राजस्थान में वस्त्र उद्योग -
वस्त्र उद्योग से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य -
- सूती वस्त्र उद्योग देश का सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है।
- देश में प्रथम सूती मिल की स्थापना कलकता में घूसरी नामक स्थान पर 1818 र्इ. में की गई।
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा गुजरात सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं।
- सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का एक परम्परागत एवं प्राचीन उद्योग है।
- वस्त्र उद्योग देश के औद्योगिक उत्पादन, रोजगार सृजन तथा निर्यात आय में महत्वपूर्ण योगदान रखता है।
- भारत सरकार की वर्ष 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वस्त्र उद्योग देश के विनिर्माण उत्पादन में 10 % , जीडीपी में 2 % तथा देश की निर्यात आय में 13 % योगदान करता है।
- यह देश के लगभग 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करके रोजगार सृजन के बड़े स्रोतों में से एक क्षेत्र है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है तथा दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है।
- वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के अधीन कार्यरत "केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड" का गठन 1987 में किया गया जिसका मुख्यालय राजस्थान के जोधपुर शहर में है।
- यह उद्योग राजस्थान राज्य में सर्वाधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- विश्व में चीन सूती वस्त्र उत्पादन में प्रथम स्थान पर, भारत का तीसरा स्थान है।
- हथकरघा बुनाई कृषि के बाद देश का सबसे बड़ा आर्थिक क्रियाकलाप है जो 43 लाख से अधिक बुनकरों और संबंध कामगारों को रोजगार प्रदान करता है। इसका देश के वस्त्र उत्पादन में क्षेत्र का 15 प्रतिशत योगदान है और यह विश्व का 95% हाथ से बुना वस्त्र प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय हथकरघा दिवस प्रतिवर्ष 7 अगस्त को मनाया जाता है। प्रथम हथकरघा दिवस 2015 में मनाया गया।
- हथकरघा मार्क खरीददार को यह गारंटी देने के लिए शुरू किया गया है कि जिस उत्पाद की खरीद की जा रही है, वह वास्तव में हाथ से बुना हुआ उत्पाद ही है और यह विद्युत करघा या मिल में बना हुआ उत्पाद नहीं है।
- संत कबीर पुरस्कार ऐसे उत्कृष्ट हथकरघा बुनकरों को प्रदान किया जाता है जो इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं तथा जिन्होंने इस क्षेत्र में विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस पुरस्कार में ₹300000 नगद, सोने से मढ़ा एक सिक्का, एक ताम्रपत्र तथा शॉल व प्रमाण पत्र दिया जाता है।
- राजस्थान में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर में स्थित है, जो हथकरघा एवं वस्त्र तकनीक में डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन करता है। इसकी स्थापना वर्ष 2014-15 में की गई।
- राष्ट्रीय वस्त्र डिजाइन केंद्र नई दिल्ली में स्थित है जो बुनकरों को डिजाइन निर्माण में सहायता प्रदान करता है। इसकी स्थापना सन 2001 में की गई थी।
- हस्तशिल्प में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिल्प गुरु पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- राजस्थान के जोधपुर में काष्ठ एवं कालीन क्लस्टर की शुरुआत वर्ष 2013-14 में की गई थी।
- भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान भदोही में स्थित है, जो अपनी तरह का अनूठा बीटेक स्तर का पाठ्यक्रम संचालित करता है।
- राष्ट्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर में स्थित है, जिसकी स्थापना 1987 में की गई।
- कालीन के लिए कम्प्यूटर आधारित डिजाइन केन्द्र (सीएडी) जयपुर (राजस्थान) में स्थित है।
- कच्ची ऊन की धुलाई सुविधा केंद्र ब्यावर (राजस्थान) में है।
- भारत में कुल 28 बुनकर सेवा केंद्र स्थापित हैं जिनमे से राजस्थान में स्थित बुनकर सेवा केंद्र की स्थापना 1978 में जयपुर में की गई थी।
राजस्थान राज्य में सूती वस्त्र मिलों की स्थापना-
- राजस्थान में प्रथम सूती वस्त्र मिल की स्थापना ‘दी कृष्णा मिल लि- 1889’ में ब्यावर (अजमेर) में निजी क्षेत्र में (सेठ दामोदर दास द्वारा) की गई।
अन्य सूती वस्त्र मिलों की स्थापना-
मिल्स | सन् |
स्थान
|
श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड | 1925 |
ब्यावर
|
मेवाड़ टेक्सटाइल मिल्स | 1938 | भीलवाड़ा |
महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स | 1942 |
पाली
|
सार्दुल टेक्सटाइल लि. | 1946 |
श्रीगंगानगर
|
राजस्थान स्पिनिंग एंड वीविग
| 1960 |
खारीग्राम, भीलवाड़ा
|
उदयपुर कॉटन मिल्स | 1961 |
उदयपुर
|
राजस्थान टेक्सटाइल मिल्स | 1968 |
भवानीमंडी
|
- स्वाधीनता से पूर्व राजस्थान में 10 सूती वस्त्र मिल कार्यरत थी। जिनमें से 6 मिले जयपुर, जोधपुर, मेवाड़ एवं किशनगढ़ के देशी राज्यों के संरक्षण में तथा 4 मिलें अजमेर-मेरवाड़ा के केंद्र शासित क्षेत्र में थी।
- 1976 तक, राजस्थान में केवल 17 कपड़ा मिलों जिनमें 10 कताई और 7 समग्र मिलें थी, कार्यरत थी।
- वर्तमान में Rajasthan Textile Mills Association (RTMA) की 50 वस्त्र मिलें सदस्य हैं, जिनमें से 30 मिलें कार्यरत है तथा 20 बंद हैं। इसके अलावा 12 गैर सदस्य मिलें भी हैं जिनमें से 5 कार्यकारी मिलें हैं जबकि शेष 7 मिलें बंद स्थिति में है। इस प्रकार राजस्थान में कुल 62 वस्त्र मिलें हैं जिनमें से 35 कार्यकारी अवस्था में हैं जबकि 27 वर्तमान में बंद हैं।
- प्रबंधन के लिहाज से 30 कार्यकारी वस्त्र मिलों में से 27 निजी क्षेत्र की मिलें हैं जबकि 3 सहकारी मिलें हैं।
- RTMA की 50 सदस्य मिलों में से 35 कताई मिलें (spinning mills), 11 कम्पोजिट मिलें और 4 तकनीकी कपड़ा मिलें ( technical textile mills) हैं। इन 35 कताई मिलों में से 11 सूती कताई मिलें, 16 सिंथेटिक कताई मिलें और 8 सूती व सिंथेटिक दोनों यार्न की कताई से संबंधित हैं। उक्त 11 कम्पोजिट मिलों में 3 सूती कताई मिलें, 2 सिंथेटिक और अन्य 6 वे मिलें हैं,जो सूती व सिंथेटिक दोनों यार्न की कताई से संबंधित हैं।
सार्वजनिक सूती वस्त्र कताई मिले-
ये निजी क्षेत्र में स्थापित मिलें थी, जिन्हें रुग्णता के कारण 1974 से राष्ट्रीय वस्त्र निगम द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया। ये निम्न हैं-
- एडवर्ड मिल्स – ब्यावर (अजमेर)
- महालक्ष्मी मिल्स – ब्यावर (अजमेर)
- विजय कॉटन मिल्स – विजयनगर (अजमेर)
सहकारी सूती वस्त्र मिले (नाम, स्थान व स्थापना वर्ष)
- राजस्थान सहकारी कतार्इ मिल्स लिमिटेड – गुलाबपुरा (भीलवाड़ा) , 1965
- श्रीगंगानगर सहकारी कतार्इ मिल्स लिमिटेड- हनुमानगढ़, 1978
- गंगापुर सहकारी कताई मिल लि. गंगापुर (भीलवाड़ा), 1981
राजस्थान में टेक्सटाइल पार्क-
उद्योग विभाग के प्रगति प्रतिवेदन 2017-18 के अनुसार राज्य में 6 टेक्सटाइल पार्क हैं -
1. जयपुर इंटिग्रेटेड टेक्सक्राफ्ट पार्क, बगरू जयपुर
- स्वीकृति वर्ष - 2008
- परियोजना लागत - 60.15 करोड़
- वर्तमान स्थिति- पार्क विकसित प्रोजेक्ट पूर्ण
2. जयपुर टेक्स विविंग पार्क, किशनगढ, अजमेर
- स्वीकृति वर्ष - 2005
- परियोजना लागत - 96.81 करोड़
- वर्तमान स्थिति- पार्क विकसित किन्तु इकाईयों की संख्या कम
3. किशनगढ हाईटेक टेक्स पार्क, किशनगढ, अजमेर
- स्वीकृति वर्ष - 2006
- परियोजना लागत - 110.58 करोड़
- वर्तमान स्थिति- पार्क विकसित किन्तु इकाईयों की संख्या कम
4. नेक्सेजेन टेक्सटाइल पार्क, पाली
- स्वीकृति वर्ष - 2007
- परियोजना लागत - 101.40 करोड़
- वर्तमान स्थिति- पार्क विकसित
5. जयपुर कालीन पार्क, दौसा
- स्वीकृति वर्ष - 2009
- परियोजना लागत - 109.82 करोड़
- 2017-18 तक की स्थिति- एनवायर्नमेंटल स्वीकृति प्राप्त नहीं कार्य आरम्भ नहीं
6. हिमाड़ा इंटिग्रेटेड टेक्सपार्क, बालोतरा , बाड़मेर
- स्वीकृति वर्ष - 2011
- परियोजना लागत - 121.08 करोड़
- 2017-18 तक की स्थिति- एनवायर्नमेंटल स्वीकृति प्राप्त नहीं कार्य आरम्भ नहीं
सूती वस्त्र उद्योग के बारें में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य -
- 1949 में राज्य में 7 सूती वस्त्र मिलें थी, जिनकी संख्या बढ़कर वर्तमान में 23 हो गई है।
- राजस्थान में सबसे बड़ी सूती वस्त्र मिल्स – महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स (पाली) है।
- कार्यशील करघों की दृष्टि से राज्य की सबसे बड़ी मिल- कृष्णा मिल्स -ब्यावर (अजमेर) है।
- राजस्थान में 6 टेक्सटाइल पार्क की स्थापना की गई है।
- राजस्थान का भीलवाडा शहर राजस्थान की वस्त्र नगरी के रूप में देश विदेश में विख्यात है।
- पावरलूम उद्योग में कम्प्यूटर एडेड डिजाइन सेंटर की स्थापना भीलवाड़ा में की गई।
- सूती वस्त्र उद्योग के लिये कपास कच्चा माल है। राजस्थान में श्रेष्ठ किस्म की कपास श्रीगंगानगर ज़िले में बोई जाती है तथा यह सर्वाधिक कपास उत्पादक जिला है।
SPINNING MILLS IN RAJASTHAN:
राजस्थान की 26 कताई मिलों की जानकारी निम्न है-
S. N. | Name | Place |
1 | Arham Spinning Mills | Bhiwadi |
2 | JCT Ltd | Sri Ganganagar |
3 | Jagjanani Textile Ltd | Jaipur |
4 | Jaipur Polyspin Ltd | Ringas |
5 | Maharaja Shri Umed Mills Ltd | Pali |
6 | NTC (DP&R) | 3 Mills- 1) Beawar, 2) Bijaynagar, 3) Udaipur |
7 | Orient Syntex | Bhiwadi |
8 | Prerna Syntex | Neemrana |
9 | Rajasthan textile Mills | Bhawanimandi |
10 | Sanganeriya Spinning Mills Ltd | Neemrana |
11 | Swatantra Bharat Mills | Tonk |
12 | Tirupati Fiber & Ind. Ltd | Abu- Road |
13 | BSL Ltd | Bhilwara |
14 | Banswara Syntex Ltd | Banswara |
15 | Bhaval Synthetics (I) Ltd | Udaipur |
16 | Bhilwara Spinners Ltd | Bhilwara |
17 | Nitin Spinners Ltd | Bhilwara |
18 | R.S.W.M. (Gulabpura & Melange) | Bhilwara |
19 | R.S.W.M. (Banswara) | Banswara |
20 | Raj.State Coop Spg (SPINFED) | 3 Units - Gulabpura, Gangapur, Hanumangarg |
21 | HEG Ltd | Rishabhdeo |
22 | Reliance Chemotex Industries Ltd | Udaipur |
23 | Sangam Spinners | Bhilwara |
24 | Shri Rajasthan Syntex Ltd | Dungarpur |
25 | Shri Rajasthan Texchem Ltd | Dungarpur |
26 | Super Syncotex (I) Ltd | Gulabpura |
NSDL, one of the largest Depositories in the World, established in August 1996 and promoted by institutions of national stature has established a state-of-the-art infrastructure that handles most of the securities held and settled in dematerialized form in the Indian capital market. Although India had a vibrant capital market which is more than a century old, the paper-based settlement of trades caused substantial problems like bad delivery and delayed transfer of title, etc. The enactment of Depositories Act in August 1996 paved the way for establishment of NSDL.
ReplyDeleteUsing innovative and flexible technology systems, NSDL works to support the investors and brokers in the capital market of the country. NSDL aims at ensuring the safety and soundness of Indian marketplaces by developing settlement solutions that increase efficiency, minimize risk and reduce costs. At NSDL, we play a central role in developing products and services that will continue to nurture the growing needs of the financial services industry. In the depository system, securities are held in depository accounts, which is more or less similar to holding funds in bank accounts. Transfer of ownership of securities is done through simple account transfers. This method does away with all the risks and hassles normally associated with paperwork. Consequently, the cost of transacting in a depository environment is considerably lower as compared to transacting in certificates.
NSDL, one of the largest Depositories in the World, established in August 1996 and promoted by institutions of national stature has established a state-of-the-art infrastructure that handles most of the securities held and settled in dematerialized form in the Indian capital market. Although India had a vibrant capital market which is more than a century old, the paper-based settlement of trades caused substantial problems like bad delivery and delayed transfer of title, etc. The enactment of Depositories Act in August 1996 paved the way for establishment of NSDL.
ReplyDeleteUsing innovative and flexible technology systems, NSDL works to support the investors and brokers in the capital market of the country. NSDL aims at ensuring the safety and soundness of Indian marketplaces by developing settlement solutions that increase efficiency, minimize risk and reduce costs. At NSDL, we play a central role in developing products and services that will continue to nurture the growing needs of the financial services industry. In the depository system, securities are held in depository accounts, which is more or less similar to holding funds in bank accounts. Transfer of ownership of securities is done through simple account transfers. This method does away with all the risks and hassles normally associated with paperwork. Consequently, the cost of transacting in a depository environment is considerably lower as compared to transacting in certificates.
Thanks ji, (h) (h)
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