Sugar Industries in Rajasthan -
जानिए कहाँ है राजस्थान में चीनी उद्योग
- चीनी उद्योग कृषि आधारित एक महत्वपूर्ण उद्योग है जिससे गांवों में लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों को आजीविका मिलती है और इसमें लगभग 5 लाख कामगारों को चीनी मिलों में सीधे रोजगार मिला हुआ है।
- इसके साथ ही चीनी उद्योग से जुडे विविध सहायक कार्यों जैसे परिवहन, व्यापार, मशीनरी की सर्विसिंग तथा कृषि आदानों की आपूर्ति से जुड़ी गतिविधियों में भी रोजगार सृजित होते हैं।
- भारत विश्व में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और चीनी की सबसे अधिक खपत वाला देश भी है।
- आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 80,000 करोड़ रूपए मूल्य का है। 31.01.2018 की स्थिति के अनुसार देश में इस समय 735 चीनी मिलें स्थापित हैं जिनकी पेराई क्षमता लगभग 340 लाख टन चीनी उत्पादन की है।
- इस क्षमता को मोटे तौर पर निजी क्षेत्र की तथा सहकारिता क्षेत्र की यूनिटों में बराबर विभाजित किया गया है।
- राजस्थान में सर्वप्रथम 1932 में चित्तौड़गढ़ जिले के भोपाल सागर में 'दी मेवाड़ शुगर मिल्स' चीनी मिल की स्थापना की गई, जो वर्तमान में बंद है। यह राज्य की पहली चीनी मिल है।
- 1935 में श्रीगंगानगर में दी गंगानगर शुगर मिल्स नाम से स्थापित हुआ। इसमें शक्कर बनाने का कार्य 1946 में प्रारम्भ हुआ।
- श्रीगंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड में चुकन्दर से चीनी बनाने के लिए एक योजना 1968 में आरम्भ की गई थी जो अनार्थिक होने के कारण अब बंद कर दी गई है।
- सहकारी क्षेत्र में श्री केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लिमिटेड की स्थापना 1965 में बूंदी जिले के श्री केशोरायपाटन में की गई, जो वर्तमान में बंद है।
- सन् 1976 में उदयपुर में चीनी मिल निजी क्षेत्र में स्थापित की गई।
- राजस्थान कुल कृषि भूमि के लगभग 10-16 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन करता है जो भारत के कुल उत्पादन का 1.11 प्रतिशत है।
राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड (RSGSM)-
श्रीगंगानगर में स्थापित शुगर फैक्टरी संयंत्र वर्ष 1904 का निर्मित है जिसकी क्षमता 600 टन गन्ना प्रतिदिन पिराई की थी। यह संयंत्र प्रथमत जावा (डच ईस्ट इण्डिया) में स्थापित किया गया था। इसके पश्चात् भारत के बिहार राज्य तथा बूटारी (पंजाब) में स्थापित किया गया और अन्त में 1935 में निजी उद्यमियों द्वारा श्रीगंगानगर में लगाया गया। 10 वर्ष तक यह संयंत्र काम में नहीं लिया जा सका, तदोपरान्त वर्ष 1945 में मैसर्स पोद्दार बाफना लिमिटेड बम्बई द्वारा क्रय किया जाकर बीकानेर इण्डस्ट्रीयल कारपोरेशन के नाम से कम्पनी स्थापित कर चलाया गया और इसमें एक डिस्टलरी एवं एक आॅयल मिल भी लगाई गई।
इस प्रकार यह वर्ष 1945 से 1951-52 तक निजी क्षेत्र का उद्यम रहा किन्तु गन्ने की कमी व अन्य कठिनाईयों की वजह से इस संयंत्र को बिहार राज्य में स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया। इस पर स्थानीय काश्तकार एवं जन साधारण के विरोध के मध्येनजर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से राज्य सरकार द्वारा उक्त कम्पनी के अंश खरीद कर इसका अधिग्रहण 01.07.1956 से किया गया तथा 21.1.1957 से फैक्टरी का नाम बदल कर दी गंगानगर शुगर मिल श्रीगंगानगर कर दिया गया तथा पिराई क्षमता आवश्यक संयंत्र जोड कर 1000 मै0 टन प्रतिदिन कर दी गई। इस प्रकार यह राजस्थान की सार्वजनिक क्षेत्र की प्रथम चीनी मिल बन गई।
उसी दौरान देशी मदिरा की आपूर्ति का कार्य भी राज्य सरकार द्वारा गंगानगर शुगर मिल्स को दिया गया जिससे शुगर मिल श्रीगंगानगर को आर्थिक सम्बल प्राप्त हुआ तथा शुगर मिल में हो रहे घाटे की पूर्ति भी संभव हो सकी। वर्ष 1993 में कम्पनी का नाम बदल कर राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड किया गया। इस मिल के द्वारा "राॅयल हैरिटेज लिकर" नामक शराब की स्प्रिट बनायी जाती है।
राज्य आबकारी नीति के अनुसार, देशी शराब की अधिकतम 50% आपूर्ति आरएसजीएसएम द्वारा निर्मित देशी शराब से की जानी है तथा शेष 50% आपूर्ति को निजी डिस्टिलर्स / बॉटलर्स से खरीदी गई देशी शराब में से की जानी है।
वर्तमान में शुगर फैक्टरी श्रीगंगानगर में चीनी का उत्पादन किया जाता है तथा डिस्टलरी श्रीगंगानगर में मोलेसिस से शोधित प्रासव तथा राज्य में स्थापित 20 मदिरालयों पर शोधित प्रासव से आबकारी नियमों के अनुसार देशी मदिरा का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य में देशी मदिरा की आपूर्ति राज्य सरकार की आबकारी नीति के तहत कम्पनी द्वारा की जानी है, अतः राज्य के विभिन्न जिलों में 20 रिडक्शन सेन्टर (मदिरालय) पर कम्पनी द्वारा शुगर मिल से प्राप्त शोधित प्रासव एवं उत्तर प्रदेश व अन्य पडौसी राज्यों से शोधित प्रासव क्रय किया जाकर देशी मदिरा का उत्पादन किया जा रहा है, जिसे कम्पनी में जिला और तहसील स्तर पर स्थापित 99 अण्डरबाण्ड डिपो के माध्यम से अनुज्ञाधारियों को प्रदायगी की जा रही है।
इस प्रकार यह वर्ष 1945 से 1951-52 तक निजी क्षेत्र का उद्यम रहा किन्तु गन्ने की कमी व अन्य कठिनाईयों की वजह से इस संयंत्र को बिहार राज्य में स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया। इस पर स्थानीय काश्तकार एवं जन साधारण के विरोध के मध्येनजर राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से राज्य सरकार द्वारा उक्त कम्पनी के अंश खरीद कर इसका अधिग्रहण 01.07.1956 से किया गया तथा 21.1.1957 से फैक्टरी का नाम बदल कर दी गंगानगर शुगर मिल श्रीगंगानगर कर दिया गया तथा पिराई क्षमता आवश्यक संयंत्र जोड कर 1000 मै0 टन प्रतिदिन कर दी गई। इस प्रकार यह राजस्थान की सार्वजनिक क्षेत्र की प्रथम चीनी मिल बन गई।
उसी दौरान देशी मदिरा की आपूर्ति का कार्य भी राज्य सरकार द्वारा गंगानगर शुगर मिल्स को दिया गया जिससे शुगर मिल श्रीगंगानगर को आर्थिक सम्बल प्राप्त हुआ तथा शुगर मिल में हो रहे घाटे की पूर्ति भी संभव हो सकी। वर्ष 1993 में कम्पनी का नाम बदल कर राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड किया गया। इस मिल के द्वारा "राॅयल हैरिटेज लिकर" नामक शराब की स्प्रिट बनायी जाती है।
राज्य आबकारी नीति के अनुसार, देशी शराब की अधिकतम 50% आपूर्ति आरएसजीएसएम द्वारा निर्मित देशी शराब से की जानी है तथा शेष 50% आपूर्ति को निजी डिस्टिलर्स / बॉटलर्स से खरीदी गई देशी शराब में से की जानी है।
वर्तमान में शुगर फैक्टरी श्रीगंगानगर में चीनी का उत्पादन किया जाता है तथा डिस्टलरी श्रीगंगानगर में मोलेसिस से शोधित प्रासव तथा राज्य में स्थापित 20 मदिरालयों पर शोधित प्रासव से आबकारी नियमों के अनुसार देशी मदिरा का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य में देशी मदिरा की आपूर्ति राज्य सरकार की आबकारी नीति के तहत कम्पनी द्वारा की जानी है, अतः राज्य के विभिन्न जिलों में 20 रिडक्शन सेन्टर (मदिरालय) पर कम्पनी द्वारा शुगर मिल से प्राप्त शोधित प्रासव एवं उत्तर प्रदेश व अन्य पडौसी राज्यों से शोधित प्रासव क्रय किया जाकर देशी मदिरा का उत्पादन किया जा रहा है, जिसे कम्पनी में जिला और तहसील स्तर पर स्थापित 99 अण्डरबाण्ड डिपो के माध्यम से अनुज्ञाधारियों को प्रदायगी की जा रही है।
इस वेब पेज पर आने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
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टेक्सटाइल सिटी किसे कहते हैं
ReplyDeleteBhilwara ko
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