Skip to main content

State Level Ambedkar Award of Rajasthan राजस्थान के राज्य स्तरीय अम्‍बेडकर पुरस्‍कार

राज्य स्तरीय अम्‍बेडकर पुरस्‍कार-

राज्‍य सरकार अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक उत्‍थान कर उन्‍हें राष्‍ट्र की मुख्‍य धारा में लाने के लिए कृत संकल्‍प है। भारत रत्‍न डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ने राष्‍ट्रीय सोच के अन्‍तर्गत पिछड़े लोगों को राष्‍ट्र की मुख्‍य धारा में लाने के लिए अपना सम्‍पूर्ण जीवन समर्पित किया। राज्‍य सरकार द्वारा डॉ. अम्‍बेडकर के विचारों से प्रेरणा लेकर उनके नाम से उनकी जयन्‍ती दिनांक 14 अप्रेल, 2005 को राज्‍य में सामाजिक सेवा, शिक्षा, महिला उत्‍थान एवं न्‍याय के क्षेत्रों में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने वाले व्‍यक्तियों अथवा संस्‍थाओं को प्रति वर्ष अम्‍बेडकर पुरस्‍कार से सम्‍मानित करने हेतु निम्‍न पुरस्‍कार प्रारम्‍भ किये गये :-

1. अम्‍बेडकर सामाजिक सेवा पुरस्‍कार-

पुरस्‍कार हेतु पात्रता -

यह निम्‍नानुसार पात्रता रखने वाले व्‍यक्ति अथवा संस्‍था को दिया जाता है :-

  • राजस्‍थान का मूल निवासी हो / राजस्‍थान मूल की पंजीकृत संस्‍था हो।
  • जिला कलक्‍टर से उच्‍च चरित्र एवं उच्‍च प्रतिष्‍ठा का प्रमाण-पत्र प्राप्‍त हो।
  • संस्‍था/ व्‍यक्ति कम से कम 5 वर्ष से पंजीकृत होकर अनुसूचित जातियों/ जनजातियों की सामाजिक सेवा में कार्यरत रही हो।
  • सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार/ राज्‍य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लक्षित वर्ग तक पहुँचाने में उल्‍लेखनीय भूमिका/ योगदान रहा हो।
  • संस्‍था/ व्‍यक्ति द्वारा समाज से आर्थिक सहायता लेकर अथवा स्‍वयं के स्रोतों से वंचित वर्ग के लिए कार्य किये हों।

उक्‍तानुसार पात्रता रखने वाले व्‍यक्तियों/ संस्‍थाओं से प्राप्‍त आवेदन पत्रों में से एक का चयन गठित समिति द्वारा किया जाता है। 

पुरस्कार राशि-

चयनित व्‍यक्ति/ संस्‍था को एक लाख रुपये एवं प्रशस्ति पत्र से सम्‍मानित किया जाता है।

आवेदन पत्र -

 

2. अम्‍बेडकर महिला कल्‍याण पुरस्‍कार-

पुरस्‍कार हेतु पात्रता -

यह पुरस्‍कार निम्‍नानुसार पात्रता रखने वाली महिला/ महिलाओं की संस्‍था को दिया जाता है :-
  • राजस्‍थान की मूल निवासी हो / संस्‍था राजस्‍थान में पंजीकृत हो।
  • जिला कलक्‍टर द्वारा उच्‍च चरित्र एवं उच्‍च प्रतिष्‍ठा का प्रमाण-पत्र।
  • संस्‍था/ महिला कम से कम 4 वर्ष से पंजीकृत होकर अनुसूचित जातियों/ जनजातियों की महिलाओं के उत्‍थान हेतु कार्यरत रही हो।
  • महिला उत्‍थान के क्षेत्रों में भारत सरकार/ राज्‍य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ लक्षित वर्ग तक पहुंचाने में उल्‍लेखनीय योगदान रहा हो।
  • संस्‍था/ महिला द्वारा समाज से आर्थिक सहायता लेकर अथवा स्‍वयं के स्रोतों से वंचित वर्ग के लिए कार्य किया हो।

उक्‍तानुसार पात्रता रखने वाले संस्‍थाओं/ महिलाओं से प्राप्‍त आवेदन पत्रों में से एक का चयन गठित समिति द्वारा किया जाता है।

पुरस्कार राशि-

चयनित संस्‍था/ महिला को 51 हजार रूपये एवं प्रशस्ति पत्र से सम्‍मानित किया जाता है। 

आवेदन पत्र -

3. अम्‍बेडकर न्‍याय पुरस्‍कार-

पुरस्‍कार हेतु पात्रता -

यह पुरस्‍कार निम्‍नानुसार पात्रता रखने वाले अधिवक्‍ता को दिया जाता है :-
  • राजस्‍थान की मूल निवासी हो।
  • जिला कलक्‍टर एवं जिला सेशन न्‍यायाधीश द्वारा उच्‍च चरित्र एवं उच्‍च प्रतिष्‍ठता प्रमाण-पत्र।
  • अधिवक्‍ता कम से कम 10 वर्ष से वकालत हेतु पंजीकृत होकर अनुसूचित जाति/ जनजाति के व्‍यक्तियों के न्‍यायिक प्रकरणों में अधीनस्‍थ, उच्‍च एवं उच्‍चतम न्‍यायालय में नि:शुल्‍क/ न्‍यून शुल्‍क पर पैरवी कर ऐसे प्रकरणों का निर्णयों सहित विवरण तथा इन निर्णयों से हुये प्रभाव।
  • अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों एवं राजकीय सेवाओं के कार्मिकों के कल्‍याण के लिये प्रचलित अधिनियमों/ नियमों में कोई संशोधन करवाया हो/ नये अधिनियम/ नियम बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका।
उक्‍तानुसार पात्रता रखने वाले अधिवक्‍ताओं से प्राप्‍त आवेदन पत्रों में से एक का चयन निर्धारित समिति द्वारा किया जाता है। 

पुरस्कार राशि-

चयनित अधिवक्‍ता को 51 हजार रूपये एवं प्रशस्ति पत्र से सम्‍मानित किया जाता है। 

आवेदन पत्र -

4. अम्‍बेडकर शिक्षा पुरस्‍कार-

पुरस्‍कार हेतु पात्रता -

राजस्‍थान के माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की कक्षा 10 एवं 10+2 की परीक्षाओं में कला, विज्ञान एवं वाणिज्‍य वर्गों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग में सर्वोच्‍च स्‍थान प्राप्‍त करने वाले विद्यार्थियों को।

पुरस्कार राशि-

प्रति विद्यार्थी 51 हजार रूपये व प्रशस्ति पत्र से सम्‍मानित किया जाता है। इस वर्ग में प्रतिवर्ष 8 पुरस्‍कार दिये जाते हैं।
 

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली