केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी)
CENTRAL ELECTRICITY REGULATORY COMMISSION (CERC)-
केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) की स्थापना भारत सरकार ने विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के प्रावधानों के तहत की थी।
सीईआरसी विद्युत अधिनियम 2003 के तहत गठित एक केन्द्रीय आयोग है।
विद्युत अधिनियम 2003 को ईआरसी अधिनियम 1998 के स्थान पर लाया गया था।
आयोग में एक अध्यक्ष और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकार के अध्यक्ष, जोकि आयोग के पदेन सदस्य होते हैं, समेत चार अन्य सदस्य होते हैं।
अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी - श्री पी.के. पुजारी, (1 फरवरी 2018 - कार्यरत)
सदस्य - श्री इंदु शेखर झा - सदस्य (21 जनवरी 2019 से पदासीन)
पदेन सदस्य - अध्यक्ष, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकार (सीईए) (पूर्व अधिकारी)
सदस्य - श्री अरुण गोयल (07-04-2020 से पदासीन)
सदस्य (विधि) - प्रवास कुमार सिंह (22-02-2021 से पदासीन)
केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग के उद्देश्य :
भारतीय विद्युत ग्रिड संहिता, उपलब्धता आधारित टैरिफ (एबीटी) के माध्यम से क्षेत्रीय पारेषण प्रणालियों के प्रचालन और प्रबंधन में सुधार करना ,
एक कारगर टैरिफ निर्धारण तंत्र को तैयार करना जिससे थोक विद्युत और पारेषण सेवाओं की कीमत के संबंध में मितव्ययिता और कार्यकुशलता और न्यूनतम लागत पर निवेश सुनिश्चित होगा
अंतर-राज्यिक पारेषण में निर्बाध पहुंच को सुकर बनाना,
अंतर-राज्यिक व्यापार को सुकर बनाने के लिए एक बाजार संरचना के सृजन द्वारा विद्युत बाजार के विकास को प्रोत्साहन देना
सभी पणधारियों के लिए जानकारी देने में सुधार
थोक ऊर्जा तथा पारेषण सेवाओं में प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के विकास के लिए अपेक्षित तकनीकी तथा संस्थानिक परिवर्तनों को सुकर बनाना
प्रतिस्पर्धात्मक बाजारों के सृजन के प्रथम उपाय के रूप में, पर्यावरणीय, सुरक्षा तथा विद्यमान विधायी अपेक्षाओं की सीमा के भीतर पूंजी तथा प्रबंधन के लिए प्रवेश तथा निकासी की बाधाओं के संबंध में सलाह देना
विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत सीईआरसी के मुख्य कार्य-
केंद्रीय सरकार के स्वामित्व वाली अथवा उसके द्वारा नियंत्रित उत्पादन कंपनियों के टैरिफ का विनियमन करना;
खंड (क) में विनिर्दिष्ट केंद्रीय सरकार के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा नियंत्रित उत्पादन कंपनियों से भिन्न उत्पादन कंपनियों के टैरिफ का विनियमन करना, यदि ऐसी उत्पादन कंपनियां एक राज्य से अधिक राज्यों में विद्युत के उत्पादन और विक्रय के लिए संयुक्त स्कीम में शामिल होती हैं या अन्यथा उनकी ऐसी कोई संयुक्त स्कीम है;
विद्युत के अंतर-राज्यिक पारेषण को विनियमित करना;
विद्युत के अंतर-राज्यिक पारेषण के लिए टैरिफ अवधारित करना;
किन्हीं व्यक्तियों को पारेषण अनुज्ञप्तिधारी और उनकी अंतर-राज्यिक संक्रियाओं की बाबत विद्युत व्यापारी के रूप में कृत्य करने के लिए अनुज्ञप्ति जारी करना;
खंड (क) से खंड (घ) तक से संसक्त विषयों के संबंध में उत्पादन कंपनियों या पारेषण अनुज्ञप्तिधारी को अंतर्वलित करने वाले विवादों का न्याय निर्णयन करना तथा मध्यस्थता के लिए किसी विवाद को निर्दिष्ट करना;
अधिनियम के प्रयोजनों के लिए फीस उदगृहीत करना;
ग्रिड मानकों को ध्यान में रखते हुए, ग्रिड कोड विनिर्दिष्ट करना;
अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा सेवा की गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वसनीयता की बाबत मानकों को विनिर्दिष्ट और प्रवृत्त करना;
विद्युत के अंतर-राज्यिक व्यापार में, यदि आवश्यक समझा जाए, व्यापार अंतर को नियत करना;
ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन करना जो अधिनियम के अधीन समनुदेशित किए जाएं।
अधिनियम के अंतर्गत सीईआरसी केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय विद्युत नीति और शुल्क नीति तय करने की सलाह दे सकती है, विद्युत उद्योग की गतिविधियों में प्रतिस्पर्धा, कुशलता तथा मितव्ययिता को बढ़ाने और विद्युत उद्योग में निवेश को बढ़ाने के सुझाव देने के अलावा सरकार द्वारा इस केन्द्रीय आयोग को भेजे गए अन्य कार्य भी उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
संपर्क सूत्र--
केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी)
तीसरा तथा चौथा तल,
चन्द्रलोक बिल्डिंग,
36 जनपथ, नई दिल्ली – 110001,
फोन: 91-11-23353503
फैक्स : 91-11-23753923
E-mail: info@cercind.gov.in
पोर्टल- http://www.cercind.gov.in
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