Skip to main content

Rajasthan Shubh Shakti Yojna of Construction Workers Welfare Board - शुभशक्ति योजना

श्रमिक कल्याण मण्डल, राजस्थान की शुभशक्ति योजना

इस योजना का शुभारंभ श्रम विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा किया गया है । इस योजना का उद्देश्य श्रमिकों के हितों की रक्षा और अविवाहित महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है ।

हितलाभ- 

हिताधिकारियों की वयस्क व अविवाहिता पुत्री को तथा महिला हिताधिकारी को 55,000 रूपये प्रोत्साहन/सहायता राशि देय होगी। प्रोत्साहन राशि का उपयोग महिला हिताधिकारी/पुत्री के विवेक के अनुसार आगे शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने, स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने, कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त करने आदि में तथा स्वयं के विवाह हेतु उपयोग में लिया जाएगा ।

पात्रता एवं शर्ते·

1 लड़की के पिता या माता अथवा दोनों, कम से कम एक वर्ष से श्रमिक कल्याण मण्डल में पंजीकृत हिताधिकारी/निर्माण श्रमिक हों। पंजीयन कराने  के लिए किसी भी ई मित्र केन्द्र से हिताधिकारी को https://sso.rajasthan.gov.in/signin लिंक पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा । सबसे पहले उसे अपनी SSO आई डी  बनानी होगी और फिर श्रम विभाग के एप पर क्लिक करके पंजीयन करवाना होगा ।
 2 अधिकतम् दो पुत्रियों अथवा महिला हिताधिकारी को और उसकी एक पुत्री को प्रोत्साहन राशि देय होगी।
3 महिला हिताधिकारी अविवाहिता हो अथवा हिताधिकारी की पुत्री की आयु न्यूनतम् 18 वर्ष पूर्ण हो गई हो तथा वह अविवाहिता हो ।
4 हिताधिकारी की पुत्री/महिला हिताधिकारी कम से कम 8वीं कक्षा उत्तीर्ण हो ।
5 हिताधिकारी की पुत्री/महिला हिताधिकारी के नाम से बचत बैंक खाता हो ।
6 हिताधिकारी का स्वयं का आवास होने की स्थिति में, आवास में शौचालय हो ।
7 आवेदन की तिथि से पूर्व के एक वर्ष की अवधि में हिताधिकारी कम से कम 90 दिन निर्माण श्रमिक के रूप में कार्यरत रहा हो ।
8 प्रोत्साहन राशि हिताधिकारी के निर्माण श्रमिक होने के भौतिक सत्यापन की शर्त पर ही देय होगी। निर्माण श्रमिक होने का सत्यापन तहसीलदार, विकास अधिकारी, सहायक व उच्च अभियन्ता, सरकारी माध्यमिक विद्यालय का प्रधानाध्यापक अथवा अन्य राजपत्रित अधिकारी द्वारा किया जा सकेगा ।
9 प्रोत्साहन राशि का उपयोग महिला हिताधिकारी/पुत्री के विवेक के अनुसार आगे शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने, स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने, कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त करने आदि में तथा स्वयं के विवाह हेतु उपयोग में लिया जाएगा (स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ करने या कौशल विकास करने या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए लड़की को उचित परामर्श प्रदान किया जाएगा) ।
10 योजना का हितलाभ प्राप्त करने के लिए हिताधिकारी द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन, पंजीकृत हिताधिकारी के रूप में एक वर्ष पूरा होने के पश्चात्, प्रस्तुत किया जाएगा। परन्तु यह आवश्यक होगा कि योजना का आवेदन प्रस्तुत करने के समय हिताधिकारी का परिचय-पत्र वैध/एक्टिव हो ।
 

आवेदन की समय सीमा-

आवेदन पत्र हिताधिकारी द्वारा पंजीयन की तिथि से एक वर्ष की अवधि पूरी होने के पश्चात् तथा अविवाहिता पुत्री की आयु 18 वर्ष पूर्ण होने की तिथि से 6 माह की अवधि में अथवा योजना लागू होने की तिथि से 6 माह की अवधि में, जो भी लागू हो हो, अथवा लड़की की शादी होने से पूर्व प्रस्तुत किया जा सकेगा।

आवेदन के साथ लगाये जाने वाले दस्तावेज-

1 हिताधिकारी की पुत्री,के बैंक खाते की पासबुक के प्रथम पृष्ठ (जिसमें हिताधिकारी का नाम, बैंक खाता संख्या व आईएफएससी कोड अंकित हो) की प्रति।
2 हिताधिकारी की पुत्री की आयु 18 वर्ष पूरी होने के प्रमाण पत्र की प्रति।
3 महिला हिताधिकारी अथवा हिताधिकारी की पुत्री के कक्षा 8 उत्तीर्ण करने की अंक तालिका, जो राजकीय अथवा राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय द्वारा जारी की गई हो, की प्रति।
4 हिताधिकारी पंजीयन परिचय पत्र या कार्ड की प्रति।
5 भामाशाह परिवार कार्ड या भामाशाह नामांकन की प्रति।
6 आधार कार्ड की प्रति।
7 बैंक खाता पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति।

 आवेदन पत्र  डाउनलोड करने तथा योजना की अधिसूचना की जानकारी लेने के लिए यहां नीचे क्लिक करें -

 For Download of Application Form Click Here

Click Here for Notification of Shubh Shakti Yojna

निर्माण श्रमिक के हिताधिकारी के रूप में पंजीयन कराने की पात्रता एवं तरीका –

1. उसकी आयु 18 वर्ष से कम नही हो तथा उसने 60 वर्ष की आयु पूरी नहीं की हो। अर्थात आयु 18 से 60 वर्ष के मध्य हो तथा

2. उसने पिछले 1 वर्ष (12 माह) की अवधि में किसी भी निर्माण कार्य पर कम से कम 90 दिन निर्माण श्रमिक के रूप में काम किया हो।

नोट – यह आवश्यक नहीं है कि निर्माण श्रमिक द्वारा किसी एक ही निर्माण कार्य पर 90 दिन कार्य किया जाए। भिन्न-भिन्न कार्यों पर किया गया काम भी 90 दिन की गणना में शामिल होगा। 

हिताधिकारी के रूप में पंजीयन के आवेदन श्रम विभाग के कार्यालयों और अन्य विभागों के पंजीयन अधिकारियों यथा- विकास अधिकारियों तथा सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) व जल संसाधन विभाग के सहायक अभियन्ताओं के कार्यालयों में उपलब्ध है। आवेदन पत्र श्रम विभाग की वेबसाईट www.rajlabour.nic.in से और मण्डल की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है। आवेदन पत्र का कोई शुल्क नही है, अर्थात यह निःशुल्क है।

आवेदन की प्रक्रिया निम्न प्रकार है –
1. आवेदन पत्र लेकर उसमें वांछित विवरण भरे।
2. आवेदन के साथ लगाएं (1) अपनी आयु का निम्न में से कोई एक प्रमाण पत्र – (a) किसी स्कूल के रिकाॅर्ड से जारी प्रमाण पत्र (b) जन्म-मृत्यु पंजीयक के रिकाॅर्ड से जारी प्रमाण पत्र (c) आधार कार्ड या ड्राईविंग लाइसेंस या मतदाता पहचान पत्र (d) उपरोक्त वर्णित कोई भी प्रमाण-पत्र नहीं होने की स्थिति में किसी सरकारी अस्पताल के डाॅक्टर द्वारा जारी प्रमाण-पत्र।
3. पासपोर्ट साईज की 3 रंगीन फोटो।
4. नियोजक या ठेकेदार का निर्माण श्रमिक होने का प्रमाण-पत्र ।

अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें -

http://bocw.labour.rajasthan.gov.in/faq/ 

Comments

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...