अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली पाकिस्तान की मशहूर लोक गायिका रेशमा का रविवार 31 अक्टूबर को सुबह निधन हो गया। वे गले के कैंसर से पीड़ित थी तथा एक महीने से वह कोमा में थीं। रेशमा का जन्म सन 1947 में राजस्थान के बीकानेर में एक बंजारा परिवार में हुआ था। भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के कराची चला गया था। वे 12 वर् ष की उम्र से गायन कर रही थी। वह शाबाज कलंदर न्यास से जुडी थी और उसके के लिए लंबे समय से गायन की सेवा दे रही थी। रेशमा उन गिने-चुने सितारों में से थी जिन्हें भारत तथा पाकिस्तान दोनों देशों में एक-सी शोहरत हासिल थी। अपनी विशिष्ट गायन शैली के कारण उन्होंने भारत में भी खूब नाम कमाया। रेशमा ने साल 1960 के दशक में भारतीय तथा पाकिस्तान दोनों की फिल्म इंडस्ट्री के लिए पार्श्व गायन किया तथा विदेशों में भी अपने गीतों से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने देश-विदेश में भी कई शो किए तथा उन्हें पाकिस्तान में तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान 'सितारा-ए-इम्तियाज' से भी सम्मानित गया था। उनके सबसे चर्चित गीतों में लंबी जुदाई, दमा दम मस्त क
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