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Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR) पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना (एमपाॅवर)

पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना (एमपाॅवर)-

Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR)-

पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना (एमपाॅवर)

परियोजना का परिचय - 

  • राज्य सरकार द्वारा जोधपुर संभाग के छः जिलों में अन्तराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) की सहायता से पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना Mitigating Poverty in Western Rajasthan (MPoWeR) परियोजना स्वीकृत की गई है। 

  • योजना की कार्य अवधि पूर्व में दिसम्बर 2014 थी जिसे दो बार विस्तार करके दिसम्बर 2017 तक बढ़ाया गया, योजना समाप्ति जून 2018 थी। 

  • राज्य के जोधपुर संभाग के बायतु (बाड़मेर), साॅकडा (जैसलमेर), बाप (जोधपुर), सांचौर (जालौर), बाली (पाली) तथा आबूरोड (सिरोही) पंचायत समितियों में यह परियोजना वर्ष 2008-09 से संचालित की जा रही है तथा दो ब्लाॅक सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा व जोधपुर जिले में बालेसर को भी वर्ष 2016-17 सम्मिलित किया गया है। 

  • इन दो ब्लाॅकों में राजीविका में गठित स्वयं सहायता समूहों के आय संवर्द्धन का कार्य एमपाॅवर परियोजना द्वारा किया गया। 

  • इन पंचायत समितियों में राजस्थान सरकार द्वारा निर्धारित किये गये गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले शत-प्रतिशत बी.पी.एल. परिवार परियोजना के लक्षित समूह होंगे। 

  • परियोजना की प्रस्तावित अवधि छः वर्ष थी जिसे अब बढ़ा कर 31 दिसम्बर 2017 तक कर दिया। इस परियोजना से 215 ग्राम पंचायतों के 1055 ग्रामों के लगभग चौरासी हजार बीपी.एल. परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर लाभान्वित किया गया।  

 

परियोजना लागत-

परियोजना की कुल लागत 291 करोड़ रूपये है, जिसमें आईफैड का 124 करोड़ रूपये, राज्य सरकार का 87.50 करोड़ रूपये, लाभान्वितो का अंशदान 10.50 करोड़ रूपये, बैंकों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों को ऋण के रूप में 56.00 करोड़ रूपये एवं सर रतन टाटा ट्रस्ट से अनुदान के रूप में 13 करोड़ रूपये सम्मिलित है।


परियोजना के उद्देश्य-

गरीब परिवारों के स्थाई आजीविका के अवसरों का सृजन करना ताकि गरीब परिवारों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके। इस परियोजना के विशिष्ठ उद्देश्य निम्नानुसार है-

  • अकाल की सम्भावनाओं को कम करना एवं जल सुरक्षा मुहैया करना।

  • आय में वृद्धि एवं रोजगार सृजन।

  • बाजार की आवश्यकतानुसार उत्पादकता मे सुधार।

  • उत्पादकों की उनके उत्पादनों के उचित मूल्य प्राप्ति हेतु बाजार तक पहुँंच तथा इस हेतु Backward एवं Forward Linkages की स्थापना।

  • महिलाओं, पिछडों एवं निराश्रित जनों को मुख्य धारा में लाने हेतु उनका सशक्तिकरण करना।

  • राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं मे उपलब्ध राशि का उपयोग परियोजना से समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित कर सुनिश्चित करना।

  • इस योजनान्तर्गत आजीविका गतिविधियों के साथ-साथ 'सामुदायिक आधारभूत विकास' (Infrastructure Development) कार्य हेतु रूपये 33 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। जिसका उपयोग सूखे के प्रभाव को कम करने, प्रचलित आजीविका कौशल को संरक्षित करने एवं उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देश्य से मेड बन्दी,खेत तलाई, मृदा सुधार हेतु गतिविधियां, उद्यानिकी, कुओं का निर्माण, चारागााह विकास, चारे के प्रसंस्करण एवं भण्डारण तथा उत्पादकता एवं विपणन व्यवस्था हेतु सी.एफ.सी. (Common Facility Centre) निर्माण आदि कार्यों हेतु प्रस्तावित था। 

प्रमुख कार्य- 

  • बाली खण्ड में सीताफल बिक्री हेतु निर्माता कंपनियों का गठन
  • स्वयं सहायता समूहों का गठन
  • फैडरेशनों का पंजीयन कार्य
  • सांचौर एवं बाप खण्डों में 3 डेयरी क्लस्टरों की स्वीकृति
  • बकरी संवर्द्धन कार्य
  • आफरी, जोधपुर द्वारा ऋतु परिवर्तन (Climate Change) पर अध्ययन
  • बाप एवं सांकड़ा खण्ड में स्वयं सहायता समूहों को लाभान्वित करने के लिए वोडाफोन की एम-पैसा सेवा का क्रियान्वयन
  • आजीविका आधारित व्यक्तिगत एवं सामुदायिक विकास का कार्य जिनमें पेयजल टांके, बकरी घर निर्माण आदि
  • आबूरोड़ में सब्जी उत्पादन हेतु परियोजना मद से पोली हाउस
  • ड्रिप सिंचाई संयंत्र व फव्वारा सेट परियोजना
  • कृषि कलस्टर सहित कृषि संकुल स्थापना
  • सामुदायिक आजीविका सहजकर्ता
  • कृषि सखी परियोजना
  • पांच प्रमुख आजीविका क्षेत्रों जैसे की हस्तषिल्प, डेयरी, शंख पुष्पी, जीरा एवं सब्जी का विस्तृत उत्पादन एवं विश्लेषण
  • बकरी पालक समूह (GRG)
  • सिक्योरिटी गार्ड, सिलाई मशीन ऑपरेटर एवं कम्प्यूटर ऑपरेटरो को प्रशिक्षण
  • स्वयं सहायता समूहों बैंक को ऋण

Comments

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