तारागढ़ (अजमेर)
अजमेर में
स्थित
तारागढ़
को ’गढ़बीठली’के नाम
से
भी
जाना
जाता
है।
चौहान
शासक
अजयराज
(1105-1133) द्वारा निर्मित
इस
किले
के
बारे
में
मान्यता
है
कि
राणा
सांगा
के
भाई
कुँवर
पृथ्वीराज
ने
इस
किले
के
कुछ
भाग
बनवाकर
अपनी
पत्नी
तारा
के
नाम
पर
इसका
नाम
तारागढ़
रखा
था।
तारागढ़
के
भीतर 14
विशाल बुर्ज,
अनेक
जलाशय
और
मुस्लिम
संत
मीरान्
साहब
की
दरगाह
बनी
हुई
है।
तारागढ़ (बूँदी)
बूँदी का दुर्ग तारागढ़ पर्वत की ऊँची चोटी पर
तारे के समान दिखाई देने के कारण ‘तारागढ़’ के
नाम से प्रसिद्ध है। हाड़ा शासक बरसिंह द्वारा चौदहवीं सदी में बनवाये गये इस किले
को मालवा के महमूद खिलजी, मेवाड़ के राणा क्षेत्रसिंह और जयपुर के सवाई जयसिंह के आक्रमणों
का सामना करना पड़ा। यहाँ के शासक सुर्जन हाड़ा द्वारा 1569 में अकबर की अधीनता स्वीकारने
के कारण यह किला अप्रत्यक्ष रूप से मुगल अधीनता में चला गया। तारागढ़ के महलों के भीतर
सुंदर चित्रकारी (भित्तिचित्र) हाड़ौती कला के सजीव रूप का प्रतिनिधित्व करती है। किले
में छत्र महल, अनिरूद्ध महल, बादल महल, फूल महल इत्यादि बने हुये हैं।
Comments
Post a Comment
Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार