शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाने एवं जनसंख्या
में स्थायित्व लाने हेतु परिवार कल्याण के अन्तर्गत अन्तराल साधनों का वितरण करने
के लिए राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में ''जनमंगल कार्यक्रम'' का प्रारम्भ वर्ष 1992 में अलवर एवं उदयपुर जिलों के ग्रामीण
क्षेत्रों में किया गया। कार्यक्रम की
प्रारम्भिक सफलताओं को देखते हुए वर्ष 1997-1998 से इस कार्यक्रम को
राज्य के सभी जिलों में लागू किया गया।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत उसी ग्राम के एक दम्पत्ति (पति-पत्नी)
का जनमंगल जोडे के रूप में चयन किया गया तथा उन जनमंगल जोडों को निकटस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य
केन्द्र (पी.एच.सी.) पर जिला प्रशिक्षण दल द्वारा प्रशिक्षण दिया गया ताकि वे-
- समुदाय में प्रजनन जागरूकता लाकर अन्तराल साधनों का प्रचार-प्रसार कर योग्य दम्पत्तियों को इन्हें उपलब्ध करवा सकें।
- ग्राम स्तर पर इच्छुक दम्पत्तियों को अन्तराल साधन- निरोध, खाने की गोलियों को उपलब्ध करवा सकें।
- गर्भ निरोधक साधनों के सही उपयोग एवं अन्य संबंधित बातों के बारे में उपयोगकर्ता को जानकारी दे सकें।
जनमंगल कार्यक्रम का उद्देश्य-
जनमंगल कार्यक्रम दम्पत्तियों को परिवार कल्याण के अन्तराल साधनों
की अनापूरित मांग को पूरित करने के लिए, अंतराल साधन के उपयोग को बढावा देने का एक
सामुदायिक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला एवं शिशु स्वास्थ्य
को सम्बन्ध प्रदान करना है। इस संदर्भ में जनमंगल कार्यक्रम महिलाओं को दो से
अधिक बच्चों के जन्म को हतोत्साहित करने, दो बच्चों के
जन्म के मध्य कम अन्तर एवं कम उम्र में महिलाओं को प्रसव उत्पीडन से मुक्त कराने
का प्रयास हैं। इसके अतिरिक्त यह कार्यक्रम ग्रामीण परिवेश परिवार हेतु अन्तराल
साधनों की मांग बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है।
जनमंगल जोडों का चयन-
इस कार्यक्रम में जनमंगल दम्पत्ति की मुख्य भूमिका है। अतः यह
आवश्यक समझा गया कि जनमंगल जोड़ों का सही चयन हो। जनमंगल जोड़ों का चयन उस ग्राम से
संबंधित ए.एन.एम. द्वारा किया जाता है। अन्तिम चयन की प्रक्रिया जिला स्तर पर
कार्यरत अधिकारी द्वारा की जाती है। इस योजना के अन्तर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्रों
के मुख्यालय के प्रत्येक गांव में 200 से 2000 की आबादी में एक तथा 2000 से
ऊपर आबादी वाले गांवों में दो जनमंगल जोड़ों का चयन किया जाता हैं।
31 मार्च,
2007 तक राज्य में कुल 39605 जनमंगल
जोड़ें कार्यरत हैं। जनमंगल जोड़ों के चयन की प्रक्रिया में निम्नलिखित
योग्यताएं होनी चाहिए-
- 25 से 35 वर्ष की आयु के हो।
- उसी गाँव का स्थाई निवासी हो।
- कार्य के लिए समर्पण की भावना रखता हो।
- जिसका परिवार छोटा हो या स्वंय अन्तराल साधनों का उपयोग करता हो।
- व्यवहार कुशल हो एवं समुदाय द्वारा स्वीकृत हो।
- शिक्षित हो।
- संप्रेषण में वाक्पटु हो अर्थात् मित्र / सहेली जैसा व्यवहार रखता हो।
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