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सांख्यिकी सार पोर्टल तथा राज्य की पहली चैट सेवा ‘‘निकी’’ की लॉन्चिग

  13वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के आयोजन में सरकारी क्षेत्र की पहली चैट सेवा एवं सार पोर्टल की लॉंचिंग

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जयपुर, 29 जून। राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस (Statistics Day) भारत में प्रत्येक वर्ष '29 जून' को मनाया जाता है। यह महत्त्वपूर्ण दिवस प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद प्रो. प्रशान्त चंद्र महालनोबिस के आर्थिक योजना और सांख्‍यि‍की विकास के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय योगदान के सम्‍मान में मनाया जाता है। साल 2018 में सांख्यिकी दिवस का विषय "आधिकारिक सांख्यिकी में गुणवत्ता विश्वास' है। जयपुर में 29 जून को 13वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के आयोजन में सरकारी क्षेत्र की पहली चैट सेवा "निकी" एवं "सांख्यिकी सार पोर्टल" की लॉंचिंग की गई।


सरकारी क्षेत्र में राज्य की पहली चैट सेवा ‘‘निकी’’ की लॉन्चिग-

क्या है निकी -

प्रमुख शासन सचिव आयोजना एवं सांख्यिकी श्री अभय कुमार ने राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर जन्म मृत्यु पंजीकरण के लिए राज्य सरकार ''पहचान पोर्टल'' के लिए आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस आधारित सरकारी क्षेत्र में राज्य की पहली चैट सेवा ‘‘निकी’’ (NICCI Your Digital Assistant) को भी लॉन्च किया गया।निकी का पूरा नाम NIC Chat Inteligence (NICCI) है। 


‘‘निकी चैट बोट’’ नाम से लॉन्च की गई इस सेवा के जरिए राज्य का कोई भी व्यक्ति किसी भी समय विशेष डोमेन से जुड़े जन्म, मृत्यु एवं विवाह पंजीयन से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के उपयोगी प्रश्नों के उत्तर डिजिटल सहायक से प्राप्त कर सकता है। यह चैट सेवा ध्वनि आधारित है। जैसे ही कोई शब्द टाइप किया जाता है वैसे ही नागरिक क्वैरी तक पहुंचता है और सम्बन्धित उत्तर टाइप करके तथा बोलकर भी देता है। इसका स्क्रीन शॉट यहाँ दिया जा रहा है-

 


इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव, सांख्यिकी श्री अभय कुमार ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्य-2030 को प्राप्त करने के लिए डाटा संधारण एक महत्वपूर्ण चुनौती है और इसे यूनिसेफ, एनआईसी एवं एनएसएसओ के सहयोग से आसान बनाया जा सकता है तथा इनके सहयोग द्वारा राज्य में सतत विकास के लक्ष्यों के लिए एक नीति का निर्माण करना होगा जो ‘‘कोई विकास में पीछे नहीं रहे’’ के उददेश्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री कुमार शनिवार को एच.सी.एम. रीपा के भगवत सिंह मेहता सभागार में 13वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के विकास में डाटा की अपनी एक अलग महत्ता है और अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए डाटा के आधार पर ही पॉलिसी निर्माण को दिशा दी जाती है।    



‘‘सांख्यिकी सार’’ पोर्टल की लॉन्चिग

श्री अभय कुमार ने ‘‘सांख्यिकी सार’’ (Statistical Abstract Application Of Rajasthan-SAAR) नाम से राजस्थान के आंकड़ों आधारित नए पोर्टल को भी लॉन्च किया। यह पोर्टल सांख्यिकी सूचनाओं के संकलन की उपयोगी ऑनलाइन सेवा है। यह पोर्टल राज्य के 80 विभागों से ऑनलाइन डेटा एकत्र करने में बहुउपयोगी है। इस पोर्टल की मदद से सांख्यिकी से जुड़ी ‘‘सांख्यिकी सार’’ पुस्तक को भी शीघ्र प्रकाशित किया जा सकेगा। इस सेवा के उपलब्ध हो जाने से सांख्यिकीविद, अनुसंधानकर्ता एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को एवं राजकीय विभागों को एक ही स्थान पर जानकारी मिलेगी।

इस पोर्टल का लिंक निम्न है -

सांख्यिकी सार’’ (Statistical Abstract Application Of Rajasthan-SAAR) https://saar.raj.nic.in/

इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों ने विभाग के महत्वपूर्ण प्रकाशन “स्टेटिस्टिकल ईयर बुक ऑफ राजस्थान” तथा “स्टेटिस्टिकल सिस्टम इन राजस्थान” पुस्तकों का विमोचन किया। अतिथियों ने सांख्यिकी दिवस के अवसर पर राज्य में सांख्यिकी शोध एवं अनुसंधान बढावा देने वाले 15 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सांख्यिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट एवं सराहनीय कार्य करने पर ''राज्य स्तरीय प्रो. पी.सी. महालनोबिस अवार्ड'' से सम्मानित किया गया।


कौन थे महालनोबिस-

ये एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस (Prasanta Chandra Mahalanobis) का जन्म कोलकाता में 29 जून, 1893 को हुआ था तथा उनकी मृत्यु 28 जून, 1972 को हुई थी। उन्हें दूसरी पंचवर्षीय योजना के अपने मसौदे के कारण जाना जाता है। वे भारत की आज़ादी के पश्चात् नवगठित मंत्रिमंडल के सांख्यिकी सलाहकार बने थे। औद्योगिक उत्पादन की तीव्र बढ़ोतरी के जरिए बेरोज़गारी समाप्त करने के सरकार के प्रमुख उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने कई योजनाएँ बनाई थी।  उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस (Statistics Day) के रूप मनाया जाता है। महालनोबिस की प्रसिद्धि "महालनोबिस दूरी" के कारण भी है जो उनके द्वारा सुझाया गयी एक सांख्यिकीय माप है।वहां इन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की। ये एकमात्र छात्र थे, जिसने भौतिकी में पहला स्थान प्राप्त किया था। उसके बाद ये कोलकाता लौट आए। कैंब्रिज छोड़ने से ठीक पहले प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने अपने शिक्षक डब्ल्यू एच मैकाले के कहने पर ‘बायोमेट्रिका’ नामक किताब पढ़ी। इस किताब को पढ़ने के बाद ही इनका रुझान सांख्यिकी की ओर होने लगा। बाद में आचार्य ब्रजेन्द्रनाथ सील के निर्देशन में इन्होंने सांख्यिकी पर काम करना शुरु किया। सांख्यिकी के क्षेत्र उनके द्वारा किए गए कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली। उन्हें आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा 1944 में ‘वेलडन मेडल’ पुरस्कार दिया गया जबकि 1945 में 'रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसाइटी' ने, 1959 में किंग्स कॉलेज का मानद फेलो तथा अमेरिका की ‘एकोनोमेट्रिक सोसाइटी’ का फेलो नियुक्त किया। 1950 में उनको 'इंडियन साइंस कांग्रेस’ का अध्यक्ष चुना गया। सन 1968 में भारत सरकार ने उनको दूसरे सर्वोच्च सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। वे अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का ऑनररी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। एक महान गणितज्ञ के रूप में उन्हें श्रीनिवास रामानुजम स्वर्ण पदक दिया गया। 

Comments

  1. इस वेब पेज पर आने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद् और आभार. (h) (h) (h)
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