भाकृअनुप - सरसों अनुसंधान निदेशालय, सेवर (भरतपुर)
Rapeseed Mustard Research Directorate Sewar Bharatpur
ICAR-Directorate of Rapeseed-Mustard Research
(Indian Council of Agricultural Research) Sewar, Bharatpur 321303 (Rajasthan), India
कब हुई 'राष्ट्रीय सरसों अनुसन्धान केंद्र' की स्थापना -
इतिहास-
देश में तिलहनों में सुधार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा अप्रैल, 1967 में ''अखिल भारतीय तिलहन समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRPO)'' की स्थापना की गई थी।
पांचवीं योजना (1974-79) में तिलहनों, विशेष रूप से राई-सरसों पर अनुसंधान कार्यक्रम को और भी सुदृढ़ बनाया गया।
तद्नुसार, 28 जनवरी 1981 को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में राई-सरसों के लिए प्रथम परियोजना समन्वय इकाई की स्थापना की गई।
सातवीं योजना (1992-97) के दौरान, भा.कृ.अनु.प. ने 1990 में गठित कार्यबल की सिफारिश के आधार पर राज्य कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के ''अनुकूलन परीक्षण केन्द्र, सेवर, भरतपुर'' में राई-सरसों पर आधारभूत, रणनीतिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान संचालित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा 20 अक्तूबर, 1993 को ''राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र (National Research Centre on Rapeseed-Mustard -NRCRM)'' की स्थापना की गई।
ग्यारहवीं योजना (2007-12) में फरवरी 2009 को इस केन्द्र को सरसों अनुसंधान निदेशालय के रूप में उन्नयित किया गया। अतः पूर्व में 'राष्ट्रीय सरसों अनुसन्धान केंद्र' के नाम से जाना जाता था।
बुनियादी ज्ञान और सामग्री पैदा करने के अलावा यह पारिस्थितिक रूप से सुदृढ़ और आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में संलग्न है। राई-तोरिया (रेपसीड)-सरसों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इस केंद्र के पास देश भर में 23 मुख्य और उप-केंद्रों के विस्तृत नेटवर्क (11 मुख्य केंद्र, 12 उप-मुख्य केंद्र) के माध्यम से सरसों अनुसंधान कार्यक्रमों की योजना, समन्वय और निष्पादन की जिम्मेदारी भी है। इसके अलावा इसके अंतर्गत 9 सत्यापन केंद्र भी संचालित हैं।
फरवरी 2009 में मिला नया नाम 'सरसों अनुसंधान निदेशालय' -
फरवरी 2009 में, ICAR ने NRCRM को नए नाम ''सरसों अनुसंधान निदेशालय (DRMR) के रूप में नामित किया।
DRMR अपनी अनुसंधान, सेवा और समर्थन इकाइयों के माध्यम से तोरिया (ब्राउन सरसों, पीली सरसों, तोरिया, तारामिरा, गोभी सरसों) और सरसों (काली सरसों, इथियोपियाई सरसों और भारतीय सरसों) के समूह के लिए उत्पादन प्रणाली अनुसंधान कार्य करता है।
यह निदेशालय भरतपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी दूर और राजस्थान रोडवेज बस स्टेशन से 3 किमी दूर आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। निदेशालय का परिसर 44.21 हैक्टर क्षेत्र में फैला है जिसके लगभग 80 प्रतिशत भाग में प्रयोगों को संचालित किया जाता है और शेष भाग में प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन तथा आवासीय परिसर है। यह निदेशालय 77.27˚ पू. देशांतर, 27.12˚ उ. देशांतर अक्षांश और समुद्र तल से 178.37 मीटर ऊपर स्थित है।
दृष्टि -
तेल और पोषण सुरक्षा के लिए सरसों विज्ञान (ब्रैसिका विज्ञान)।
मिशन-
सरसो की उत्पादकता में संपोषणीय वृद्धि के लिए विज्ञान और संसाधनों को पोषित करना।
जनादेश -
उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए तोरिया-सरसों पर बुनियादी, रणनीतिक और अनुकूली अनुसंधान।
बेहतर किस्मों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए सूचना, ज्ञान और आनुवांशिक सामग्री को न्यायसंगत पहुंच प्रदान करना ।
स्थान विशिष्ट किस्मों और प्रौद्योगिकियों का विकास करने हेतु अनुप्रयुक्त अनुसंधान का समन्वय।
प्रौद्योगिकी प्रसार और क्षमता निर्माण।
निदेशालय के प्रमुख कार्य-
राई-सरसों के आनुवांशिक संसाधनों और उस पर जानकारी के लिए राष्ट्रीय निक्षेपागार के रूप में कार्य।
तेल और बीज-आहार की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बुनियादी, कार्यनीतिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान कार्य।
विभिन्न परिस्थितियों के लिए पारिस्थिकीय दृष्टि से सुदृढ़ और आर्थिक दृष्टि से अर्थक्षम उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों का विकास।
बहु-स्थानिक परीक्षण और समन्वय पर आधारित स्थान-विशिष्ट अंतर्विषयक जानकारी का सृजन।
उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संबंधों को स्थापित करना तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का संवर्धन करना।
तकनीकी विशेषज्ञता और परामर्श का विस्तार करना।
निदेशालय के विभिन्न कार्यक्षेत्र-
इस निदेशालय के निम्नांकित महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हैं:
फसल सुधार
फसल उत्पादन
फसल सुरक्षा
पादप जैव रसायन
प्लांट बायोटेक्नोलॉजी
तकनीक का आकलन और प्रसार
कृषि ज्ञान प्रबंधन
किसानों के उपयोगी 'एकीकृत कृषि-सलाहकार सेवाएं' (Integrated agro-met advisory services)-
2005 से इस निदेशालय में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ''एकीकृत एग्रो-मेट एडवाइजरी सर्विसेज (IAAS)'' परियोजना चल रही है। इस परियोजना में नोएडा स्थित राष्ट्रीय मध्यम रेंज पूर्वानुमान केंद्र के सहयोग से राजस्थान के पूर्वी बाढ़ क्षेत्र (अलवर, भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर और धौलपुर) के लिए मध्यम श्रेणी का मौसम पूर्वानुमान जारी करने की सेवा संचालित की जा रही है, जो किसानों के अत्यंत उपयोगी है। इसके द्वारा मौसम डेटा के विश्लेषण के आधार पर रियल टाइम आधार पर आगामी 5 दिनों का मौसम पूर्वानुमान बटाया जाता है तथा उस मौसम के अनुसार किसानों के क्या लाभकारी आकस्मिक कृषि योजना होगी, इसके बारे में बताया जाता है। नियमित आधार पर इस जानकारी को किसानों, विस्तार श्रमिकों, वैज्ञानिकों, प्रशासकों, नीति निर्माताओं एवं मीडिया कर्मियों को टेलीफोन, फैक्स, ई-मेल और एसएमएस के माध्यम से भी दिया जाता है।
बीज पखवाड़ा का आयोजन
किसानों को सरसों की उन्नत किस्मों के बीज वितरण के लिए निदेशालय में प्रत्येक वर्ष बीज पखवाड़ा का आयोजन सितम्बर माह में किया जाता है। पखवाड़े में निदेशालय द्वारा पैदा किया गया सरसों की उन्नत किस्मों के बीज किसानों को उचित मूल्य (न लाभ न हानि) पर पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर वितरित किया जाता है। इस अवसर पर गोष्ठियों के माध्यम से किसानों को फसल के बारे में तकनीकी ज्ञान भी दिया जाता है।
सरसों की विभिन्न किस्मों के बीज एवं उनकी उत्पादकता | ||
क्र सं | किस्म का नाम | उत्पादकता (किलो / हेक्टेयर) |
1 | एनआरसीडीआर 2/ NRCDR 2 | 19-26 |
2 | एनआरसीएचबी 506/ NRCHB 506 | 15-25 |
3 | एनआरसीएचबी 101/ NRCHB 101 | 13-15 (late sown condition) |
4 | डीआरएमआरआईजे 31/ DRMRIJ-31 | 22-27 |
5 | डीआरएमआर 150-35/ DRMR 150-35 | 12-18 |
6 | आरएच 749/ RH749 | 24-28 |
7 | आरएच 406/ RH 406 |
खाद्य तेलों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी -
देश की खाद्य तेल की जरूरतों का अधिकांश हिस्सा आयात से पूरा हो पा रहा है। इस कारण खाद्य तेलों के क्षेत्र में देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी है। निदेशालय ने पहली बार उसके यहां विकसित विभिन्न किस्मों के बीजों को सीधे किसानों तक पहुंचाया है। इसका उद्देश्य देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाना तथा उत्पादन का लक्ष्य 12 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर करना है। राई-सरसों के राष्ट्रीय प्रसार कार्यक्रम के रूप में इस निदेशालय द्वारा की गयी इस बड़ी पहल से अनुसन्धान का लाभ हर किसान तक पहुंच सकेगा।
इस हेतु निदेशालय द्वारा अपनी स्थापना के बाद पहली बार वर्ष 2016-2017 में एक राष्ट्रव्यापी योजना तैयार की थी। योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों में करीब 1800 प्रथम पंक्ति प्रदर्शन विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से किसानों के खेतों पर लगाने का लक्ष्य था। देशभर में कार्यरत करीब 200 कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़े किसानों के यहां भी प्रथम पंक्ति प्रदर्शनों लगाने का निर्णय किया गया।
इसमें राजस्थान के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, झारखण्ड, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों पर भी फोकस किया गया ।
ICAR - Directorate of Rapeseed-Mustard Research (ICAR-DRMR)
The Indian Council of Agricultural Research (ICAR) established the National Research Centre on Rapeseed-Mustard (NRCRM) on October 20, 1993, to carry out basic, strategic and applied research on rapeseed-mustard. Besides, generating basic knowledge and material, it also engages in developing ecologically sound and economically viable agro production and protection technologies. The Centre has also the responsibility to plan, coordinate and execute the research programmes through wide network of 22 main and sub-centres across the country, to augment the production and productivity of rapeseed-mustard.
In February 2009, the ICAR re-designated NRCRM as the Directorate of Rapeseed Mustard Research (DRMR). The DRMR functions as a fulcrum to support the production system research for rapeseed (Brown sarson, yellow sarson, toria, taramira, gobhi sarson) and mustard (black mustard, Ethiopian mustard and Indian mustard) group of crops through research, service and support units. The Directorate is located on Agra-Jaipur national highway and is 7 km
far from Bharatpur railway station and 3 km from Rajasthan Roadways bus
station.
Vision-
Brassica Science for oil and nutritional security.
Mission-
Harnessing science and resources for sustainable increase in productivity .
Mandates-
Basic, strategic and adaptive research on rapeseed-mustard to improve the productivity and quality.
Provide equitable access to information, knowledge and genetic material to develop improved varieties and technologies.
Coordination of applied research develop location specific varieties and technologies
Technology dissemination and capacity building
The ICAR-Directorate of Rapeseed-Mustard Research is playing a key role in advancing rapeseed-mustard research in frontier areas through multidisciplinary approach. The most significant fields of work of this directorate include:
- Crop Improvement
Crop Production
Crop Protection
Plant Biochemistry
Plant Biotechnology Technology Assessment and Dissemination
Agriculture Knowledge Management
Integrated agro-met advisory services-
Indian Meteorology Department, Ministry of Earth Sciences, New Delhi sponsored Integrated Agro-met Advisory Services (IAAS) Project that has been running at this Directorate since 2005. IAAS Unit is releasing medium range weather forecast for eastern flood plain zone of Rajasthan (Alwar, Bharatpur, Karauli, Swai Madhopur and Dholpur) in collaboration with National Centre for medium Range Forecasting, Noida. The advisory on real time basis based on analysis of weather data includes forecast for next 5 day and contingency crop/farm planning. The information is also communicated through Telephone, FAX, e-mail and SMS to farmers, extension workers, scientists,administrators, policy makers and media personnel on regular basis.
DRMR is producing the TFL Seed for farmers under "Mega seed project on seed production". The rapeseed-Mustard seed have been sold in Beej pakhwara organized by DRMR during month of September every year. The seed is available for sale during crop season on the basis of first cum first serve . The seed produced for the crops are:
Rapeseed-Mustard Varieties | ||
Sr. N. | Variety Name | Productivity (Kg/ha) |
1 | एनआरसीडीआर 2/ NRCDR 2 | 19-26 |
2 | एनआरसीएचबी 506/ NRCHB 506 | 15-25 |
3 | एनआरसीएचबी 101/ NRCHB 101 | 13-15 (late sown condition) |
4 | डीआरएमआरआईजे 31/ DRMRIJ-31 | 22-27 |
5 | डीआरएमआर 150-35/ DRMR 150-35 | 12-18 |
6 | आरएच 749/ RH749 | 24-28 |
7 | आरएच 406/ RH 406 |
Rapeseed-Mustard Varieties
Under the umbrella of AICRP- RM till 2018, a total of 248 varieties of rapeseed-mustard have been released, out of them 185 varieties notified comprises (Indian mustard-113; toria-25; yellow sarson-17; gobhi sarson-11; brown sarson-5; karan rai-5; taramira-8 and black mustard-1). These include six hybrids and varieties having tolerance to biotic (white rust, Alternaria blight, powdery mildew) & abiotic stresses (salinity, high temperature) and quality traits have been recommended for specific growing conditions.
Rapeseed-Mustard Varieties developed by ICAR-DRMR
The first CMS based hybrid (NRCHB 506) and 05 varieties of Indian mustard (NRCDR 02, NRCDR 601, NRCHB 101, DRMRIJ 31 & DRMR150-35) and one variety of yellow sarson (NRCYS 05-02) have been developed by DRMR.
सम्पूर्णता लिए हुए अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी (h).......
ReplyDeleteThank you so much for appreciation...
DeleteVery nice information for aspirants for administrative services such as RAS & other exams.
ReplyDeleteThanks for your appreciation...
Deleteबहुत सुंदर जानकारी उपलब्ध कराई गई है। धन्यवाद
ReplyDeleteThank you so much...
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