कौओें की मृत्यु पर, पशुपालन विभाग ने उठाये एहतियाती कदम
राज्य स्तर पर नियन्त्रण कक्ष स्थापित
जयपुर
03 दिसम्बर।
हाल ही में झालावाड में एवियन इनफ्लूएन्जा या बर्ड फ्लू से हुई कौओं की
मृत्यु की पुष्टि के दृष्टिगत राज्य में मुर्गीपालन व्यवसाय की सुरक्षा को
लेकर विभागीय स्तर पर एहतियात के तौर पर की गई तैयारी की जानकारी देने के
उद्देश्य से रविवार 03 दिसम्बर को यहां जयपुर में पशुधन भवन के सभागार में आयोजित बैठक में
पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुंजी लाल मीणा ने अवगत कराया कि
राज्य में एवियन इनफ्लूएन्जा को लेकर विभाग पूरी तरह सतर्क एवं सजग है ओर
राज्य में मुर्गीपालन से जुड़ें मुर्गीपालकों को वर्तमान में चिन्तित होने
की आवश्यकता नही है।
वर्तमान में कौओें में मृत्यु
के कारण जानने के लिये राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल को
भेजे गये सैम्पल में कौओें में एवियन इनफ्लूएन्जा से मौत की पुष्टि हुई है।
पशुपालन विभाग द्वारा प्रभावित क्षेत्र में स्थानों को चिन्हि्त कर मृत
पक्षियों के शवों का वैज्ञानिक रूप से निस्तारण किया जा रहा है तथा बीमार
पक्षियों का उपचार हेतु पशुपालन विभाग एवं वन विभाग की विशेष देखरेख में
रखा जा रहा है।
श्री कुंजी लाल मीणा नेे बताया
कि प्रदेश मे अब तक झालावाड मे 100, कोटा मे 47, बांरा मे 72, पाली मे 19,
जोधपुर मे 07 तथा जयपुर जलमहल में 07 सहित कुल 252 कौवो की मौत की सूचना
प्राप्त हुई है। जोधपुर, कोटा, बारां एवं जयपुर में मृत कौओं के शव व अन्य
नमूने एवियन इनफ्लूएन्जा संदर्भ प्रयोगशाला, भोपाल को रोग की पुष्टि हेतु
भिजवाये गये हैं।
कौओें की मौत होने की सूचना
प्राप्त होते ही विभाग द्वारा तुरन्त कार्यवाही करते हुए कोटा और जोधपुर
संभाग मे उच्च अधिकारियों द्वारा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का
मौका मुआयना किया गया, साथ ही स्थिति अनुसार व्यापक इंतजाम किये जाने हेतु
क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देंशित किया गया है।
मुख्य
वन्यजीव प्रतिपालक, श्री मोहन मीणा ने अवगत कराया कि कौओें में हो रही
असामान्य मृत्यु की स्थिति से निपटने के लिए वन एवं पशुपालन विभाग के
कर्मियों द्वारा आपसी सामंजस्य एवं सहयोग से कार्य किया जा रहा है।
शासन
सचिव पशुपालन विभाग, डॉ. आरूषि मलिक ने बताया कि स्थिति पर कड़ी निगरानी के
लिये विभाग द्वारा विशेषज्ञ दल गठित कर कोटा, जोधपुर, भरतपुर एवं अजमेर
सम्भाग के लिये रवाना किया जा रहा है। यह दल विशेष रूप से अजमेर में
कुक्कुटपालकों से सम्पर्क स्थापित कर तथा भरतपुर के केवला देव उद्यान का
दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगा। साथ ही गत वर्ष सांभर झील में हुई प्रवासी
पक्षियों की मृत्यु की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ दल, सप्ताह में एक दिन
सांभर झील जयपुर का दौरा करेगी।
पशुपालन विभाग के
निदेशक डॉ. विरेन्द्र सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखने के लिये विभाग
द्वारा राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जिसका दूरभाष
नंबर 0141-2374617 है। विभाग के स्तर से 30 दिसम्बर 2020 को समस्त जिला
अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों को तवरित
कार्यवाही एवं आपसी समन्वय हेतु निर्देशिका जारी कर दी गई है। इस संबंध में
जिला कलेक्टर को सतर्कता बरतने के लिये निदेर्शित किया जा रहा है। किसी भी
आपातकालीन स्थिति के लिये नियंत्रण कक्ष से सम्पर्क किया जा सकता है।
प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दौरान पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित
थे।
क्या होता है एवियन इनफ्लूएन्जा
- एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian influenza-AI) एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो खाद्य-उत्पादन करने वाले पक्षियों (मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी फाउल, आदि) सहित पालतू पक्षियों और जंगली पक्षियों की कई प्रजातियों को प्रभावित करती है।
- यह विषाणु जिसे इन्फ्लूएंजा ए (Influenza- A) या टाइप ए (Type- A) विषाणु कहते है, सामान्यतः पक्षियों में पाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह मानव सहित अन्य कई स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है। जब यह मानव को संक्रमित करता है तो इसे इन्फ्लूएंजा (श्लेष्मिक ज्वर) कहा जाता है।
- एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस को उनकी सतह के प्रोटीन के आधार पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, जैसे हेमग्लगुटिनिन और न्यूरोमिनिडेस।
इन्फ्लूएंजा ए के कई प्रकार होते हैं जिन्हे सबसे पहले 1878 मे इटली में एक पक्षी में पाया गया था। इस बीमारी को अलग से पहचानने के लिए कोई खास लक्षण नहीं होते हैं और इसके अधिकतर प्रकारो मे कई कमजोर लक्षण जैसे सांस लेने मे कठिनाई, जो आम जुकाम का भी एक लक्षण है, पाये जाते हैं। कुछ प्रकार के इन्फ्लूएंजा ए का संक्रमण पक्षियों को और कुछ का मनुष्य और अन्य स्तनधारियों को मारने मे सक्षम होता है।
H5N1
सभी ज्ञात इन्फ्लूएंजा वायरस में, H5N1 को अत्यधिक घातक माना जाता है। यह इंसानों को संक्रमित करने वाला पहला एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस था। H5N1 का पहला संक्रमण 1997 में हांगकांग में हुआ था। H5N1 स्वाभाविक रूप से जलपक्षी (waterfowl) में होता है।
Global Influenza Surveillance and Response System (GISRS)
यह 1952 में शुरू किया गया था। इसमें राष्ट्रीय इन्फ्लुएंजा केंद्र और WHO सहयोगी केंद्र शामिल हैं। यह सिस्टम मुख्य रूप से संभावित महामारी वायरस के प्रकोप की निगरानी पर केंद्रित है। यह इन्फ्लूएंजा के लिए ग्लोबल अलर्ट सिस्टम की रीढ़ है।
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