Skip to main content

Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan

राजस्थान में उद्यानिकी फसलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र-
Centre of Excellence for Horticultural Crops in Rajasthan:

किसानों और विस्तार श्रमिकों के लिए आधुनिक गहन फसल प्रौद्योगिकी, फसल प्रबंधन तरीकों और मानव संसाधन विकास सुविधाओं के प्रदर्शन के लिए राजस्थान की राज्य सरकार ने छह अलग-अलग "उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence)" स्थापित किए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य ज्ञान, प्रौद्योगिकी के पारस्परिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और किसानों का उपयुक्त प्रौद्योगिकी के साथ मार्गदर्शन करना है। 

राज्य में फसल विविधिकरण द्वारा कृषकों को अधिक उत्पादन, प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक लाभ, अधिक रोज़गार सृजन एवं टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने हेतु फसल विशेष के सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स (उत्कृष्टता केन्द्रों) की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर चिह्नित फसल विशेष से जुड़े समस्त उन्नत तकनीक का प्रदर्शन किया जाकर कृषकों को जानकारी दी जाती है। इस हेतु राज्य में 9 उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गये हैं।
उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा फसल विशेष से जुड़ी आधुनिक तकनीक के साथ उपयुक्त किस्मों गुणवत्ता पूर्ण पौधरोपण सामग्री उत्पादन, उत्पाद की शैल्फ लाइफ बढ़ाने, पैकेजिंग, ग्रेडिंग सुविधाएं, सिंचाई प्रबंधन, फर्टीगेशन, कैनोपी मैनेजमेंट आदि जानकारी कृषकों तक पहुँचाना मुख्य उद्देश्य है। इस हेतु केन्द्रों पर मातृवृक्षों की स्थापना, प्रदर्शन ब्लाॅक की स्थापना, रूटींग चेम्बर, शेड नेट हाऊस एवं ग्रीन हाऊस स्थापना व प्रशिक्षण सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।

सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स की स्थापना के उद्देश्य-

  • फसल विशेष के संपूर्ण विकास हेतु कार्य करना।
  • उत्कृष्टता केन्द्रों पर मातृवृक्ष, प्रदर्शन ब्लाॅक, रूटिंग चेम्बर, शेडनेट हाऊस एवं ग्रीन हाउस की स्थापना कर केन्द्र पर कृषकों को वितरित करने हेतु उच्च गुणवत्ता युक्त पौधों का उत्पादन।
  • कृषकों को समय की बचत हेतु सब्जी फसलांे की पौध तैयार कर वितरित करना।
  • फसल विशेष की खेती में आ रही कृषकों की समस्याओं का निराकरण।
  • फसल विशेष से अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु पैकेज ऑफ़ प्रेक्टिस का विकास करना।
  • केन्द्र पर प्रशिक्षण की मूलभूत सुविधाओं का विकास कर कृषकों एवं अधिकारियों/कर्मचारियों को फसल के समस्त तकनीकी पहलुओं पर प्रशिक्षण देना।
  • चयनित फसल का फसलोत्तर प्रबन्धन सुविधाओं का विकास करके कृषकों को फसलोत्तर प्रबन्धन विषय पर भी प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना।

इनका विवरण निम्नानुसार हैं:-

  1.  नींबू वर्गीय फल या साइट्रस उत्कृष्टता केंद्र, नांता, कोटा (Centre of Excellence for citrus (Mandarin), Kota) - 2013
  2. अनार उत्कृष्टता केंद्र, बस्सी, जयपुर (Centre of Excellence for Pomegranate Bassi, Jaipur)  
    - 2013
  3. खजूर उत्कृष्टता केंद्र, सागरा-भोजका, जैसलमेर (Center of Excellence for Date Palm (HRD & PHM), Sagra-Bhojka, Jaisalmer) - 2013 
  4. अमरूद उत्कृष्टता केंद्र, देवडावास, टोंक (Centre of Excellence for Guava, Devdawas, Tonk) - 2014 
  5. संतरा (साइट्रस), मसालों और औषधीय पौधों के लिए उत्कृष्टता केंद्र, झालावाड़ (Centre of Excellence for Citrus, Spices & Medicinal plants, Jhalawar) 2014
  6. आंवला, आम, बेर, जैतून, अमरूद के लिए उत्कृष्टता केंद्र, खेमरी, धौलपुर Centre of Excellence for Aonla, Mango, Ber, Olive, Guava Khemri, Dholpur 2014
  7. सब्जी फसल उत्कृष्टता केन्द्र, बून्दी (Center for Excellence for Vegetable Crops, Bundi)
  8. फूल उत्कृष्टता केन्द्र, सवाईमाधोपुर (Center of Excellence for Flowers, Sawai Madhopur)
  9. सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र, चित्तौड़गढ़ (Center of Excellence for Custard Apple, Chittorgarh)

    1. सिट्रस उत्कृष्टता केन्द्र, नान्ता, कोटा:-

    स्थापना वर्ष - 2013

     नींबू वर्गीय फलों की आधुनिक फसल उत्पादन तकनीक प्रदर्शित करने व विभिन्न किस्मों की गुणवत्तायुक्त पौधरोपण सामग्री तैयार करने हेतु प्रजनन फलोद्यान, नान्ता कोटा पर सिट्रस उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गयी है। इस केन्द्र का लोकार्पण दिनांक 20.04.16 को किया गया है।

    केन्द्र पर विभिन्न नींबू वर्गीय फलों की पौधरोपण सामग्री उत्पादन हेतु 4000 वर्गमीटर संरक्षित क्षेत्र में नागपुरी संतरा, नागपुर सीडलेस, माईकल, जाफा, वोकामारियाना, क्लेमनटाईन के 384 मातृ वृक्षों का रोपण किया गया है। इसके साथ 6 फलदार पौधों की विभिन्न किस्मों के लिये 5184 वर्गमीटर क्षेत्र में 5184 मातृ वृक्षों का रोपण किया गया है तथा प्राइमरी नर्सरी के लिये 2000 वर्गमीटर क्षेत्र में हाई टेक पाॅलीहाउस, द्वितीय नर्सरी हेतु 5000 वर्गमीटर क्षेत्र में इन्सेक्ट वेक्टर नेट की स्थापना की गई है। केन्द्र पर नींबू वर्गीय फलों की 16 व एसिड लाइम की 6 कुल 22 विभिन्न किस्मों के मातृ वृक्षों का रोपण किया गया है। केन्द्र कुल 6.84 हैक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है, जिस पर 50 कृषकों के प्रशिक्षण व ठहरने की सुविधायें व फसलोत्तर प्रबंध तकनीक पैक हाउस की स्थापना की गयी है। नींबू वर्गीय फलों की खेती पर तकनीकी साहित्य तैयार कर कृषकों में वितरित किया गया है। कृषकों को नींबू वर्गीय फलों की खेती पर तकनीकी प्रशिक्षण का आयोजन तथा अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों हेतु सेमिनार/कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

    बूंदी रोड स्थित उद्यान विभाग की राजहंस इकाई परिसर में चार साल पहले इंडो-इजराइल तकनीक से बना संतरा उत्कृष्टता केंद्र हाईटेक सुविधाओं से युक्त है। यहां संतरा के अलावा, नींबू, किन्नू, मौसमी की विभिन्न किस्मों के पौधे भी तैयार किए जा रहे हैं। उनके फलों की ग्रेडिंग, पैकेजिंग, वैक्सीन की अत्याधुनिक तकनीकी की मशीनें व प्लांट भी लग चुके हैं। किसानों को नींबू वर्गीय पौधे आधुनिक तकनीक से लगाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। केंद्र से अब तक संतरा की विभिन्न किस्मों के डेढ़ लाख से अधिक पौधे किसानों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
    केंद्र में किसानों को आधुनिक तकनीक से बागवानी करने, पौधों की समय-समय पर सिंचाई, खाद, दवा, कीटरोग की रोकथाम, खरपतवार हटाने, पौधों की कटिंग, ड्राफ्टिंग आदि का भी प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर झालावाड़ जिले के कई बागवानों ने आधुनिक तकनीक अपनाई और अच्छी आमदनी प्राप्त की। वहीं केंद्र परिसर में फ्रूट प्रोसेसिंग, कलर सोर्टिंग प्लांट भी लगा है। जहां पर कच्चे, पक्के फलों की छंटाई, वैक्सीन, पैकिंग, पैकेजिंग की जा रही है। केंद्र पर लगे ऑटोमेशन सेंटर के माध्यम से पौधों, नर्सरियों में कम्प्यूटर सिस्टम से ऑटोमेटिक सिंचाई की जाती है। 
    केंद्र पर संतरा के अलावा, नींबू, किन्नू, मौसमी की दो दर्जन से अधिक किस्मों के भी एक लाख से अधिक पौधे तैयार किए हैं। इनमें से करीब एक दर्जन से अधिक किस्में तो विदेशी हैं। आईसीएआर के सीओई (सेटर फॉर एक्सीलेंस) के बाद यह देश का दूसरा हाईटेक सीओई है।
    सिट्रस की किस्मेंः 
    नागपुरी संतरा, नागपुर सीडलेस, माईकल, जाफा, वोकामारियाना, क्लेमनटाईन। 

    नींबू वर्गीय दो दर्जन प्रजातियों के एक लाख पौधे तैयार

    नींबू के 10 हजार पौधे : एनआरसी-7, 8, विक्रम, बालाजी, परमालिनी, साईं शरबती, गंगानगरी नींबू, तिरूपति पटलर किस्म के।

    मौसमी के 25 हजार पौधे : एनसीआर नागरपुर, कटहल गोल्ड, न्यू शेलर, वाशिंगटन नेवल, पाइनेपल, निहोल नेवल, वेलेंशिया, ओलेंडा, जाफा, ब्लडरेड किस्म के।


    संतरा के 65 हजार पौधे
    नागपुरी संतरा, नागपुरी सीडलेस, मिखाल, डेजी, क्लेमेंटाइन, प्रिमोंट, फेयर चाइल्ड, मरकेट किस्म के तैयार किए जा चुके हैं।


    2. अनार उत्कृष्टता केन्द्र, बस्सी, जयपुर: -

    स्थापना वर्ष - 2013

    अनार फल बगीचे स्थापना, सिंचाई जल व पोषण प्रबंध, सघन बागवानी एवं ग्रेडिंग, पैकेजिंग आदि से जुड़ी नवीनतम जानकारी प्रदर्शित करने व कृषि तकनीक हस्तांतरण हेतु ढ़िंढोल, बस्सी में अनार उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गयी है। किसान  यहां से अनार की  व्यावसायिक और पेशेवर खेती के विभिन्न तकनीकी पहलुओं बढ़वार व उपचार, दक्षतापूर्वक जल प्रबंधन, फर्टिगेशन, कीट-व्याधि प्रबंधन इत्यादि की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
    केन्द्र पर अनार की भगवा, सुपर भगवा, मृदुला एवं वन्डरफुल किस्मों के 1264 मातृ वृक्षों वृक्षों का रोपण किया गया है। 3.00 हैक्टेयर क्षेत्र में अनार प्रदर्शन ब्लाॅक की स्थापना की गयी है। अनार की कीट व्याधि मुक्त पौधरोपण सामग्री उत्पादन के लिये 17000 कटिंग क्षमतायुक्त 250 वर्गमीटर के चार रूटींग चैम्बर, पौधों की हार्डनिंग हेतु 2000 वर्गमीटर क्षेत्र में ग्रीन हाउस व द्वितीय हार्डनिंग के लिये 2000 वर्गमीटर क्षेत्र में शेडनेट हाउस की स्थापना की गई है। केन्द्र पर अनार के उच्च गुणवत्ता युक्त पौधे उत्पादन व कृषक प्रशिक्षण आयोजन कार्य किए जा रहे है। पौधों के उत्पादन का कार्य प्रारम्भ कर कृषकों को अनार के उच्च गुणवत्ता युक्त पौधों का वितरण भी किया जा रहा है।

    अनार की प्रमुख किस्में- 

    भगवा, सुपर भगवा, मृदुला एवं वन्डरफुल किस्में।
     

    3. खजूर उत्कृष्टता केन्द्र, सगरा भोजका, जैसलमेर:-

    स्थापना वर्ष - 2013

    राज्य के शुष्क जलवायु वाले पष्चिमी क्षेत्र जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जालौर, जोधपुर, सिरोही, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर आदि ज़िलों के खजूर की खेती के लिये अनुकूलता के मध्य नज़र सगरा- भोजका, जैसलमेर में खजूर का उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गई है। इस केन्द्र पर खजूर व्यवसायिक उत्पादन प्रदर्शन फार्म के लिये 90 हैक्टेयर क्षेत्र में मैडजूल, बरही, खुनेजी, जामली, खदरावी, खलास, सगई व नर किस्म घनामी तथा अल-इनसिटी के 14000 से अधिक पौधों का रोपण किया गया है। खजूर की खेती को बढ़ावा देने हेतु इस केन्द्र पर प्रशिक्षण व फसलोत्तर प्रबंध सुविधाएं विकसित की गई हैं। यहां कृषकों को खजूर पौधरोपण, पोषक तत्व प्रबंध, सिंचाई व फर्टीगेशन, पाॅलीनेशन, सकर्स प्रबंधन व खजूर तुड़ाई उपरोक्त ग्रेडिंग, पैकेजिंग, भण्डारण व मूल्य संवर्धन पर व्यवहारिक प्रशिक्षण देने की सुविधायें विकसित की गई हैं।

    खजूर की प्रमुख किस्में-  
     मैडजूल, बरही, खुनेजी, जामली, खदरावी, खलास, सगई व नर किस्म घनामी तथा अल-इनसिटी। 

    4. अमरूद उत्कृष्टता केन्द्र, देवडावास, टोंक: -

    स्थापना वर्ष - 2014 

    राज्य के सवाईमाधोपुर, करौली, टोंक, बून्दी आदि ज़िलों में अमरूद फसल की अनुकूलता के मद्देनज़र टोंक ज़िले में अमरूद उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गई है। केन्द्र पर अमरूद की ललित, श्वेता, एल-49, इलाहाबाद सफेदा, पंत प्रभात, एमपीयुएटी सलेक्शन 1 एवं 2, हिसार सुर्ख, हिसार सफेदा, अर्का अमूल्या, अर्का मृदुला, एपल कलर कुल 12 किस्मों के पौधों के मातृवृक्ष एवं प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना की गई है। केन्द्र पर सोलर सिस्टम, ड्रिप सिस्टम, ऑटोमेशन तथा 250 वर्गमीटर क्षेत्र में हाईटेक ग्रीन हाउस, 1000 वर्गमीटर में नेचुरली वेन्टीेलेटेड पाॅली हाउस एवं 2000 वर्गमीटर क्षेत्र में द्वितीय नर्सरी हेतु शेडनेट हाउस की सुविधा है।

    अमरूद की प्रमुख किस्में- 

    ललित, श्वेता, एल-49, इलाहाबाद सफेदा, पंत प्रभात, एमपीयुएटी सलेक्शन 1 एवं 2, हिसार सुर्ख, हिसार सफेदा, अर्का अमूल्या, अर्का मृदुला, एपल कलर। 

    5. संतरा उत्कृष्टता केन्द्र, झालावाड़: -

    स्थापना वर्ष - 2014 

    झालावाड़ को संतरा उत्पादन के लिए राजस्थान का नागपुर कहा जाता है। झालावाड़ ज़िले के संतरा उत्पादन की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त होने के दृष्टिगत इस फसल के फल बगीचे स्थापना, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने हेतु संतरा उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गई है। इस हेतु केन्द्र पर संतरे के मातृवृक्ष एवं प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना का कार्य चल रहा है, जहां से उच्च गुणवत्ता युक्त पौधों का उत्पादन कर झालावाड़़ एवं अन्य जिलों में कृषकों को पौधे उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके साथ ही केन्द्र पर संतरा उत्पादन के विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराये जाने हेतु प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध  है। यहाँ संतरा की गुणवत्ता व आकार बढ़ाने, संतरा उत्पादन के पश्चात उसके विपणन आदि की व्यवस्था किस प्रकार से की जाए, उसके लिए किसानों को समय-समय पर उत्कृष्टता केन्द्र में कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूक एवं प्रेरित किया जाता है। 42 हजार हैक्टेयर से अधिक मे संतरा की खेती झालावाड़ जिले के कृषकों द्वारा की जा रही है।

    6. आम उत्कृष्टता केन्द्र, खेमरी, धौलपुर: -

    स्थापना वर्ष - 201

    आम की खेती से जुडे़ विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर कृषकों को जानकारी उपलब्ध कराने व विभिन्न किस्मों के पौधों को तैयार करने के उद्देश्य से खेमरी, धौलपुर में आम उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की गई है। केन्द्र पर आम के मातृवृक्ष एवं प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना का कार्य चल रहा है। यहां से आम के उच्च गुणवत्ता युक्त पौधों का उत्पादन कर राज्य के कृषकों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा आम उत्पादक कृषकों की विभिन्न समस्याओं के तकनीकी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाकर समस्या का निराकरण किया जा रहा है। आम उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा किसानों के लिए प्रक्षेत्र भ्रमण, फल, फूल व सब्जी प्रतियोगिता, उन्नत उधानिकी का प्रदर्शन व व्याख्यान, जीवंत प्रदर्शनी, कृषक ज्ञानार्जन परीक्षा, वैज्ञानिक व कृषकों का सीधा संवाद इस अवसर पर आयोजित किए हैं। केन्द्र मे आम की विभिन्न 24 किस्मों के कुल 2 हजार 564 पौधे उपलब्ध है। आम की पौध तैयार करने के साथ-साथ केन्द्र द्वारा किसान मेलों तथा कृषक प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन भी किया जा रहा है।
    आम उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फोर मेंगो) में आम की 30 तरह की प्रजातियों को तैयार किया जा रहा है। इसमें दशहरी, आम्रपाली, अल्फांजो, बांबे ग्रीन, तोतापुरी, मल्लिका, फदली सहित 30 प्रजातियां शामिल हैं। केंद्र को खुले हुए अभी तीन साल हुए हैं। इसमें आम की प्रजातियां छोटे-छोटे शेडनेट हाउस में तैयार की जा रही हैं। सेंटर पर तीन साल से पौधे लगाकर कलमों से पौधे तैयार किए जा रहे हैं, अतः किसानों को 20 से 30 प्रकार की आम की प्रजातियां मिलने लगेगी। अब इन पेडों की डालियों से नए पौधे तैयार होंगे, जो अगले साल से किसानों को यहां से वितरण होगा। इससे धौलपुर और अन्य जिले के किसानों को लाभ होगा। 

    7. सब्जी फसल उत्कृष्टता केन्द्र, बून्दी:-

    स्थापना वर्ष - 2016

    सब्ज़ी फसलों की खेती से जुडे़ विभिन्न विषयों पर तकनीकी जानकारी के प्रसार व प्रदर्शन हेतु बून्दी में सब्ज़ी उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की जा रही है। केन्द्र का उद्देश्य कृषकों में अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का प्रचार-प्रसार करने हेतु विभिन्न सब्जी फसलों की हाईब्रिड किस्मों के प्रदर्शन लगाना, प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक उत्पादन हेतु संरक्षित वातावरण यथा ग्रीन हाऊस, शेडनेट हाऊस, मल्च, लाॅ-टनल आदि में सब्जी फसलों के प्रदर्शन तथा केन्द्र पर उच्च उत्पादन क्षमता वाली सब्ज़ी फसलों की पौध को तैयार कर कृषकों में वितरित करना है। 
    इसमें कृषकों को सब्ज़ी की विभिन्न फसलों की खेती के विभिन्न पहलुओं पर तकनीकी प्रशिक्षण, सेमिनार, कार्यशाला के आयोजन हेतु सुविधाओं का विकास हेतु यहाँ दो फार्म ईश्वरी फल उद्यान छत्रपुरा फार्म विकसित किये जा रहे हैं। यहाँ स्थित ईश्वरी फल उद्यान में प्रशासनिक भवन बन गया है। इसमें ही कृषक हॉस्टल बनाया गया है, जिसमें किसानों को आवासीय ट्रेनिंग दी जा सकेगी। प्रशिक्षण हॉल भी बनाया गया है। 

    ईश्वरी फल उद्यान में 1.6 हैक्टेयर भूमि में से 1 हजार वर्ग मीटर में वातानुकूलित हार्टटेक प्लग नर्सरी बनाई जाएगी। इसमें किसान बीज देगा तो उससे पौध तैयार की जाएगी। किसानों को सीधी पौध भी दी जा सकेगी। सब्जी की उच्च गुणवत्ता वाली पौध दिलवाई जाएगी। 1 हजार वर्ग मीटर में पॉली हाउस बनेगा। इसमें फसल पैदावार की उच्च तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें रंगीन शिमला मिर्च, खीरा, चेरी टमाटर शामिल है। छत्रपुरा फार्म में 4 हैक्टेयर में जैविक व रासायनिक खेती का प्रदर्शन करके किसानों को जानकारी दी जाएगी। इसमें ऑटोमैटिक ड्रिप सिस्टम लगेगा। वर्मी कंपोस्ट यूनिट भी बनाई जाएगी। मलचिंग शीट बिछाई जाएगी, ताकि पानी नहीं उड़े।
    इसमें बिना मिट्‌टी की खेती (हाईड्रोपोनिक्स) का प्रदर्शन होगा। यहाँ तीन ग्रीन हाउस बनेंगे, तीन शेड नेट हाउस, वॉकिंग टनल का निर्माण होगा तथा इस टनल में किसान अंदर खड़ा रहकर सब्जियों की उन्नत पौध को देख सकेगा। इसमें ऑफ सीजन की सब्जियों की तकनीक बताई जाएगी। इसके अलावा 'लो-टनल' भी बनेगी, जिसमें भी ऑफ सीजन वाली सब्जियां रहेगी। किसानों को सलाद वाली सब्जियों की पैदावार करने की तकनीक बताई जाएगी, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सके। इसमें लेटिवस, पार्स-ले, लीक, ब्रोकली, ड्रम स्टीक, स्ट्राबेरी शामिल है। 

    8. फूल उत्कृष्टता केन्द्र, सवाईमाधोपुर:-


    स्थापना वर्ष - 2018 

    राज्य में देशी गुलाब, ग्राफ्टेड गुलाब, ग्लेडियोलस, कारनेशन, जरबेरा आदि फूलों की खेती को व्यवसायिक स्तर पर बढ़ावा देने हेतु सवाईमाधोपुर ज़िले में राज्य के प्रथम फूलों के उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना 2018 में की गई है। केन्द्र का उद्देश्य राज्य की कृषि जलवायु अनुकूल फूलों के प्रदर्शन लगाना, फूलों से गुणवत्ता युक्त व अधिक उत्पादन हेतु विभिन्न फूल वाली फसलों के संरक्षित वातावरण यथा ग्रीन हाउस एवं शेडनेट हाउस में खेती की तकनीक का प्रदर्शन करना, साथ ही फूलों की खेती के विभिन्न पहलुओं पर तकनीकी प्रशिक्षण, कार्यशाला, सेमिनार का आयोजन व तकनीकी साहित्य तैयार कर कृषकों में वितरित करना, इस केंद्र पर किसानों के लिए विभिन्न प्रकार के देशी विदेशी फूलों की पौध तैयार कर न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध करवाना है। यहां तैयार होने वाले फूल अंतराष्ट्रीय स्तर के होंगे, जिनकी मांग बहुत अधिक होगी। ऎसे फूलों की खेती कर किसान अधिक आमदनी प्राप्त कर सकता है। उत्कृष्टता केन्द्र पर ग्रीन हाउस, पोली हाउस भी बनाए जा रहे हैं। यहां ग्रीन हाउस में लगाए जाने वाली कारनेशन, डचरोज, जरबेरा के फूलों की प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा डियोडेलस, रजनीगंधा, देशी गुलाब, मेरीगोल्ड आदि की ओपन फिल्ड में खेती के गुर भी किसान सीख सकेंगे। यहां उन्हें प्रशिक्षण के माध्यम से फूल उत्पादन की नवीन तकनीकी के बारे में बताया जाकर फूल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जाएगा।


    9. सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र, चित्तौड़गढ़ :-

    घोषणा वर्ष- 2016-17

    चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमन्द, बांसवाड़ा आदि ज़िलों के नैसर्गिक रूप से सीताफल खेती के लिये उपयुक्त होने व इन क्षेत्रों के कृषकों को सीताफल खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी देने तथा सीताफल के उच्च गुणवत्ता के ग्राफ्टेड पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चित्तौड़गढ़, में सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र खोला जा रहा है। केन्द्र पर सीताफल के मातृवृक्ष एवं प्रदर्शन क्षेत्र की स्थापना का कार्य किया जाएगा, ताकि विभिन्न उन्नत किस्मों के पौधे केन्द्र पर तैयार किये जा सके एवं उनका वितरण कृषकों में किया जा सके। इसके साथ ही सीताफल उत्पादक कृषकों की समस्याओं के तकनीकी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाकर निराकरण हेतु प्रशिक्षण सुविधाओं का विकास किया जायेगा।

    Center of Excellence for custard Apple, Chittorgarh का विवरण -
    Commencement Year- 2016-17
    Total Approved Cost (in Lakh Rs.)- 1000.00
    Department- Horticulture
    Classification- Infrastructure and Assets
    Pre / post harvest- Post Harvest
    District Coverage- Chittorgarh


    अन्य उत्कृष्टता केंद्रों के प्रस्ताव-
    उक्त के अलावा निम्न स्थानों पर उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के प्रस्ताव विचाराधीन है -
    1. Center of Excellence for Medicinal Plants at Bhilwara - घोषणा वर्ष- 2017-18
    2. Establishment of Centre of Excellence of Maize Research for Diversification, Processing & Value Addition in Banswara - घोषणा वर्ष- 2018-19
    3. Centre of Excellence for Enhancing Productivity and Value Addition of Garlic in South-East Rajasthan (Agriculture University, Kota)- घोषणा वर्ष- 2015-16

    Comments

    Popular posts from this blog

    Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

    Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

    राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

    हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

    Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
    History of Rajasthan

    कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...