Skip to main content

ग्लोबल बायो-इंडिया 2021 आयोजित होगा 1 से 3 मार्च, 2021 तक

ग्लोबल बायो-इंडिया 2021 आयोजित होगा 1 से 3 मार्च, 2021 तक

क्या है ग्लोबल बायो इंडिया (Global Bio-India)

  • पिछले कुछ दशकों के दौरान जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के अभिन्न अंग के रूप में उभरा है और भारत सरकार 2025 तक 150 अरब डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए एक परिवर्तनकारी और उत्प्रेरक की भूमिका निभा रही है। 
  • भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के लिए जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को प्रमुख क्षेत्रों में से एक क्षेत्र के रूप में पहचान की गई है।
  • ग्लोबल बायो-इंडिया जैव प्रौद्योगिकी पक्षधारकों के सबसे बड़े संगठनों में से एक है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और उसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के साथ मिलकर उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी लेड एंटरप्राइजेस (एबीएलई) और इन्वेस्ट इंडिया के साथ भागीदारी में आयोजित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर और वैश्विक समुदाय के समक्ष भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की क्षमता और इसमें मौजूद अवसरों के प्रदर्शन के लिए 1-3 मार्च, 2021 के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ग्लोबल बायो-इंडिया के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जाएगा। 

ग्लोबल बायो-इंडिया का इस साल के लिए मुख्य विषय-  

बदलती जिंदगियां 

ग्लोबल बायो-इंडिया की इस साल के लिए टैगलाइन-

जैव विज्ञान से जैव अर्थव्यवस्था

ग्लोबल बायो-इंडिया के आयोजक -

  1. जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) भारत सरकार

  2. जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC-Biotechnology Industry Research Assistance Council)

पूर्व में आयोजित ग्लोबल बायो-इंडिया 2019 की विशेषताएँ -

  • नई दिल्ली में हुए ग्लोबल बायो-इंडिया 2019 के पहले संस्करण को खासी सफलता मिली थी, जिसे 25 से ज्यादा देशों, 190 प्रदर्शकों, 2,500 से ज्यादा प्रतिनिधियों, 300 से ज्यादा स्टार्टअप्स, 50 से ज्यादा इनक्यूबेटर्स, 60 से ज्यादा अनुसंधान संस्थानों की भागीदारी, 800 से ज्यादा जैव साझीदारों की बैठकों और 9 राज्यों के प्रस्तुतीकरण के साथ खासी सफलता मिली थी।

ग्लोबल बायो- इंडिया, 2021 की विशेषताएँ -

  • ग्लोबल बायो- इंडिया, 2021 में 50 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने का अनुमान है। 
  • साथ ही अभी तक इसके साथ साझीदार देश के रूप में स्विट्जरलैंड और साझीदार राज्य के रूप में कर्नाटक जुड़ा हुआ है। 
  • इस जैव प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के साथ कुछ अन्य भागीदारों के जुड़ने का अनुमान है। 200 से ज्यादा प्रदर्शकों, 5000 से ज्यादा प्रतिनिधियों और 1000 से ज्यादा स्टार्टअप्स के साथ इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों, स्टार्टअप्स और मझोले व बड़े उद्यमों, निवेशकों, नियामकों, नीति निर्माताओं, समर्थकों और भारत में नवाचार के माहौल को प्रोत्साहन देने वाले राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा। 
  • इस जैव प्रौद्योगिकी कार्यक्रम का आयोजन इस बार वर्चुअल माध्यम से होगा।
  • भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास में कई सहायक क्षेत्रों की भूमिका पर जोर के साथ, इसमें विभिन्न खंडों के 24 ज्ञान सत्र हैं, जो तीन दिन तक चलेंगे। 

ग्लोबल बायो इंडिया (Global Bio-India) 2021 के मुख्य ज्ञान सत्र -

  • कोविड से भारत की लड़ाई विज्ञान से आपूर्ति तक कोविड 19 वैक्सीन का सफर

  •  हैल्थ कॉनक्लेव; स्टार्टअप कॉनक्लेव; 

  • फाइटोफार्मा और पारम्परिक ज्ञान; 

  • स्वच्छ ऊर्जा कॉनक्लेव; 

  • सूक्ष्म दवा और डाटा चालित जीव विज्ञान;  

  • महिला उद्यमी कॉनक्लेव;  

  • राज्य सत्र; 

  • अंतर्राष्ट्रीय निवेशक सम्मेलन आदि।

ग्लोबल बायो-इंडिया 2021 के उद्देश्य -

  • इसका उद्देश्य बायोटेक समुदाय के लिए मेगा इवेंट भारतीय जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अवसरों को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना व निवेश आकर्षित करना है। 
  • इसमें भारत की स्वदेशी ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा। 
  • सम्मेलन में स्वदेशी प्रतिभा पूल की आशाओं और आकांक्षाओं को जोड़ा जाएगा।
  • जैव - साझेदारी, नीति चर्चा, भारत के लिए सीईओ की योजनाएँ।
  • अनुसंधान और विकास के लिए धन और सहयोग के अवसरों की पहचान करना।
  • मौजूदा उत्पादों के लिए लाइसेंसिंग विकल्पों का अन्वेषण करना।
  • अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ भारत में प्रमुख वैश्विक उद्यम वित्त पोषण से प्रमुख अनुबंध परियोजनाओं को आकर्षित करना।
  • नए विचार मूल्यांकन और निवेश के लिए मंच बनाना।
  • राज्य सरकारों के लिए विदेशी निवेश को उनके संबंधित राज्यों में आकर्षित करने के लिए जैव-फार्मा, जैव-कृषि, जैव-औद्योगिक, जैव-ऊर्जा, जैव-विनिर्माण, जैव-सेवा आदि सहित सभी उप-क्षेत्रों में प्रमुख रुझानों और नीतिगत हस्तक्षेपों पर चर्चा करना और takeaways स्थापित करना।
  • भारतीय बायोटेक पारिस्थितिकी तंत्र को अंतर्राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ना।
  • अन्य सफल भौगोलिक और कंपनियों के सीखने का मंच अनुभव ।
  • उद्योग के साथ अनुसंधान संस्थानों की बातचीत को सुगम बनाना।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली