भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारम्भ मुगलों द्वारा किया गया जो मुगल शैली के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध कला को फ़राज (पर्शिया या ईरान) से लेकर आया जाना माना जाता है। सर्वप्रथम मुगल शासक हुमायूं ने फ़राज से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। उनके उत्तराधिकारी मुगल बादशाह अकबर ने इस भव्य कला को बढ़ावा देने के लिए एक शिल्पशाला भी बनवाई थी। इन कलाकारों ने भारतीय कलाकारों को इस कला का प्रशिक्षण दिया जिन्होंने मुगलों के राजसी जीवन-शैली से प्रभावित होकर एक नई तरह की शैली के चित्र तैयार किए। मुगल शैली के चित्रकारों को बादशाह जहाँगीर एवं शाहजहाँ ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। भारतीय कलाकारों द्वारा इस खास शैली में तैयार किए गए लघु चित्रों की राजपूत अथवा राजस्थानी लघु चित्रशैली कहा जाता है। मुगलकाल में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारंभ हुए। भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक एवं शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को निम्नांकित चार भागों में विभाजित किया जाता है- 1. मेवाड़ स्कूल- चावंड, उदयपुर, नाथद्वारा, देवगढ़, डूंगरपुर, बाँसवाड़
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