Rajasthan GK Current Affairs-
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’-2 का पोकरण के चांधन फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण
भारतीय सेना ने जमीन से जमीन पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ के वर्जन-2 का रविवार 4 मार्च को पोकरण स्थित चांधन फायरिंग रेंज में परीक्षण किया। इस परीक्षण में मिसाइल ने पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित अजासर गांव में बनाए गए काल्पनिक ठिकाने पर निशाना भेदा। पाक मिसाइल ‘हत्फ’ के परीक्षण के मद्देनजर ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का पौने सात महीने में यह दूसरा परीक्षण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के उच्चाधिकारियों वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल श्रीकृष्णा सिंह तथा डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी आदि की उपस्थिति में रविवार सुबह 10.30 बजे चांधन फायरिंग रेंज से ब्रह्मोस मिसाइल से निशाना दागा गया। रक्षा प्रवक्ता के अनुसार मिसाइल ने कुछ पलों में अपना निशाना सटीक ढंग से भेद दिया।
इस परीक्षण में मिसाइल से हुए तेज धमाके के साथ एक खेत में रखे चारे में आग लग गई जिसे कुछ ही देर में दमकल की मदद से बुझाया गया। आग से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
चांधन फायरिंग रेंज से अजासर की हवाई दूरी करीब 28 किमी व जमीनी दूरी करीब 70 किमी है। अजासर से पाकिस्तान सीमा की दूरी करीब सवा किलोमीटर है। ‘ब्रह्मोस’ 4 मार्च 2007 को ट्रायल के दौरान निशाना चूक गई थी। उसी वर्ष 28 मार्च को इसका दुबारा परीक्षण किया गया जो सफल रहा था। इसके बाद ‘ब्रह्मोस-2’ मिसाइल का 12 अगस्त 2011 को सफल परीक्षण किया गया था।
इस मिसाइल को पहले ही नौसेना में शामिल कर लिया गया है और समुद्री बल के लगभग सभी अग्रिम युद्धपोतों पर यह तैनात की गई है।
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य-
> इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है।
> इससे अधिक दूरी की मिसाइल का विकास रूस के साथ मिलकर सम्भव नहीं है इसलिए इस प्रक्षेपास्त्र की क्षमता को 290 किमी ही रखा गया है, क्योंकि रूस अंतरराष्ट्रीय मिसाइल तकनीक नियंत्रण संधि (एमटीसीआर) से जुड़ा है तथा इस संधि के अनुसार वह 300 किमी से अधिक मारक क्षमता वाले प्रक्षेपास्त्र के विकास में अन्य देशों को सहायता नहीं दे सकता है।
> यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है.
> इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी लॉंचर से दागा जा सकता है।
> इतनी अधिक दूरी की क्षमता वाली ब्रह्मोस के एक रेजीमेंट में लगभग 65 मिसाइल, टेट्रा वाहनों पर पांच स्वचालित लांचर तथा दो चल कमांड पोस्ट के साथ अन्य उपकरण होते हैं।
> इसे ए. शिवथानू पिल्लै की अगुवाई में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा रूस के संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी "ब्रह्मोस कोर्पोरेशन" द्वारा विकसित किया गया है। ब्रह्मोस कोर्पोरेशन कम्पनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का संयुक्त उपक्रम है।
> इस मिसाइल का नामकरण दो नदियों ब्रह्मपुत्र और मॉस्क्वा के नाम पर ब्रह्मोस हुआ है।
> ब्रह्मोस मिसाइल एक सुपरसोनिक क्रुज़ मिसाइल है। क्रुज मिसाइल वह होती है जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से राडार से बच जाती है। यह मिसाइल 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और राडार की पकड़ में नहीं आती है। यह राडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है
> ब्रह्मोस भारत एवं रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।
> इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, जहाज से अर्थात कहीं से भी दागा जा सकता है। अतः यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
> यह मेनुवरेबल तकनीक पर कार्य करती है अर्थात दागे जाने के बाद अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले मार्ग को बदलने की क्षमता रखती है। उदाहरण के लिए टैंक से छोड़े जाने के बाद लक्ष्य तक पहुँचते पहुँचते यदि उसका लक्ष्य मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल लेती है और उसे निशाना बनाती है।
> ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी मारक क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
> उक्त कंपनी निकट भविष्य में पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाले, वायु से प्रक्षेपित होने वाले मिसाइल के एक हाइपर-सोनिक संस्करण को विकसित करने की दिशा में भी काम कर रही है।
इस परीक्षण में मिसाइल से हुए तेज धमाके के साथ एक खेत में रखे चारे में आग लग गई जिसे कुछ ही देर में दमकल की मदद से बुझाया गया। आग से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
चांधन फायरिंग रेंज से अजासर की हवाई दूरी करीब 28 किमी व जमीनी दूरी करीब 70 किमी है। अजासर से पाकिस्तान सीमा की दूरी करीब सवा किलोमीटर है। ‘ब्रह्मोस’ 4 मार्च 2007 को ट्रायल के दौरान निशाना चूक गई थी। उसी वर्ष 28 मार्च को इसका दुबारा परीक्षण किया गया जो सफल रहा था। इसके बाद ‘ब्रह्मोस-2’ मिसाइल का 12 अगस्त 2011 को सफल परीक्षण किया गया था।
इस मिसाइल को पहले ही नौसेना में शामिल कर लिया गया है और समुद्री बल के लगभग सभी अग्रिम युद्धपोतों पर यह तैनात की गई है।
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य-
> इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है।
> इससे अधिक दूरी की मिसाइल का विकास रूस के साथ मिलकर सम्भव नहीं है इसलिए इस प्रक्षेपास्त्र की क्षमता को 290 किमी ही रखा गया है, क्योंकि रूस अंतरराष्ट्रीय मिसाइल तकनीक नियंत्रण संधि (एमटीसीआर) से जुड़ा है तथा इस संधि के अनुसार वह 300 किमी से अधिक मारक क्षमता वाले प्रक्षेपास्त्र के विकास में अन्य देशों को सहायता नहीं दे सकता है।
> यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है.
> इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी लॉंचर से दागा जा सकता है।
> इतनी अधिक दूरी की क्षमता वाली ब्रह्मोस के एक रेजीमेंट में लगभग 65 मिसाइल, टेट्रा वाहनों पर पांच स्वचालित लांचर तथा दो चल कमांड पोस्ट के साथ अन्य उपकरण होते हैं।
> इसे ए. शिवथानू पिल्लै की अगुवाई में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा रूस के संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी "ब्रह्मोस कोर्पोरेशन" द्वारा विकसित किया गया है। ब्रह्मोस कोर्पोरेशन कम्पनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का संयुक्त उपक्रम है।
> इस मिसाइल का नामकरण दो नदियों ब्रह्मपुत्र और मॉस्क्वा के नाम पर ब्रह्मोस हुआ है।
> ब्रह्मोस मिसाइल एक सुपरसोनिक क्रुज़ मिसाइल है। क्रुज मिसाइल वह होती है जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से राडार से बच जाती है। यह मिसाइल 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और राडार की पकड़ में नहीं आती है। यह राडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है
> ब्रह्मोस भारत एवं रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।
> इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, जहाज से अर्थात कहीं से भी दागा जा सकता है। अतः यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
> यह मेनुवरेबल तकनीक पर कार्य करती है अर्थात दागे जाने के बाद अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले मार्ग को बदलने की क्षमता रखती है। उदाहरण के लिए टैंक से छोड़े जाने के बाद लक्ष्य तक पहुँचते पहुँचते यदि उसका लक्ष्य मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल लेती है और उसे निशाना बनाती है।
> ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी मारक क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
> उक्त कंपनी निकट भविष्य में पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाले, वायु से प्रक्षेपित होने वाले मिसाइल के एक हाइपर-सोनिक संस्करण को विकसित करने की दिशा में भी काम कर रही है।
ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी पठनीय व रोचक है।
ReplyDeleteTHANKS
पुरी जी, ब्लॉग पर पधारने और सराहना के लिए आभार। स्नेह बनाए रखें। जय श्रीकृष्ण।
ReplyDeleteSirji 3rd grade ke bare me btaye thanks.........
ReplyDeleteachi jankari mili, thanx
ReplyDeleteachi jankari mili, thanx
ReplyDeleteआपका स्वागत और आभार दिनेश एम. जी।
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