Skip to main content

गुड गवर्नेन्स के क्षेत्र में राजस्थान देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य

सुशासन के लिए राजस्थान देश में पहले स्थान पर, सीएम गहलोत ने ग्रहण किया अवार्ड

एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान की ओर से 'स्टेट ऑफ स्टेट्स कॉन्क्लेव 2019’ में राजस्थान को ’बेस्ट परर्फोमिंग बिग स्टेट इन गवर्नेन्स’ घोषित किया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 22 नवम्बर को दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से यह अवार्ड ग्रहण किया। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने गुड गवर्नेन्स के क्षेत्र में राजस्थान को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनने की उपलब्धि पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है।
 
मुख्यमंत्री ने कॉन्क्लेव में कहा कि राजस्थान सुशासन के क्षेत्र में हमेशा ही अग्रणी राज्य रहा है। हमारी सरकार ने देश में सबसे पहले ’सूचना का अधिकार’ कानून लागू किया, जिसे बाद में केन्द्र सरकार ने पूरे देश के लिए कानून बनाकर लागू किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने राजस्थान की जनता को ’सुनवाई का अधिकार’ दिया है, जिसके माध्यम से सभी जिम्मेदार अधिकारी आम आदमी की बात सुनने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं। 

श्री गहलोत ने कहा कि ’मॉब लिंचिंग’ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने सख्त कानून बनाया है। यह कानून भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति पर गैर-कानूनी तरीके से हमले की घटनाओं को रोकने में कारगर सिद्ध होगा। इसी प्रकार ’ऑनर किलिंग’ के खिलाफ भी राजस्थान सरकार ने सख्त कानून बनाया है, जिससे लोगों के अपनी मर्जी से जीने के अधिकार और जाति या धर्म के आधार पर सामाजिक भेदभाव को रोकने को मजबूती मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों के लिए ’स्वास्थ्य के अधिकार’ की पैरवी करते हुए इसे भी कानूनी रूप देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकारों को ये प्रयास करने चाहिए कि हर एक आम नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने लगभग एक दशक पहले निःशुल्क दवा एवं जांच योजनाओं के रूप में इस दिशा में कदम बढ़ाए थे, जिनको विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत सरकार तथा विभिन्न प्रदेशों की सरकारों की सराहना मिली। 

उल्लेखनीय है कि गवर्नेन्स के क्षेत्र में इस रैंकिंग के लिए विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड, पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी, पंचायतीराज संस्थाओं के लिए अधिकारों के वितरण, नागरिकों और पंचायतों के लिए ई-सेवाओं की उपलब्धता, इज ऑफ डूंइग बिजनेस और विभिन्न सेवाओं के डिजिटलीकरण की स्थिति आदि विषयों में राज्य के प्रदर्शन को आधार बनाया गया है।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली