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Showing posts from November, 2013

चैनो अमन की इच्छुक लोक गायिका रेशमा का निधन -,
समसामयिक घटनाचक्र

अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली पाकिस्तान की मशहूर लोक गायिका रेशमा का रविवार 31 अक्टूबर को सुबह निधन हो गया। वे गले के कैंसर से पीड़ित थी तथा एक महीने से वह कोमा में थीं। रेशमा का जन्म सन 1947 में राजस्थान के बीकानेर में एक बंजारा परिवार में  हुआ था। भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के कराची चला गया था। वे 12 वर् ष की उम्र से गायन कर रही थी। वह शाबाज कलंदर न्यास से जुडी थी और उसके के लिए लंबे समय से गायन की सेवा दे रही थी। रेशमा उन गिने-चुने सितारों में से थी जिन्हें भारत तथा पाकिस्तान दोनों देशों में एक-सी शोहरत हासिल थी। अपनी विशिष्ट गायन शैली के कारण उन्होंने भारत में भी खूब नाम कमाया। रेशमा ने साल 1960 के दशक में भारतीय तथा पाकिस्तान दोनों की फिल्म इंडस्ट्री के लिए पार्श्व गायन किया तथा विदेशों में भी अपने गीतों से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने देश-विदेश में भी कई शो किए तथा उन्हें पाकिस्तान में तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान 'सितारा-ए-इम्तियाज' से भी सम्मानित गया था। उनके सबसे चर्चित गीतों में लंबी जुदाई, दमा दम मस्त क...

Major forts of Rajasthan | राजस्थान के प्रमुख दुर्ग

Major forts of Rajasthan | राजस्थान के प्रमुख दुर्ग राजस्थान में दुर्ग निर्माण की परम्परा पूर्व मध्यकाल से ही देखने को मिलती है। यहाँ शायद ही कोई जनपद हो, जहाँ कोई दुर्ग या गढ़ न हो। इन दुर्गों का अपना इतिहास है। इनके आधिपत्य को लेकर कई लड़ाइयाँ भी लड़ी गई। कई बार स्थानीय स्तर पर तो यदा-कदा विदेशी सत्ता द्वारा इन पर अधिकार करने को लेकर दीर्घ काल तक संघर्ष भी चले। युद्ध कला में दक्ष सेना के लिए दुर्ग को जीवन रेखा माना गया है। यहाँ यह बात महत्त्वपूर्ण है कि सम्पूर्ण देश में राजस्थान वह प्रदेश है, जहाँ पर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बाद सर्वाधिक गढ़ ओर दुर्ग बने हुए हैं। एक गणना के अनुसार राजस्थान में 250 से अधिक दुर्ग व गढ़ हैं। खास बात यह कि सभी किले और गढ़ अपने आप में अद्भुत और विलक्षण हैं। दुर्ग निर्माण में राजस्थान की स्थापत्य कला का उत्कर्ष देखा जा सकता है। प्राचीन ग्रंथों में किलों की जिन प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख हुआ है, वे यहाँ के किलों में प्रायः देखने को मिलती हैं। सुदृढ़ प्राचीर, अभेद्य बुर्ज, किले के चारों तरफ़ गहरी खाई या परिखा, गुप्त प्रवेश द्वार तथा सुरंग, किले के भीतर ...