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राजस्थान के चारण साहित्य के ऐतिहासिक प्रबंध काव्य-

काव्य तथा लेखक :-

1. वीरभायण - बादर ढाढी
2. अचलदास खींची री वचनिका - गाडन शिवदास
3. राव रिणमल रो रूपक - गाढण पसाइत
4. गुण जोधायण - गाढण पसाइत
5. कान्हड़दे प्रबंध - पद्मनाभ
6. राव हमीरदेव चौपाई - भाउंड व्यास
7. राव जैतसी रो पाछड़ी छन्द - बीठू सूजा
8. रावल माला रो गुण - बारहठ आसा
9. पृथ्वीराज रासो - चंदबरदाई
10. झूलणा महाराज रायसिंघजी रा - सांदू माला
11. झूलणा दीवाण श्री प्रतापसिंघजी रा - सांदू माला
12. झूलणा अकबर पातशाह जी रा - सांदू माला
13. पाबूजी रा छंद - बीठू मेहा
14. गोगाजी रसावला - बीठू मेहा
15. ग्रंथराज - गाहण गोपीनाथ
16. वरसरलपुरगढ़ विजय - जोगीदास
17. सूरजप्रकाश - करणीदान
18. रतन जसप्रकाश - सागरदान
19. सूरदातार रो संवाद - बारठ सांकर

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

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