हाल ही में प्रदेश के बाड़मेर जिले की गुढ़ामलानी तहसील में लैंथेनम व सीरियम नामक दुर्लभ खनिजों के भंडार का पता चला है। ये दुनिया में पाए जाने वाले 17 दुर्लभ मृदा तत्व के खनिजों में सम्मिलित हैं।
इनका सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। इनका उपयोग एलसीडी व प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल, एक्स-रे फिल्म, फ्लोरोसेंट व हैलोजन लैंप बनाने में होता है। इन खनिजों की मात्रा व गुणवत्ता परखने के लिए राज्य सरकार ने कर्नाटक की रामगढ़ मिनरल लिमिटेड को परमिट देने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। राज्य सरकार उक्त कंपनी को गुढ़ामलानी तहसील के 77.5 वर्ग किमी. क्षेत्र में खोज व परीक्षण के लिए पट्टा देगी। इस दायरे में खनिज की मात्रा पता लगाने के पश्चात कंपनी माइनिंग लीज के लिए आवेदन कर सकती है। इनके खनन के लिए केंद्रीय खान मंत्रालय से स्वीकृति मिल गई है। खान विभाग के अनुसार अगले तीन से पांच वर्ष में इन खनिजों का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
लैंथेनम व सीरियम ऐसे 17 तत्वों में शामिल हैं जो दुर्लभ मृदा तत्व (रेयर अर्थ एलीमेन्ट) कहलाते हैं। ये ज्यादा घनत्व, उच्च गलनांक, उच्च चालकता व उच्च उष्मीय चालकता वाले होते हैं। देश में दुर्लभ मृदा तत्वों के खनिज आंध्रप्रदेश, बिहार, केरल, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं। इन तत्वों का उपयोग लैंस, लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी), प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल बनाने के अलावा हाईब्रिड कारों की हाईब्रिड निकल मेटल हाईब्रिड बैटरी, प्रकाश तंतु संचार के काँच, कार्बन आर्क लेंप, कैमरा दूरबीन आदि के लेंस, पेट्रोलियम क्रेकिंग उत्प्रेरक के लिए पेट्रोल व डीजल में फ्यूल ऐडिटिव के रूप में भी होता है।
दवाओं, एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग, वाटरप्रूफिंग एजेंट और फंगीसाइड भी इनसे बनाए जाते हैं। वहीं, ये एक्स-रे फिल्म, फ्लोरोसेंट व हैलोजन लैंप बनाने के काम आता है।
विश्व में रेयर-अर्थ तत्वों के ऑक्साइड्स के तकरीबन 15 करोड़ टन के भंडार हैं। इनमें से 8.9 करोड़ टन तो अकेले चीन में ही हैं। उसके रूस, अमेरिका और भारत में रेयर अर्थ तत्व ऑक्साइड्स के बड़े भंडार मौजूद हैं। इनकी मांग उन देशों में ज्यादा है जहां ऑटोमोटिव कैटेलिस्ट सिस्टम, फ्लोरोसेंट लाइटिंग ट्यूब और डिस्प्ले पैनल बनाए जाते हैं। इन्हीं तत्वों की बदौलत चीन बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक आइटम टेब्लेट पीसी, मोबाइल, एलसीडी, कैमरे आदि बनाता है। माना जाता है कि वर्ष 2015 तक चीन दुनिया के कुल रेयर अर्थ के उत्पादन का 60 प्रतिशत भाग काम में ले रहा होगा। दुर्लभ मृदा तत्व ऐसा प्रमुख खनिज है, जिसका इस्तेमाल ग्रीन टेक्नोलॉजी प्रोडक्शन और सूक्ष्म हथियारों में होता है। इलेक्ट्रिक कार हों या फिर अति परिष्कृत सूक्ष्म मिसाइल-लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में उत्पादन के दौरान इन तत्वों का इस्तेमाल होता है।
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में दुर्लभ मृदा तत्व का कुल भंडार 88 मिलियन टन का है जिनमें से चीन का 36 मिलियन टन दुर्लभ मृदा तत्वों पर नियंत्रण है जो कि अमेरिका (13 मिलियन टन) और रूस (19 मिलियन टन) के संयुक्त भंडार से भी अधिक है।
ये 17 दुर्लभ मृदा तत्व निम्नांकित है-
1. Lanthanum (sometimes considered a transition metal)
2. Cerium
3. Praseodymium
4. Neodymium
5. Promethium
6. Samarium
7. Gadolinium
8. Terbium
9. Dysprosium
10. Holmium
11. Erbium
12. Thulium
13. Ytterbium
14. Lutetium
15. Scandium
16. Yttrium
17. europium
इनका सबसे बड़ा उत्पादक चीन है। इनका उपयोग एलसीडी व प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल, एक्स-रे फिल्म, फ्लोरोसेंट व हैलोजन लैंप बनाने में होता है। इन खनिजों की मात्रा व गुणवत्ता परखने के लिए राज्य सरकार ने कर्नाटक की रामगढ़ मिनरल लिमिटेड को परमिट देने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। राज्य सरकार उक्त कंपनी को गुढ़ामलानी तहसील के 77.5 वर्ग किमी. क्षेत्र में खोज व परीक्षण के लिए पट्टा देगी। इस दायरे में खनिज की मात्रा पता लगाने के पश्चात कंपनी माइनिंग लीज के लिए आवेदन कर सकती है। इनके खनन के लिए केंद्रीय खान मंत्रालय से स्वीकृति मिल गई है। खान विभाग के अनुसार अगले तीन से पांच वर्ष में इन खनिजों का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
लैंथेनम व सीरियम ऐसे 17 तत्वों में शामिल हैं जो दुर्लभ मृदा तत्व (रेयर अर्थ एलीमेन्ट) कहलाते हैं। ये ज्यादा घनत्व, उच्च गलनांक, उच्च चालकता व उच्च उष्मीय चालकता वाले होते हैं। देश में दुर्लभ मृदा तत्वों के खनिज आंध्रप्रदेश, बिहार, केरल, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं। इन तत्वों का उपयोग लैंस, लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी), प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल बनाने के अलावा हाईब्रिड कारों की हाईब्रिड निकल मेटल हाईब्रिड बैटरी, प्रकाश तंतु संचार के काँच, कार्बन आर्क लेंप, कैमरा दूरबीन आदि के लेंस, पेट्रोलियम क्रेकिंग उत्प्रेरक के लिए पेट्रोल व डीजल में फ्यूल ऐडिटिव के रूप में भी होता है।
दवाओं, एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग, वाटरप्रूफिंग एजेंट और फंगीसाइड भी इनसे बनाए जाते हैं। वहीं, ये एक्स-रे फिल्म, फ्लोरोसेंट व हैलोजन लैंप बनाने के काम आता है।
विश्व में रेयर-अर्थ तत्वों के ऑक्साइड्स के तकरीबन 15 करोड़ टन के भंडार हैं। इनमें से 8.9 करोड़ टन तो अकेले चीन में ही हैं। उसके रूस, अमेरिका और भारत में रेयर अर्थ तत्व ऑक्साइड्स के बड़े भंडार मौजूद हैं। इनकी मांग उन देशों में ज्यादा है जहां ऑटोमोटिव कैटेलिस्ट सिस्टम, फ्लोरोसेंट लाइटिंग ट्यूब और डिस्प्ले पैनल बनाए जाते हैं। इन्हीं तत्वों की बदौलत चीन बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक आइटम टेब्लेट पीसी, मोबाइल, एलसीडी, कैमरे आदि बनाता है। माना जाता है कि वर्ष 2015 तक चीन दुनिया के कुल रेयर अर्थ के उत्पादन का 60 प्रतिशत भाग काम में ले रहा होगा। दुर्लभ मृदा तत्व ऐसा प्रमुख खनिज है, जिसका इस्तेमाल ग्रीन टेक्नोलॉजी प्रोडक्शन और सूक्ष्म हथियारों में होता है। इलेक्ट्रिक कार हों या फिर अति परिष्कृत सूक्ष्म मिसाइल-लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में उत्पादन के दौरान इन तत्वों का इस्तेमाल होता है।
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में दुर्लभ मृदा तत्व का कुल भंडार 88 मिलियन टन का है जिनमें से चीन का 36 मिलियन टन दुर्लभ मृदा तत्वों पर नियंत्रण है जो कि अमेरिका (13 मिलियन टन) और रूस (19 मिलियन टन) के संयुक्त भंडार से भी अधिक है।
ये 17 दुर्लभ मृदा तत्व निम्नांकित है-
1. Lanthanum (sometimes considered a transition metal)
2. Cerium
3. Praseodymium
4. Neodymium
5. Promethium
6. Samarium
7. Gadolinium
8. Terbium
9. Dysprosium
10. Holmium
11. Erbium
12. Thulium
13. Ytterbium
14. Lutetium
15. Scandium
16. Yttrium
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