विकास के क्षेत्र में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (बी.आर.जी.एफ.) कार्यक्रम की शुरुआत छह वर्ष के लिए पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2006-07 में की गई।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 100% केन्द्रीय सहायता के लिए राजस्थान के 12 जिलों सहित देश के कुल 250 जिलों का चयन किया जा चुका है। यह कोष चयनित जिलों में मौजूदा संसाधनों की परिपूर्ति करने हेतु अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाता है, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. स्थानीय बुनियादी ढांचे एवं अन्य विकास आवश्यकताओं संबंधी गंभीर कमियों को पूरा करना जिन्हे मौजूदा संसाधनों से पूरा नहीं किया जा पा रहा है।
2. स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप, सहभागी नियोजन, निर्णायक क्षमता, क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग को सुदृढ़ बनाने हेतु क्षमता विकास (Capacity Development) के माध्यम से पंचायत एवं नगरीय निकाय स्तरीय शासन को सुदृढ़ करना।
3. स्थानीय निकायों को नियोजन, क्रियान्वयन एवं योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
4. पंचायतों को सौंपे गए महत्वपूर्ण कार्यों के नियोजन एवं निष्पादन में सुधार करना एवं स्थानीय क्षमताओं की कमी के कारण प्रगुणता तथा समताओं में होने वाली कमी को दूर करना।
राजस्थान में यह कार्यक्रम मुख्य रूप से 12 जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है:- बांसवाड़ा, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, करौली, सवाई माधोपुर, सिरोही, टोंक तथा उदयपुर।
इन जिलों के अन्तर्गत मुख्यत: दक्षिणी राजस्थान के जनजातीय जिले- बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ इनमें नया अलग हुआ प्रतापगढ़ जिला भी शामिल है, डूंगरपुर, झालावाड़, सिरोही तथा उदयपुर; पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय जिले- बाड़मेर, जैसलमेर तथा जालोर; डांग क्षेत्रों के जिले- सवाई माधोपुर तथा करौली एवं एक अल्पसंख्यक बाहुल्य जिला टोंक सम्मिलित हैं।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 100% केन्द्रीय सहायता के लिए राजस्थान के 12 जिलों सहित देश के कुल 250 जिलों का चयन किया जा चुका है। यह कोष चयनित जिलों में मौजूदा संसाधनों की परिपूर्ति करने हेतु अतिरिक्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाता है, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. स्थानीय बुनियादी ढांचे एवं अन्य विकास आवश्यकताओं संबंधी गंभीर कमियों को पूरा करना जिन्हे मौजूदा संसाधनों से पूरा नहीं किया जा पा रहा है।
2. स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप, सहभागी नियोजन, निर्णायक क्षमता, क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग को सुदृढ़ बनाने हेतु क्षमता विकास (Capacity Development) के माध्यम से पंचायत एवं नगरीय निकाय स्तरीय शासन को सुदृढ़ करना।
3. स्थानीय निकायों को नियोजन, क्रियान्वयन एवं योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना।
4. पंचायतों को सौंपे गए महत्वपूर्ण कार्यों के नियोजन एवं निष्पादन में सुधार करना एवं स्थानीय क्षमताओं की कमी के कारण प्रगुणता तथा समताओं में होने वाली कमी को दूर करना।
राजस्थान में यह कार्यक्रम मुख्य रूप से 12 जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है:- बांसवाड़ा, बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, करौली, सवाई माधोपुर, सिरोही, टोंक तथा उदयपुर।
इन जिलों के अन्तर्गत मुख्यत: दक्षिणी राजस्थान के जनजातीय जिले- बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ इनमें नया अलग हुआ प्रतापगढ़ जिला भी शामिल है, डूंगरपुर, झालावाड़, सिरोही तथा उदयपुर; पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय जिले- बाड़मेर, जैसलमेर तथा जालोर; डांग क्षेत्रों के जिले- सवाई माधोपुर तथा करौली एवं एक अल्पसंख्यक बाहुल्य जिला टोंक सम्मिलित हैं।
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