्स आदि के माध्यम से पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास की दिशा में रचनात्मक सोच को बढावा देना।
• पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के संबंध में ज्ञान संसाधन केन्द्र के रूप में सूचनाऐं एकत्रित करना तथा प्रदान करना।
• पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास पर प्रशिक्षण मॉड्यूल, संदर्भ-सामग्री, पुस्तकें एवं लेख तैयार करना एवं प्रकाशित करना।
• भारत तथा विदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थानीय शासन संबंधी सूचनाएँ एकत्रित करना तथा अपडेट करना।
• पंचायती राज, ग्रामीण विकास तथा स्थानीय शासन के संबंध में एक विशिष्ट पुस्तकालय विकसित करना।
• पंचायती राज की कार्यप्रणाली तथा ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना।
• इन्ही उद्देश्यों से कार्य कर रहे तथा समान विचारधारा वाले अन्य भारतीय व विदेशी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करना।
संस्थान की सामान्य परिषद में निम्नांकित सदस्य है-
1. अध्यक्ष-
राजस्थान के मुख्यमंत्री
2. उपाध्यक्ष-
राजस्थान के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री या राज्य मंत्री
3. राजस्थान के एक सांसद एवं दो विधायक- सदस्य
4. पंचायती राज संस्थाओं के आठ प्रतिनिधि दो प्रमुख, दो प्रधान, दो सरपंच एवं दो पंच- सदस्य
5. राजस्थान में ग्रामीण विकास/पुनर्निर्माण एवं संबंधित क्षेत्रों मे कार्यरत अशासकीय संस्थाओं या स्वैच्छिक संस्थाओं से दो व्यक्ति- सदस्य
6. पांच ख्याति प्राप्त व्यक्ति (जिन्होंने पंचायती राज ग्रामीण विकास/ पुनर्निर्माण तथा सम्बद्ध क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया हो।) - सदस्य
7. राजस्थान पंचायत परिषद्, राजस्थान सहकारी संघ तथा राजस्थान कृषक समाज से एक-एक व्यक्ति- सदस्य
8. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर तथा कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति- सदस्य
9. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग का एक प्रतिनिधि- सदस्य
10. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, राजेन्द्र नगर, हैदराबाद का एक प्रतिनिधि- सदस्य
11. विकास आयुक्त एवं शासन सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, राजस्थान सरकार, जयपुर- सदस्य
12. राजस्थान सरकार के कृषि,सहकारिता, पशुपालन, जनजाति विकास, विशिष्ट योजनाएँ, 20-सूत्री कार्यक्रम वन, शिक्षा एवं समाज कल्याण, ऊर्जा एवं गैर पारम्परिक ऊर्जा के प्रभारी शासन सचिव, विशिष्ट शासन सचिव एवं निदेशक, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज- सदस्य
13. संस्थान के संकाय के दो सदस्य- (निदेशक द्वारा निर्धारित क्रम द्वारा) प्रत्येक सदस्य एक वर्ष के लिये पद धारण करेगा
14. हरीशचंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक- सदस्य
15. संस्थान के निदेशक- सदस्य
उपर्युक्त क्रम संख्या 3,4,5 एवं 6 के सदस्य अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए जाते हैं तथा क्रम संख्या 7,9 एवं 10 के सदस्य सम्बन्धित संगठन द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
• इस संस्थान का उद्भव
मार्च, 1984 में राजस्थान सरकार के केबिनेट प्रस्ताव द्वारा स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में हुआ।
• यह पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र मे मानव संसाधन विकास हेतु राज्य के सर्वोच्च संस्थान के रूप मे कार्यरत है।
• इसे मार्च, 1989 मेँ राजस्थान सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1958 के तहत सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया।
• जुलाई, 1999 में राज्य सरकार के केबिनेट निर्णय द्वारा "राज्य ग्रामीण विकास संस्थान" (एस.आई.आर.डी.) का इस संस्थान मे विलय किया जिसका विस्तृत विवरण आगे के पोस्ट में दिया गया है।
संस्थान का लक्ष्य-
इस संस्थान का लक्ष्य सतत विकास हेतु क्षमता विकास (प्रशिक्षण) के माध्यम से ग्रामीण समाज में आमूलचूल परिवर्तन करना है।
संस्थान के मुख्य उद्देश्य-
• पंचायती राज संस्थाओं तथा ग्रामीण विकास के चुने गए प्रतिनिधियों, अधिकारियों तथा पंचायती राज संस्थाओं के साथ कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रशिक्षित करना।
• पंचायती राज तथा ग्रामीण विकास संबंधी शोध एवं अध्ययन करना।
• सेमिनार, कार्यशालाओं तथा कॉन्फ्रेन्स आदि के माध्यम से पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास की दिशा में रचनात्मक सोच को बढावा देना।
• पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास के संबंध में ज्ञान संसाधन केन्द्र के रूप में सूचनाऐं एकत्रित करना तथा प्रदान करना।
• पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास पर प्रशिक्षण मॉड्यूल, संदर्भ-सामग्री, पुस्तकें एवं लेख तैयार करना एवं प्रकाशित करना।
• भारत तथा विदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थानीय शासन संबंधी सूचनाएँ एकत्रित करना तथा अपडेट करना।
• पंचायती राज, ग्रामीण विकास तथा स्थानीय शासन के संबंध में एक विशिष्ट पुस्तकालय विकसित करना।
• पंचायती राज की कार्यप्रणाली तथा ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना।
• इन्ही उद्देश्यों से कार्य कर रहे तथा समान विचारधारा वाले अन्य भारतीय व विदेशी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करना।
संस्थान की सामान्य परिषद में निम्नांकित सदस्य है-
1. अध्यक्ष-
राजस्थान के मुख्यमंत्री
2. उपाध्यक्ष-
राजस्थान के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री या राज्य मंत्री
3. राजस्थान के एक सांसद एवं दो विधायक- सदस्य
4. पंचायती राज संस्थाओं के आठ प्रतिनिधि दो प्रमुख, दो प्रधान, दो सरपंच एवं दो पंच- सदस्य
5. राजस्थान में ग्रामीण विकास/पुनर्निर्माण एवं संबंधित क्षेत्रों मे कार्यरत अशासकीय संस्थाओं या स्वैच्छिक संस्थाओं से दो व्यक्ति- सदस्य
6. पांच ख्याति प्राप्त व्यक्ति (जिन्होंने पंचायती राज ग्रामीण विकास/ पुनर्निर्माण तथा सम्बद्ध क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया हो।) - सदस्य
7. राजस्थान पंचायत परिषद्, राजस्थान सहकारी संघ तथा राजस्थान कृषक समाज से एक-एक व्यक्ति- सदस्य
8. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर तथा कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति- सदस्य
9. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग का एक प्रतिनिधि- सदस्य
10. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, राजेन्द्र नगर, हैदराबाद का एक प्रतिनिधि- सदस्य
11. विकास आयुक्त एवं शासन सचिव पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, राजस्थान सरकार, जयपुर- सदस्य
12. राजस्थान सरकार के कृषि,सहकारिता, पशुपालन, जनजाति विकास, विशिष्ट योजनाएँ, 20-सूत्री कार्यक्रम वन, शिक्षा एवं समाज कल्याण, ऊर्जा एवं गैर पारम्परिक ऊर्जा के प्रभारी शासन सचिव, विशिष्ट शासन सचिव एवं निदेशक, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज- सदस्य
13. संस्थान के संकाय के दो सदस्य- (निदेशक द्वारा निर्धारित क्रम द्वारा) प्रत्येक सदस्य एक वर्ष के लिये पद धारण करेगा
14. हरीशचंद्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक- सदस्य
15. संस्थान के निदेशक- सदस्य
उपर्युक्त क्रम संख्या 3,4,5 एवं 6 के सदस्य अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए जाते हैं तथा क्रम संख्या 7,9 एवं 10 के सदस्य सम्बन्धित संगठन द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
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