राजस्थान हॉर्टिकल्चर एवं नर्सरी सोसायटी (राजहंस)-
राजस्थान में पारंपरिक कृषि अब व्यावसायिक कृषि में परिवर्तित हो रही
है। इसके परिणामस्वरूप, राज्य में बेर, संतरा, किन्नो, आंवला आदि फलों, जीरा, मेथी,
धनिया आदि मसालों, सब्जियों, फूलों एवं कई औषधीय पादप फसलों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। आजकल
किसानों का ध्यान कम पानी में कम जोखिम वाली अधिक लाभदायक फसलों को लेने की ओर आकृष्ट
हुआ है। राज्य में उद्यानिकी विकास की विपुल सम्भावनाओं को देखते हुए विभिन्न कार्यक्रम उद्यान विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे हैं। राज्य में उद्यान विभाग 1989-90 में स्थापित किया गया ताकि उद्यानिकी गतिविधियों को गति मिल सके। राज्य के
किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधरोपण सामग्री उपलब्ध कराना उद्यान विभाग के
लिए एक बड़ी चुनौती था। RAJHANS की स्थापना से पहले, सीमित बजट आवंटन और
लेखांकन नियमों की सीमाओं के कारण राज्य में अच्छी गुणवत्ता वाले पौधरोपण
सामग्री के उत्पादन में कठिनाई थी।
सरकारी नर्सरियों के पास पर्याप्त बजट न होने तथा और पौधों को तैयार करने में अधिक समय लगने के कारण अच्छी गुणवत्ता की रोपण सामग्री के उत्पादन में समस्या आ रही थी। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में, राज्य के लिए प्रतिवर्ष नए बगीचे लगाने के लिए दस हजार हेक्टेयर की योजना बनाई गई थी, जिसके लिए राज्य में प्रतिवर्ष औसतन 30 लाख पौधों की व्यवस्था की जानी थी, जबकि सरकारी नर्सरियों के पास केवल 10 से 12 लाख पौधे उपलब्ध थे। पौधों की मांग और आपूर्ति के अंतर को पूरा करने के लिए राज्य के किसानों को राज्य के बाहर से पौधे खरीदने पड़ते थे, जिनकी मृत्यु दर 50 प्रतिशत से अधिक थी तथा बाहर से खरीदे गए पौधे अपेक्षाकृत महंगे थे।
राज्य में फलों, मसालों, फूलों, सब्जियों और औषधीय फसलों का क्षेत्रफल 168,000 हेक्टेयर है, जो 206.61 लाख हेक्टेयर के कृषि योग्य क्षेत्र का केवल 4.00 प्रतिशत है, जो कम से कम 10 प्रतिशत होना चाहिए था। फसलों, सब्जियों, मसालों आदि के लिए औसतन एक लाख किलो बीज की आवश्यकता होती है, जबकि राज्य में केवल 5000 किलोग्राम बीज उपलब्ध हैं। उपरोक्त सभी उद्देश्य से यह आवश्यक हो गया कि सरकारी नर्सरी को व्यावसायिक और व्यवहार्य तरीके से पौधों के उत्पादन के लिए स्वायत्तता प्रदान करने के लिए में एक संस्था होनी चाहिए और इसी कारण से राजस्थान सरकार ने एक कैबिनेट नोट 20/2006 द्वारा बागवानी विभाग के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में काम करने के लिए ''राज्य बागवानी और नर्सरी सोसायटी (RAJHANS)'' का गठन किया। वर्तमान में RAJHANS द्वारा उक्त कमियों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्य में फलों, मसालों, फूलों, सब्जियों और औषधीय फसलों का क्षेत्रफल 168,000 हेक्टेयर है, जो 206.61 लाख हेक्टेयर के कृषि योग्य क्षेत्र का केवल 4.00 प्रतिशत है, जो कम से कम 10 प्रतिशत होना चाहिए था। फसलों, सब्जियों, मसालों आदि के लिए औसतन एक लाख किलो बीज की आवश्यकता होती है, जबकि राज्य में केवल 5000 किलोग्राम बीज उपलब्ध हैं। उपरोक्त सभी उद्देश्य से यह आवश्यक हो गया कि सरकारी नर्सरी को व्यावसायिक और व्यवहार्य तरीके से पौधों के उत्पादन के लिए स्वायत्तता प्रदान करने के लिए में एक संस्था होनी चाहिए और इसी कारण से राजस्थान सरकार ने एक कैबिनेट नोट 20/2006 द्वारा बागवानी विभाग के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में काम करने के लिए ''राज्य बागवानी और नर्सरी सोसायटी (RAJHANS)'' का गठन किया। वर्तमान में RAJHANS द्वारा उक्त कमियों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
सोसायटी के उद्देश्य:-
इस संस्था के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: -
1. राज्य में बागवानी विकास से संबंधित सभी विषयों पर कार्य करना।
2. राज्य के किसानों को स्वस्थ बीजू, ग्राफ्टेड, बडेड और अन्य प्रकार के उन्नत किस्मों की गुणवत्तापूर्ण पौध उपलब्ध कराना।
3. राज्य बागवानी विभाग के माध्यम से सभी नर्सरियों को सशक्त करना, रोपण सामग्री और अन्य बागवानी आदानों की व्यवस्था और उनकी भौतिक व वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
4. पौधों के उत्पादन एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई नर्सरी की स्थापना के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करना।
5. उद्यानों की स्थापना, रखरखाव और उत्पादन को बढ़ावा देना तथा प्राचीन बाग-बगीचों और छोटे उद्यानों में नई प्रजातियों का विकास करना।
6. राज्य के किसानों के लिए निजी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पौधों के उत्पादन हेतु अच्छी रोपण सामग्री की मांग को पूरा करना।
7. राज्य में विभिन्न स्तरों पर व्यवसायिक आधार के आधुनिक व उच्च तकनीक वाले पौधों के उद्यानों की स्थापना करना और उन्हें पंजीकृत करना।
8. किसानों, अन्य विभागों, स्वयंसेवी संगठनों, बोर्डों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, आम जनता आदि को बागवानी की विशेषज्ञ सलाह, प्रशिक्षण, प्रदर्शन, कुशल विशेषज्ञ सेवाएं आदि प्रदान करना। श्रमिकों को सेवाएं प्रदान करके रोजगार के अवसर बढ़ाना।
9. उद्योग के विकास के लिए फसल प्रबंधन, संरक्षण प्रयोगशालाओं, पैकिंग, ग्रेडिंग, मूल्य संवर्धन इकाई स्थापना आदि।
10. किसानों, आम जनता, विभिन्न संस्थानों / विभागों आदि के लिए राज्य व राज्य के बाहर से गुणवत्ता वाले पौधों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति करना और राज्य में उपलब्ध उत्पादों व सेवाओं के अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए काम करना।
11. विभिन्न विभागों और किसानों / संस्थानों आदि को रोपण सामग्री के उत्पादन के साथ राज्य में विभिन्न प्रकार की बागवानी फ़सलों जैसे कि फल, सब्जियाँ, मसाले, औषधीय और सुगंधित फ़सलें, फूल सजावटी इत्यादि प्रदान करना।
12. एकीकृत संस्था के रूप विभिन्न संस्थानों / निजी क्षेत्रों से प्लांट, मशीनरी, परिरक्षण पदार्थ, बीज, उर्वरक, रसायन, प्लास्टिक इत्यादि की प्राप्त करना और उन्हें दूसरों को प्रदान करना।
1. राज्य में बागवानी विकास से संबंधित सभी विषयों पर कार्य करना।
2. राज्य के किसानों को स्वस्थ बीजू, ग्राफ्टेड, बडेड और अन्य प्रकार के उन्नत किस्मों की गुणवत्तापूर्ण पौध उपलब्ध कराना।
3. राज्य बागवानी विभाग के माध्यम से सभी नर्सरियों को सशक्त करना, रोपण सामग्री और अन्य बागवानी आदानों की व्यवस्था और उनकी भौतिक व वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
4. पौधों के उत्पादन एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई नर्सरी की स्थापना के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करना।
5. उद्यानों की स्थापना, रखरखाव और उत्पादन को बढ़ावा देना तथा प्राचीन बाग-बगीचों और छोटे उद्यानों में नई प्रजातियों का विकास करना।
6. राज्य के किसानों के लिए निजी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पौधों के उत्पादन हेतु अच्छी रोपण सामग्री की मांग को पूरा करना।
7. राज्य में विभिन्न स्तरों पर व्यवसायिक आधार के आधुनिक व उच्च तकनीक वाले पौधों के उद्यानों की स्थापना करना और उन्हें पंजीकृत करना।
8. किसानों, अन्य विभागों, स्वयंसेवी संगठनों, बोर्डों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, आम जनता आदि को बागवानी की विशेषज्ञ सलाह, प्रशिक्षण, प्रदर्शन, कुशल विशेषज्ञ सेवाएं आदि प्रदान करना। श्रमिकों को सेवाएं प्रदान करके रोजगार के अवसर बढ़ाना।
9. उद्योग के विकास के लिए फसल प्रबंधन, संरक्षण प्रयोगशालाओं, पैकिंग, ग्रेडिंग, मूल्य संवर्धन इकाई स्थापना आदि।
10. किसानों, आम जनता, विभिन्न संस्थानों / विभागों आदि के लिए राज्य व राज्य के बाहर से गुणवत्ता वाले पौधों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति करना और राज्य में उपलब्ध उत्पादों व सेवाओं के अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए काम करना।
11. विभिन्न विभागों और किसानों / संस्थानों आदि को रोपण सामग्री के उत्पादन के साथ राज्य में विभिन्न प्रकार की बागवानी फ़सलों जैसे कि फल, सब्जियाँ, मसाले, औषधीय और सुगंधित फ़सलें, फूल सजावटी इत्यादि प्रदान करना।
12. एकीकृत संस्था के रूप विभिन्न संस्थानों / निजी क्षेत्रों से प्लांट, मशीनरी, परिरक्षण पदार्थ, बीज, उर्वरक, रसायन, प्लास्टिक इत्यादि की प्राप्त करना और उन्हें दूसरों को प्रदान करना।
राजस्थान बागवानी एवं नर्सरी सोसायटी (राजहंस) पता: -
राजस्थान बागवानी एवं नर्सरी सोसायटी (राजहंस)
कमरा नंबर 364, पंत कृषि भवन,
सी-स्कीम, जयपुर - 302005
संपर्क : -
फोन: 0141-2227606, मोबाइल: 9413351929,ई-मेल: jdh.nur.hort@rajasthan.gov.in
राजहंस नर्सरियाँ -
- चौपासनी, जोधपुर
- गणेशपुरा, दौसा
- एटीसी नर्सरी, चित्तौड़गढ़
- एटीसी नर्सरी, नांता, कोटा
- एटीसी नर्सरी, सवाई माधोपुर
- बास बिसाना, झुंझुनू
- बड़ा का बाग, उमरेण, अलवर
- बहरावण्डा खुर्द, सवाई माधोपुर
- देवडावास, टोंक
- ढिंढोल, बस्सी जयपुर
- दुर्ग, चित्तौड़गढ़
- फल फार्म, श्रीगंगानगर
- गढ़ी, बांसवाड़ा
- जयसमंद नर्सरी, उदयपुर
- कलमी बाग, भुसावर, भरतपुर
- मलारना डूंगर, सवाई माधोपुर
- मल्हारसिंह बाग, झालावाड़
- माउंट आबू, सिरोही
- नाला गार्डन, जयपुर
- नारायण विलास, अलवर
- पुष्कर नर्सरी, अजमेर
- राजहंस नर्सरी पलसाना, सीकर
- राजहंस नर्सरी इकाई मावली, उदयपुर
- राजहंस यूनिट रेनी बाग, कोटा
- रामबाग बाड़ी, धौलपुर
- सादड़ी, पाली
- सगरा भोजका, जैसलमेर
- सुनारी, नागौर
- सुवाणा नर्सरी, भीलवाड़ा
- तबीजी नर्सरी अजमेर
Rajasthan Horticulture And Nursery Society-RAJHANS
The Horticulture Department established in the state in 1989-90. Providing quality planting material to the farmers of the State is a major challenge for the Horticulture Department. Prior to the establishment of the RAJHANS , due to limitations of limited budget allotment and accounting rules, there was difficulty in producing good quality planting material in the state.
Traditional cultivation in Rajasthan is now being converted into
commercial farming. As a result of this, fruits,vegetables cumin,
fenugreek, coriander etc. and medicinal crops have been recognized
national level flowers, vegetables and medicinal crops in the state.
Nowadays, the attention of the farmers is being taken in taking lesser
risk crops and more profitable crops.
Due to lack of adequate budget on government nurseries, there was a
problem in producing good quality planting material. And spending more
time in preparing plants on state nurseries. In the Eleventh Five Year
Plan, ten thousand hectares under new orchard every year was planned
for the state, for which an average of 30 lakh plants have to be
arranged per year in the state, whereas only 10 to 12 lakh plants were
being available, the deficiencies of planting material fullfilled by
the RAJHANS nurseries. To fullfill the gap of demand and supply of
plants the farmers of the state they buy the plants from outside the
state, which has a mortality rate of more than 50 percent. Plants
purchased from outside were relatively expensive.
The area of fruits, spices, flowers, vegetables and medicinal
crops in the state is 168,000 hectare which is only 4.00 percent of the
total area of cultivable area of 206.61 lakh hectare which should be
at least 10 percent. On average, one lakh kg of seeds are required for
crops, vegetables, spices etc. Whereas only 5000 Kg seeds are available
in the state. In the aforesaid purpose, it has become necessary that in
order to provide autonomy for the production of plants in the
commercially and viable manner of the government nurseries, department
of horticulture constitute a State Horticulture and Nursery Society
(RAJHANS) by a Cabinet note 20/2006 to work as a Autonomy body. Since
2008-09, RAJHANS has been providing quality plant material with its
limited resources to the farmers.
Society Objectives:
The following objectives of this institution are: -
1. Work on all subjects related to horticulture development in the state.
2.To available the healthy Biju, Grafted, Buded and other types of quality of advanced varieties to the farmer of the state
3. Strengthening of all the nurseries through the Horticulture department in the state,for arrangements of the planting material and other horticultural inputs and make them self-reliant for meet their physical and financial needs.
4. To provide technical kow-how for establishment of new nurseries for the production of plants and promotion of organic farming.
5. Promotion of establishment of orchards, maintenance and production of new species of plants in ancient maart gardens and small gardens.
6. Fulfilling the demand of the good planting material by the production of various types of plants in the private sector for the farmers of the state.
7. Establishment of orchards in the state at different levels of modern and high-tech plants based on the business level and to register them.
8. Promotion, training, demonstration, skilled experts and the general public, through experts advise and other promotional activities for the farmers, other departments, voluntary organizations, boards, private and public sector undertakings etc. Increasing employment opportunities by providing services to workers.
9. To organize post harvest management, preservation laboratories, packing, grading, value addition unit installation etc. for the development of the industry.
10. Supplying quality plants and other essential materials from state and outside the state for farmers, general public, various institutions / departments etc. and to work for getting more value of the products and services available in the state.
11. Providing various types of horticultural crops such as fruits, vegetables, spices, medicinal and fragrant crops, flower ornamental, etc., in the state, with the production of planting material to various departments and farmers / institutions etc.
12. To operate and supply plants, machinery, shielding substances, all inputs (seeds, fertilizers, chemicals etc.), plastics etc. from various institutions / private sector and to provide them to others as a unified institution.
2.To available the healthy Biju, Grafted, Buded and other types of quality of advanced varieties to the farmer of the state
3. Strengthening of all the nurseries through the Horticulture department in the state,for arrangements of the planting material and other horticultural inputs and make them self-reliant for meet their physical and financial needs.
4. To provide technical kow-how for establishment of new nurseries for the production of plants and promotion of organic farming.
5. Promotion of establishment of orchards, maintenance and production of new species of plants in ancient maart gardens and small gardens.
6. Fulfilling the demand of the good planting material by the production of various types of plants in the private sector for the farmers of the state.
7. Establishment of orchards in the state at different levels of modern and high-tech plants based on the business level and to register them.
8. Promotion, training, demonstration, skilled experts and the general public, through experts advise and other promotional activities for the farmers, other departments, voluntary organizations, boards, private and public sector undertakings etc. Increasing employment opportunities by providing services to workers.
9. To organize post harvest management, preservation laboratories, packing, grading, value addition unit installation etc. for the development of the industry.
10. Supplying quality plants and other essential materials from state and outside the state for farmers, general public, various institutions / departments etc. and to work for getting more value of the products and services available in the state.
11. Providing various types of horticultural crops such as fruits, vegetables, spices, medicinal and fragrant crops, flower ornamental, etc., in the state, with the production of planting material to various departments and farmers / institutions etc.
12. To operate and supply plants, machinery, shielding substances, all inputs (seeds, fertilizers, chemicals etc.), plastics etc. from various institutions / private sector and to provide them to others as a unified institution.
Rajhans Nurseries
- Chopasani Jodhpur
- Ganeshpura Dausa
- ATC Nursery Chittorgarh
- ATC Nanta, Kota
- ATC Nursery Swai Madhopur
- Baas Bisana Jhunjhunu
- Bada Ka Bag, Umren
- Baharavaanda Khurd Swai Madhopur
- Dewrawas Tonk
- Dhindhol, Bassi Jaipur
- Durg Chitorgarh
- Fruit Farm Sri Ganagnagar
- Gadi Banswara
- Jaisamand Nursery Udaipur
- Kalmi Bag Bhusawar Bharatpur
- Malarna Dungar Swai Madhopur
- Malharsingh Bag Jhalawar
- Mount Abu Sirohi
- Nala Garden Jaipur
- Narayan Vilas Alwar
- Pushkar Nursery Ajmer
- Rajhans Nursery Unit Mavli
- Rajhans Palsana Sikar
- Rajhans Unit Reni Bag Kota
- RamBag Bari Dhaulpur
- Sadri Pali
- Sagra Bhojka,Jaisalmer
- Sunari Nagaur
- Suwana Nursery
- Tabiji Nursery
Very helpful information. Agriculture Studyy
ReplyDeleteThanks...
DeleteBahut hi badiya jankari di hai sir
ReplyDeleteAgriculturee crops
Thank you so much
Thanks...
DeleteThanks for sharing this useful information
ReplyDeleteOrganic online store Hyderabad