वन्याक या बंद्याक बैठने की रस्म -
राजस्थान के जनसामान्य में ये भावना रहती है कि उनके घर में होने वाला विवाह के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो जाए तथा वर-वधू को शुभ आशीर्वाद मिले। इसी कारण विवाहोत्सव में सर्वप्रथम विघ्न विनाशक भगवान विनायक की स्थापना कर पूजा की जाती है। विवाह के अवसर पर लग्न पत्रिका के पश्चात कोई भी शुभ दिन देखकर गाँव या शहर के प्रसिद्ध गणेश जी के मंदिर में जाकर विधिवत उनकी पूजा की जाती है। यहाँ से पाँच कंकड़े घर पर लाते हैं। उन्हें गणेश जी के रूप में एक पाटे पर स्थापित कर दिया जाता है।
इसके अलावा कहीं-कहीं गणेश जी का पाना लाकर उसकी स्थापना की जाती है। पाना गणेश जी का हाथ कलम का चित्र होता है, जिसे चित्रकार द्वारा बनाया जाता हैं। इसके अलावा कुछ परिवार चित्रकार को बुलवाकर घर के एक कमरे की दीवार पर गणेश जी का चित्र भी बनवाते हैं। विनायक स्थापना के इस दिन से सगे-संबंधी और व्यवहार वाले वर या वधू को अपने-अपने घरों पर भोजन करने के लिए आमंत्रित करना आरंभ कर देते हैं, वर या वधू को भोजन कराने की इस रस्म को बन्दोला देना या बिनौरा देना अथवा बिनौरा जीमना कहते हैं। इसके पीछे यह सामाजिक भावना यह है कि भावी वर या वधू को रिश्तेदार द्वारा अच्छा खाना खिलाकर हृष्ट-पुष्ट बनाया जावे ताकि वे भावी गृहस्थ जीवन में शारीरिक रूप से सबल रहें।
राजस्थान में गणेश स्थापना की इस रस्म को को वन्याक बैठना या बंद्याक बैठना कहते हैं। जनसाधारण में ‘वन्याक’ बैठना क्रिया से जो भाव ग्रहण किया जाता है, उसमें गणेश स्थापना के बाद वर या वधू के साथ एक ऐसे बालक या बालिका को जोड़ा जाता है, जो उसके साथ रिश्तेदारों के घर निमंत्रण पर भोजन करने जाता है, इस बालक को बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों) कहा जाता है।
सालों पहले विवाह के दिन से 15-20 दिन पहले ही वन्याक बिठा दिया जाता था और गाँव के रिश्तेदार एक-एक दिन वर-वधू को बिनौरा जीमने के लिए बुलाते थे किन्तु सभी शहरों में बिनौरा देने की प्रथा अब लुप्त हो गई है। इसीलिए बहुत से युवा बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों) के शब्द से परिचित भी नहीं हैं। जो छोटा बालक बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों) के रूप में वर या वधू के साथ जीमने जाता था वो वस्तुतः गणेश जी का रूप माना जाता था। वस्तुतः बंद्याक या वन्याकड़ो (बन्द्याकड़ों) का शाब्दिक अर्थ विनायक है।
वन्याक बैठने के दिन विवाह के घर में बड़े गणेश जी का गीत भी गाया जाता है। वंदनीय गणेश जी से अपने कुल की मंगल कामना की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि विवाह में मांगलिक कार्य के समय आप अवश्य पधारे, यहाँ आपका स्वागत है। आप हमारी विपत्तियों का निवारण करें और समस्त विवाह कार्य में कभी भी किसी प्रकार की कमी और विघ्न नहीं आने दे। एक ऐसे ही गीत में गणेश जी से इस प्रकार से प्रार्थना की गई है-
‘‘गढ़ रणत भँंवर सूं आओ जी बंद्याक
करो न अणचीती बरधड़ी
ओरां को बड़द जण जाओ जी बंद्याक
लखन लाल (नाम) जी की बड़द उतावळी
फैलो तो बासो बासो जी कांकड़
कांकड़ कलश बधाइयाँ’
‘‘गढ़ रणत भँंवर सूं आओ जी बंद्याक
करो न अणचीती बरधड़ी
ओरां को बड़द जण जाओ जी बंद्याक
लखन लाल (नाम) जी की बड़द उतावळी
फैलो तो बासो बासो जी कांकड़
कांकड़ कलश बधाइयाँ’
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