Kya Hota Hai Sivay Chak bhumi सिवायचक भूमि पर बसे गाँवों को भूमि रूपान्तरण के बाद पट्टे जारी होंगे- नगरीय विकास मंत्री
सिवायचक भूमि पर बसे गाँवों को भूमि रूपान्तरण के बाद पट्टे जारी होंगे- नगरीय विकास मंत्री
नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल ने शुक्रवार को विधानसभा में राजस्व मंत्री की ओर से बताया कि सिवायचक भूमि shivay chak bhumi पर बसे गाँवों में भूमि रूपान्तरण के बाद ही ग्राम पंचायतों द्वारा आबादी पट्टे जारी किये जा सकते हैं।
श्री धारीवाल ने प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस सम्बन्ध में पूछे गये पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि सिवाय चक जमीन पर बसे गावों को आबादी क्षेत्र में भूमि रूपान्तरण के लिए पहले ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव जिला कलक्टर को भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिला कलक्टर द्वारा भूमि रूपान्तरण आबादी क्षेत्र में करने के बाद ही ग्राम पंचायत ऎसी भूमि पर बसे गांवाें व लोगों को पट्टे जारी कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गावों में ऎसी भूमि जिस पर वर्षों से लोग बसे हुए हैं और वह पहले से ही आबादी क्षेत्र घोषित है ऎसे क्षेत्रों में बसे लोगाें को स्थानीय ग्राम पंचायत पट्टे जारी कर सकती है।
इससे पहले विधायक श्रीमती शकुन्तला रावत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री धारीवाल ने बताया कि सिवाय चक गैर मुमकिन एवं पहाड़ वर्गीकरण की भूमियां स्थानीय आवश्यकताओं के आंकलन पश्चात भूमि का आवंटन स्थानीय निकाय या ग्राम पंचायत को किया जाता है, तदुपरान्त निकाय या ग्राम पंचायत द्वारा पट्टे दिये जाने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि गोचर किस्म की भूमियों को सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय की पालना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं भूमिहीन कृषक जिनको स्थानीय निकाय या पंचायत द्वारा पट्टे जारी किए जा चुके हैं, राज्य सरकार की स्वीकृति के उपरान्त योजना बनाकर निकाय या पंचायत द्वारा नियमित किया जा सकता है। शेष के लिए चारागाह भूमि प्रतिबंधित होने के कारण नियमितिकरण नहीं किया जाता है।
श्री धारीवाल ने बताया कि ऎसे गांव जो वर्षों से बसे हैं जो आबादी क्षेत्र में घोषित हो चुके हैं, उनमें विशेष परिस्थितियों को देखते हुए स्कूल, अस्पताल, श्मशान, पंचायत भवन आदि को पंचायत द्वारा पट्टे दिये जा सकते हैं।
क्या है सिवायचक भूमि की परिभाषा
सिवाय चक भूमि shivay chak bhumi का क्या अर्थ है यह जानने के लिए हमें जयपुर रियासत भू राजस्व व्यवस्था पर दृष्टिपात करना होगा। रियासत कालीन जयपुर राज्य में जब भू-प्रबन्धन हुआ तब जो जमीन किसी की नहीं थी उसे राजा की जमीन मान लिया गया। जयपुर के राजा सवाई उपाधि धारण करते थे तो उस फालतू कृषि भूमि को राजा के नाम लिखने का कारण इस प्रकार की भूमि को सिवाय चक कहा लगा था। सिवाय चक में सिवाय तो सवाई है जो राज्य का द्योतक है और चक का अर्थ जमीन का टुकड़ा है। अर्थात यह सवाई चक असल में अनधिवासित अर्थात अनऑक्यूपाइड लैंड है। ग्राम पंचायत को आबादी विस्तार और सार्वजनिक सुविधा हेतु आरक्षित की गई भूमि नजूल लैंड या आबादी भूमि है, वह सवायचक नहीं है। पंचायत नियमों के अनुसार सिवायचक भूमि का भूमिदार तहसीलदार होता है अतः पंचायत सिवायचक भूमि का पट्टा नहीं दे सकती है।
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