Skip to main content

Gyan Sankalp Portal and Mukhyamantri Vidya Dan Kosh - ज्ञान संकल्प पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्या दान कोष

ज्ञान संकल्प पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्यादान कोष
 

    • राजस्थान में राजकीय विद्यालयों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने तथा आधारभूत संरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए दानदाता अब शिक्षा विभाग द्वारा विकसित किए जाने वाले 'ज्ञान संकल्प पोर्टल' एवं 'मुख्यमंत्री विद्या दान कोष' के जरिए अपना सहयोग कर सकेंगे।
    • स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाया जा रहा यह पोर्टल फंडिंग गेप को कम करने में मददगार साबित होगा।
    • पोर्टल एवं कोष का मुख्य उद्देश्य- राजकीय विद्यालयों की मूलभूत आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार सीएसआर, भामाशाहों, संस्थाओं व क्राउड फंडिंग के माध्यम से आवश्यक धनराशि का संग्रहण व प्रबंधन करना एवं विद्यालयों के विकास हेतु विभिन्न प्रोजेक्ट्स हेतु दानदाताओ का सहयोग प्राप्त करना हैं।
    • इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भामाशाह और औद्योगिक घराने कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसेबिलिटी (सीएसआर) के तहत जुड़कर सीधे राजस्थान सरकार को शिक्षा में किए जा रहे नवाचारों एवं आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकते हैं।



    •  इस पोर्टल के माध्यम से भामाशाह व औद्योगिक घराने प्रदेश के विद्यालयों को सहयोग देने के उद्देश्य से गोद ले सकते हैं।
    • दानदाता अथवा सीएसआर कम्पनी परियोजना गतिविधि हेतु आवश्यक धनराशि उपलब्ध करवाकर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के माध्यम से परियोजना क्रियान्वित कर सकती हैं।
    • दानदाताओं द्वारा दिए जाने वाले योगदान का उपयोग राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के द्वारा राज्य सरकार की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार विद्यालयों के विकास हेतु किया जावेगा।
    • मुख्यमंत्री विद्या दान कोष में दी गयी योगदान राशि को आयकर अधिनियम की धारा 80 (जी) के अन्तर्गत आयकर छूट प्रदान करने तथा विदेशी स्रोतों से योगदान प्राप्त करने के लिये 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट' के तहत पंजीकरण की आवश्यक कार्यवाही भी राज्य सरकार करेगी।
    •  ज्ञान संकल्प पोर्टल 5 अगस्त 2017 को लांच किया गया। 

    कैसे कर सकते हैं विद्यालयों को सहयोग-

    कोई भी व्यक्ति/भामाशाह/दानदाता निम्नांकित रूप में विद्यालयों को राशि दान करके या अपना स्वयं का विद्यालय विकास का प्रोजेक्ट बना कर अथवा किसी सम्पूर्ण विद्यालय को गोद ले कर शिक्षा के लिए सहयोग कर सकते हैं। 
    इस हेतु पोर्टल पर निम्नांकित टैब दिए गए हैं -
    1. Adopt a School (एक स्कूल को गोद लें)
    2. Create Your Own Project (अपना खुद का प्रोजेक्ट बनाएं)
    3. Support a Project (एक परियोजना का समर्थन करें)
    4. Contribute to Mukhyamantri Vidyadaan Kosh (मुख्मंत्री विद्यादान कोष में योगदान करें)
    5. Donate to a School (किसी स्कूल को दान करें)

    Adopt a School (एक स्कूल को गोद लें)-

    इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति या कंपनी या संस्था राज्य सरकार द्वारा निर्धारित विद्यालयों में से किसी एक विद्यालय को गोद लेकर उसमें समस्त आधारभूत संरचना और शैक्षिक साधनों का विकास कर सकते हैं। इसमें वे 5 करोड़ से अधिक तक दान कर सकते हैं। 

    स्कूल के लिए अपनी खुद की परियोजना बनाएँ (Create Your Own Project For School)

    इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति या कंपनी या संस्था राज्य सरकार द्वारा निर्धारित निम्नांकित विभिन्न आयामों में दानदाता के रूप में प्रोजेक्ट का निर्माण कर विद्यालय के शैक्षिक विकास में योगदान कर सकते हैं -
    1. आधारभूत संरचना (Infrastructure ) का विकास 
    2. एडटेक: (EdTech: Digital Classrooms in Rajasthan ) के तहत विद्यालय में राजस्थान में डिजिटल क्लासरूम की स्थापना की जा सकती है। 
    3. Sanrachna : Infrastructure for Girls’ Hostels  के अंतर्गत लड़कियों के छात्रावास लिए आधारभूत संरचना को विकसित किया जा सकता है। 
    4. Constructing Futures: Building Schools for Children in Rajasthan के अंतर्गत राज्य के किसी विद्यालय में भवन का निर्माण करवाया जा सकता है। 
    5. Aadya: Sports for Girls लड़कियों के लिए खेल की गतिविधियों के विकास के लिए इस 'आध्या' स्कीम के अंतर्गत सहयोग कर सकते है।
    6. Rajasthan Padho, Rajasthan Badho: Classroom Libraries राजस्थान पढों, राजस्थान बढ़ो : के तहत विद्यालय में कक्षा पुस्तकालय का विकास किया जा सकता है।
    7. Expanding School: A Classroom for Every Class के अंतर्गत कम कमरे वाले स्कूल का विस्तार करने के लिए कक्षों का निर्माण किया जा सकता हैं।
    8. Solar Schools: Elctrifying Rural Primary Schools सोलर स्कूल: ग्रामीण प्राथमिक स्कूलों को सशक्त बनाने के लिए सोलर ऊर्जा आधारित प्रोजेक्ट सहयोग कर सकते हैं।
    9. उपर्युक्त के अलावा भी अन्य किसी भी रूप में प्रोजेक्ट बना कर विद्यालय को सहयोग किया जा सकता है। इस हेतु विद्यालय विकास की अपनी स्वयं की परिकल्पना पर आधारित प्रोजेक्ट निर्मित कर कार्यान्वित किया जा सकता है।
    प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन- दानदाता उपर्युक्त कार्यों का स्वयं प्रत्यक्ष कार्यान्वयन कर सकते हैं अथवा किसी कार्यान्वयन भागीदार के साथ भी प्रोजेक्ट का संपादन कर सकते हैं और यदि कोई स्वयं नहीं करना चाहे राज्य सरकार को राशि देकर सरकार के माध्यम से भी प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन करवाया जा सकता है।

    Support a Project (एक परियोजना का समर्थन करें)

      यदि कोई व्यक्ति संस्था सम्पूर्ण प्रोजेक्ट को नहीं लेना चाहे तो राज्य सरकार की उपर्युक्त परियोजनाओं में से किसी में भी 2000 रुपये से लेकर अधिक राशि का सहयोग कर सकते है।

      किसी स्कूल को दान करें (Donate to a School)-

      इसके अंतर्गत आप अपनी इच्छा के किसी भी विद्यालय को कम या ज्यादा कितनी भी राशि को दान कर सकते हैं। इसके लिए आपको उस विद्यालय का चयन करना होगा तथा जिस कार्य हेतु आप राशि डोनेट कर रहे हैं उसका जिक्र करते हुए राशि ऑनलाइन विद्यालय के लिए दे सकते हैं। यह राशि विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में चली जाएगी और विद्यालय प्रबंध समिति उस कार्य के लिए उसका उपयोग करेगी। 

      निदेशक, माध्यमिक शिक्षा का ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से विद्यालय विकास में योगदान करवाने हेतु जारी पत्र -


      अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो भी देखें -
       


      अधिक जानकारी और राशि दान करने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें -

      Gyan Sankalp Portal ज्ञान संकल्प पोर्टल

      Comments

      1. राजस्थान अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एव विकास सहकारी निगम लिमिटेड ka link ho to plz sand kare

        ReplyDelete
        Replies
        1. ये जानकारी इस link पर है-
          http://sje.rajasthan.gov.in/oldpms/Schemes/OBCCorpn.htm

          Delete

      Post a Comment

      Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
      आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

      Popular posts from this blog

      Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

      Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

      राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

      हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

      Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
      History of Rajasthan

      कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...