Realizing the potential of
horticultural crops in arid zone and need to achieve nutritional and income
security for the people, the ICAR had established National Research Centre for
Arid Horticulture (NRCAH) during VII plan after approval of Indian Planning
Commission, as recommended by the Working Group on Agricultural Research and
Education. The Project Coordinator (Arid Zone Fruits) was assigned additional
responsibility of Officer on Special Duty to monitor the progress of NRCAH in
November 1990. The land for its establishment was acquired in November, 1992 at
a site close to premises of Rajasthan Agricultural University, Bikaner. In
April, 1993 the Project Coordinator along with the establishment of AICRP on
AZF was shifted from HAU, Hissar to Bikaner which actually started functioning
at Beechwal, Bikaner from September, 1994.
After
visualizing the progress made by NRCAH in short span of time and future needs
of the arid region, on 27th September, 2000, the NRCAH was elevated to full
fledged Institute as Central Institute for Arid Horticulture, Bikaner (CIAH)
and Central Horticultural Experiment Station (CHES), Godhra, Gujarat (Earlier
under IIHR, Bangalore) was merged as its Regional Centre on October 1st, 2000.
The major objectives -
1. Perform planned study and use techniques intended to produce Arid zone horticulture crops.
2. Acts as a 'Arid horticultural crops 'National Gene Bank'.
3. Develop effective multi-horticultural crop-cycle for arid environments.
4. Acts as a National Center for giving scientific information related to arid horticulture.
5. To act as a human Resource Development Center with the central role of chief coordinator of arid horticulture between National Agricultural Universities and similar institutions.
6. Provide guidance & consultancy for research and development in Arid horticulture.
7. Organisation
of agriculture science fairs, and other events like special day of the
agricultural industry to inform farmers to grow arid horticulture's
fruits and vegetables and their products.
Address:
Central Institute for Arid Horticulture (CIAH)
Sri Ganganagar Road, NH - 15, Beechwal, Bikaner 334 006 (Rajasthan) India.
केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान (CIAH), बीछवाल, बीकानेर-
शुष्क पारिस्थितिकी भारत के कुल क्षेत्रफल के लगभग 12 प्रतिशत भू-भाग में फैला है। यह शुष्क पारिस्थितिकी
राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों में है। यदि कठोर जलवायु की
परिस्थितियों के अनुकूल तकनीकियां यहां मिल जाती है तो, इस क्षेत्र में भी बागवानी विकास के अपार अवसर विद्यमान है। इस क्षेत्र को बागवानी बहुल क्षेत्र
में बदलने से यहां के क्षेत्र में भौगोलिक, आर्थिक, पोषण एवं सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।
शुष्क क्षेत्र के
निवासियों की पोषण एवं आय सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त बागवानी उत्पादन
तकनीकी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यद्यपि इसके लिए भारतीय
कृषि अनुसन्धान परिषद् (भा.कृ.अनु.प.-ICAR) नई दिल्ली ने 1976
से समंवयाधारित अनुसंधान प्रारंभ किया था। तथापि महत्वपूर्ण उद्देश्यों को फलीभूत करने हेतु भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् (भा.कृ.अनु.प.-ICAR) ने सन् 1993 में बीकानेर में "राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रीय उद्यानिकी अनुसंधान केंद्र"
की स्थापना की, जिसको सितम्बर, 2000 में क्रमोन्नत कर "केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान"
में परिवर्तित कर दिया गया। संस्थान के पास 124.58 हेक्टेयर भूमि है, जिसमे शुष्क
क्षेत्रीय फलों के बाग़, सब्जी पौधशाला, फ़ार्म विकसित किये गये हैं। इस संस्थान से जुड़ा एक उपकेंद्र केन्द्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र, एवं कृषि विज्ञान केंद्र, गुजरात के वेजलपुर (गोधरा) में स्थित है जहां अर्ध शुष्क बागवानी फसलों पर अनुसंधान कार्य किया जाता है जिससे राजस्थान, गुजरात एवं मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र के किसान लाभान्वित होत हैं।
मुख्य उद्देश्य-
1. शुष्क क्षेत्र की बागवानी फसलों का उत्पादन करने एवं उपयोग बढ़ाने के लिए तकनीकियां विकसित करने हेतु योजना लक्षित मूल अध्ययन करना।
2. शुष्क बागवानी फसलों के 'राष्ट्रीय जीन बैंक' के रूप में कार्य करना।
3. शुष्क वातावरण में बहु-बागवानी फसलों का प्रभावी फसल-चक्र विकसित करना।
4. शुष्क बागवानी से संबंधित
वैज्ञानिक सूचनाओं के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करना।
5. राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालयों तथा अन्य समान कार्य करने वाले संस्थानों के मध्य मुख्य समन्वयक की भूमिका के साथ शुष्क बागवानी के 'मानव संसाधन विकास केंद्र के रूप में कार्य करना।
6. शुष्क बागवानी के विकास एवं अनुसंधान के लिए मार्गदर्शी
परामर्श उपलब्ध कराना।
7. शुष्क बागवानी में उगाए जाने वाले
फलों व सब्जियों तथा इनसे बनाए जाने
वाले उत्पादों की जानकारी देने के लिए कृषि विज्ञान मेलों, कृषि उद्योग दिवस आदि अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना।
पता:
केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान (CIAH),
श्री गंगानगर रोड, एनएच - 15, बीछवाल, बीकानेर- 334 006 (राजस्थान) भारत.
किसानो को नवाचार एवम खेती बागवानी की जानकारीया निशुल्क उपलब्ध करवाने हेतु कृषि ज्ञान केन्द्र स्थापित किया गया है, जिस में एक वाचनालय भी बनाया जा रहा है, अत: आप से निवेदन है कि खेती किसानी से सम्बंधित पुस्तके, पत्र -पत्रिकाए, ब्रोशर एवम अन्य जानकारिया इस सेन्टर हेतु निशुल्क भिजवाने की कृपा कर सहयोग प्रदान करे | धन्यवाद
ReplyDeleteH-37,Road No.2,Industrial Area,
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