Skip to main content

Rajasthan Current Affairs 1-9 march 2021

महिला सशक्तीकरण की दिशा में मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण निर्णय | अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर धौलपुर की बेटी के अदम्य साहस का किया सम्मान, पुलिस उप निरीक्षक के पद पर नियुक्ति को दी मंजूरी


जयपुर, 8 मार्च। अपनी जान की बाजी लगाकर हार्डकोर अपराधी को भगाने की हथियारबंद बदमाशों की गहरी साजिश नाकाम करने वाली धौलपुर की बहादुर बेटी वसुन्धरा चौहान को राज्य सरकार ने पुलिस उप निरीक्षक के पद पर सीधी नियुक्ति देने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए वसुन्धरा के अदम्य साहस एवं शौर्य को सम्मान देते हुए इसकी मंजूरी दे दी है। 


श्री गहलोत के इस निर्णय से न केवल महिलाओं के असाधारण साहस का सम्मान होगा बल्कि अन्य लोग भी ऎसी परिस्थितियों में पुलिस को सहयोग करने का जज्बा जुटा पाएंगे।


उल्लेखनीय है कि 3 मार्च को चार पुलिसकर्मियों का चालानी दल उम्रकैद की सजा भुगत रहे अपराधी धर्मेन्द्र उर्फ लुक्का को धौलपुर में पेशी के बाद रोडवेज बस से भरतपुर की सेवर जेल में ले जा रहा था। रास्ते में पांच हथियारबंद बदमाश बस रूकवाकर उसमें सवार हो गए और चालानी गार्डों की आंखों में मिर्च पाउडर फेंक कर उनके हथियार छीनने लगे। 


इन बदमाशों में से एक ने देशी कटटे से फायर कर अन्य यात्रियों को भी भयभीत कर दिया। इसी दौरान बस में सवार वसुन्धरा एवं एक अन्य आरएसी जवान कमर सिंह जान की परवाह किए बगैर अपराधियों से भिड़ गए। वसुन्धरा बदमाशों से गुत्थमगुत्था हो गई और कमर सिंह पर हमला कर रहे दो बदमाशों को उनके हथियारों सहित नीचे गिरा दिया। दोनों का साहस देख बस में सवार अन्य यात्री तथा चालानी गार्ड भी बदमाशों से आमने-सामने हो गए। इससे बदमाशों में हडकंप मच गया और वे बस से भाग खड़े हुए। बहादुरी के लिए राज्य सरकार आरएसी कांस्टेबल कमर सिंह को हैड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति तथा वसुन्धरा को प्रशस्ति पत्र सेे सम्मानित भी कर चुकी है।


धौलपुर की शिवनगर कॉलोनी निवासी 25 वर्षीय वसुन्धरा ने एनसीसी निदेशालय से ‘सी‘ सर्टिफिकेट पहले ही प्राप्त किया हुआ है और वह क्रिमिनोलॉजी विषय सहित समाज विज्ञान में एमए उत्तीर्ण है। पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में उप निरीक्षक की सीधी भर्ती के लिए एनसीसी के ‘सी’ सर्टिफिकेट धारक तथा क्रिमिनोलॉजी में डिग्री प्राप्त अभ्यर्थी को साक्षात्कार में प्राथमिकता देने का प्रावधान है। नियुक्ति के लिए उसे राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के नियम 17 (2) (ए) के तहत आयु, शैक्षणिक योग्यता, शारीरिक दक्षता, मेडिकल फिटनेस एवं चरित्र सत्यापन की अर्हता को पूरा करना होगा। 


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बहादुर युवती को पुलिस सेवा में नियुक्ति को मंजूरी देकर श्री गहलोत ने प्रदेश की महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इससे अन्य महिलाओं को भी ऎसी विषम परिस्थितियों में अपराध के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह (Anshuman Singh) का निधन-

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह (Anshuman Singh) का सोमवार को लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में निधन हो गया। वह 86 साल के थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath), राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। रिटायर्ड जस्टिस अंशुमान सिंह ने 16 जनवरी, 1999 को राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यभार संभाला था और मई, 2003 तक वह इस पद पर बने रहे। उन्हें 1984 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया और बाद में वे राजस्थान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने।

श्री सिंह ने राजस्थान एवं गुजरात के राज्यपाल के पदों पर कार्य करते हुए सजगता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया तथा संवैधानिक मूल्यों के प्रहरी के रूप में अलग छाप छोड़ी। राजस्थान के राज्यपाल के पद पर रहते हुए प्रदेश के चहुंमुखी विकास में योगदान दिया और अकाल राहत के कार्यों में भामाशाहों को गौधन को बचाने की प्रेरणा देकर सराहनीय पहल की। राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने जनता को न्याय दिया, वे गरीबों के प्रति सदैव संवेदनशील रहे। उनके निधन से देश ने कर्मठ व्यक्तित्व के धनी एक जाने-माने न्यायाधिपति व विधिवेत्ता को खो दिया है।

श्री प्रताप कृष्ण लोहरा ने ली राजस्थान के लोकायुक्त की शपथ

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने मंगलवार 9 मार्च को जयपुर में राजभवन में पूर्व न्यायाधीश श्री प्रताप कृष्ण लोहरा को लोकायुक्त पद की शपथ दिलाई। श्री लोहरा ने ईश्वर के नाम पर हिंदी में शपथ ली। प्रारम्भ में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने लोकायुक्त पद पर श्री लोहरा की नियुक्ति का राज्यपाल श्री मिश्र द्वारा जारी किया गया वारंट हिन्दी में पढ़कर सुनाया।
 

राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति का प्रारूप जारी |  आमजन से किये सुझाव आंमत्रित


उद्योग विभाग ने मंगलवार 9 मार्च को हस्तशिल्प नीति का प्रारुप जारी कर दिया है। विभाग ने प्रारुप पर आम लोगों से सुझाव मांगे हैं। हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन देने और हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह प्रारुप तैयार किया गया है। राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किए जाएगें। उद्योग मंत्री श्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि प्रदेश में विलुप्त होती हस्तकलाओं के लिए हस्तशिल्प नीति संजीवनी का काम करेगी। इससे हस्तशिल्प से जुड़े लोग सशक्त होंगे और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

हस्तशिल्प नीति का उद्देश्य-

  • हस्तशिल्पियों के उत्थान के बेहतर मार्केट की व्यवस्था करना, 
  • प्रदेश की हस्तकलाओं को पुनर्जिवित करना, 
  • राज्य के उत्पादों के निर्यात योग्य बनाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना

उद्योग आयुक्त श्रीमती अर्चना सिंह ने बताया कि प्रारुप में हस्तशिल्प को बढावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गये हैं। आम लोगों से इस पर सुझाव मांगे गये हैं। इसके बाद स्टैक होल्डर्स के साथ वार्ता की जाएगी। सारगर्भित सुझावों को नीति के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा।

ये हैं हस्तशिल्प नीति के मुख्य प्रावधान-

राजस्थान हस्तशिल्प सप्ताह

राज्य के हस्तशिल्प उत्पादों के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रतिवर्ष दिसबंर में हस्तशिल्प सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इसमें देश के विभिन्न राज्यों के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस सप्ताह का आयोजन जयपुर स्थित राजस्थान हाट में किया होगा।

पुरस्कार एवं सम्मान

हस्तशिल्प से जुड़े युवाओं, महिलाओं, निर्यात क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले हस्तशिल्पियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। विलुप्त होती परम्परागत हस्तकलाओं को बचाने में विशेष योगदान देने वाले दस्तकारों को भी सम्मानित करने का प्रावधान किया गया है।

हस्तशिल्प स्मृति चिन्ह

सरकारी कार्यक्रमों, पुरस्कारों एवं सम्मान समारोह में हस्तशिल्प से जुड़े उत्पाद दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही राज्य की हस्तकला के प्रचार के लिए इस क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्ति को ब्रांड ऎम्बसडर बनाया जाएगा।

राजस्थान हस्तकला प्रलेखन


राज्य की प्रमुख हस्तकलाओं से संबंधित जानकारियों को प्रलेखन कराया जाएगा। इससे हस्तकला के सिद्धांतो और विधियों के लिखित दस्तावेज आम लोगों को सुलभ रूप से उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही हस्तकलाओं को चिन्हित कर शिल्पकलाओं एवं हस्तशिल्पियों का सर्वे कर डाटा बेस तैयार किया जाएगा।

छात्रवृति की व्यवस्था

हस्तशिल्प नीति के प्रारुप में राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त दस्तकारों एवं बुनकरों के बच्चों को मान्यता प्राप्त हस्तशिल्प एवं हथकरघा संस्थान से हस्तशिल्प एवं टैक्सटाइल विषयों में डिग्री या डिप्लोमा करने पर छात्रवृति दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

ऎसे दें सकते हैं सुझाव

विभाग की वेबसाइट पर प्रारुप की पीडीएफ कॉपी अपलोड कर दी गई है। प्रारुप का अध्ययन करने के बाद आम लोग एक महिने में (9 अप्रेल तक) सुझाव दे सकते हैं।

भीलवाड़ा के फतेहपुरा व समेलिया में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना इसी वित्तीय वर्ष में होगी - उद्योग मंत्री

जयपुर, 9 मार्च। उद्योग मंत्री श्री परसादी लाल मीना ने मंगलवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि भीलवाडा स्थित फतेहपुरा व समेलिया में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना इसी वित्तीय वर्ष में की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए भूमि का कब्जा तथा पर्यावरण स्वीकृति ली जा चुकी है। शीघ्र ही भूमि नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।  

श्री मीना प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2016 में आवंटित भूमियों का कब्जा ले लिया गया था तथा मई 2019 में पर्यावरण स्वीकृति भी प्राप्त कर ली गई थी। कोरोना महामारी के कारण आगे की प्रक्रिया में विलम्ब हुआ। अब औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना का काम शीघ्र कर दिया जाएगा।

इससे पहले विधायक श्री कैलाश चन्द्र मेघवाल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री मीना ने बताया कि रीको औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हेतु रीको के प्रस्ताव पर जिला भीलवाडा की तहसील शाहपुरा के ग्राम फतेहपुरा की 64.77 है0 राजकीय भूमि का आवंटन उद्योग (ग्रुप 1) विभाग के आदेश 4 अगस्त 2015 व ग्राम समेलिया की 50.10 है0 राजकीय भूमि का आवंटन उद्योग (ग्रुप 1) विभाग के आदेश 3 फरवरी 2016 से रीको के पक्ष में किया गया है।

उन्होेंने बताया कि आवंटित भूमियों का भौतिक कब्जा क्रमशः 7 जनवरी 2016 व 29 अप्रेल 2016 को रीको के पक्ष में प्राप्त किया जा चुका है। इस औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने हेतु रीको के स्तर पर प्रशासनिक स्वीकृति प्रक्रियाधीन है एवं योजना का क्रियान्वयन अगामी दो वषोर्ं में किया जावेगा।

प्रदेश मे होगा आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम-

  • वर्तमान पीढी़ को आजादी के संघर्ष की गाथा से परिचित कराने के लिए प्रदेश मे वृहद कार्यक्रम आयोजन कर  आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर  आयोजित होने वाले ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के तहत प्रदेश में 75 कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। 
  • देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रदेश में 12 मार्च (दांडी मार्च दिवस ) से ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के तहत राज्य, जिला, उपखंड एवं ग्राम स्तर पर 75 कार्यक्रम 15 अगस्त 2023 तक  आयोजित किये जाएंगे।
  • 12 मार्च को जिला स्तर पर दांडी यात्रा के उद्घाटन पर शांति मार्च का आयोजन किया जायेगा। 
  • इसी तरह 23 मार्च को उपखंड स्तर पर भगतसिंह शहीद दिवस के अवसर पर भगतसिंह राजगुरू एवं सुखदेव सिंह की पुण्य तिथि पर अहिंसा यात्रा एवं मौन कार्यक्रम आयोजित होंगे।
  •  दांडी मार्च के समापन दिवस 6 अप्रेल को गांधीवादी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रदेश स्तरीय सम्मेलन, 
  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर 14 अप्रेल को सर्वसमाज की भूमिका शांतिपूर्ण प्रदेश के लिए सामाजिक प्रतिनिधियों का सम्मेलन, 
  • कस्तूरबा गांधी की जयंती पर 11 अप्रेल को गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर, 
  • 13 अप्रेल को जलियांवाला बाग दिवस पर 2 मिनट के मौन के साथ गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 
  • बजट घोषणा के तहत सर्वोदय की परीक्षा उपखंड स्तर पर 21 मई को एवं जिला स्तर पर 27 मई को आयोजित की जायेगी।

जयपुर सरस राष्ट्रीय क्रा़फ्ट मेला-2021, 10 से 21 मार्च तक

होली से ठीक पहले जयपुर शिल्प, कला और संस्कृति के रंगों में सराबोर नजर आएगा। देश के विभिन्न राज्यों के गांवों की महिलाओं का परिश्रम इस उत्सव का सबसे गहरा रंग होगा। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) और ग्रामीण विकास विकास विभाग की ओर से जयपुर के रामलीला मैदान में 10 से 21 मार्च तक सरस राष्ट्रीय क्रा़फ्ट मेला का आयोजन किया जा रहा है। सुबह 11 से रात 9 बजे तक तक चलने वाला यह 12 दिन का मेला फागुन में देश के विभिन्न राज्यों की शिल्प, कला और संस्कृति के रंगों से जयपुर को सरोबार करेगा। मेले का वच्र्यूल उद्घाटन दिनांक 10 मार्च 2021 को शाम को 6 बजे श्री अशोक गहलोत माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार द्वारा किया जाएगा।

राज्य मिशन निदेशक (आईएएस.) श्रीमती शुचि त्यागी ने बताया कि मेले में राजस्थान, ओडिशा, असम, केरल, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा असम, मेघालय जम्मूू -कश्मीर, नागालैंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, केरल आदि विभिन्न राज्यों की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी निर्धन परिवारों की 300 महिला उत्पादक और शिल्पकार भाग लेंगी। महिलाओं की हस्तनिर्मित विभिन्न उत्पादों की 150 स्टॉल लगाई जाएंगी। स्टॉलों पर बिक्री के लिए उपलब्ध महिलाओं की हस्तनिर्मत सुंदर, उत्कृष्ट, मनमोहक कलाकृतियां ग्रामीण महिला प्रतिभा और कौशल को प्रर्दर्शित करेंगी। विभिन्न राज्यों के पराम्परागत व्यंजनों की खुशबू और जायका भी मेले का प्रमुख और निराला आकर्षण है। मेले में सुबह से शाम तक शिल्प, कला और व्यंजन समय को खुशनुमा बनाएंगे। प्रतिदिन शाम को 6ः 30 बजे से रात 8ः 30 बजे तक राजस्थानी, कालबेलिया, घूमर, चरी नृत्य, लोकगीत आदि विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जो शिल्प और कला के फागुन को और अधिक रंगीन बनाएंगे।

अद्भुत है ग्रामीण महिलाओं की प्रतिभा, कला और परिश्रम

यह मेला बहुत ही विशेष है क्योंकि ग्रामीण महिला सशक्तिकरण प्रतीक है। मेले भाग लेने वाली महिलाओं का जज्बा, प्रतिभा, परिश्रम और कला चारों ही अद्भुत हैं। ग्रामीण निर्धन परिवारों की महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर अपनी आजीविका कमाने का निश्चय किया। अपनी प्रतिभा और कला से अपने सपनों को मूर्त रूप दिया। कभी गरीबी से रोज संघर्ष करने वाली यह महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता का श्रेष्ठ उदाहरण बन कर उभरी हैं। आज विभिन्न राष्ट्र स्तर के मेलों में इनके हस्तनिर्मत उत्पाद सराहे जा रहे हैं।

ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और कला को मिलेगा प्रोत्साहन

मेले का उद्देश्य निर्धन परिवारों की ग्रामीण महिला उत्पादकों के उत्पादों की बिक्री के लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध कराना है। मेले के आयोजन से ग्रामीण महिला उत्पादकों की कला को प्रोत्साहान मिलेगा। उत्पादों की बिक्री से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सम्बल भी मिल सकेगा। ग्रामीण महिला आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण प्रभावी तरीके से आगे बढ़ेगा। विभिन्न राज्यों की हस्तकला को एक मंच पर देखा जा सकेगा।

यह होंगे विशेष उत्पाद

ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित मनमोहक कालीन, जरी की कढ़ाई किए गए कपड़े, डोरिया, लहरिया, बाड़मेरी प्रिंट, टेराकोटा, आधुनिक और परम्परागत वस्त्र बांस व जूट के उत्पाद सेरमिक उत्पाद, ब्लेक और ब्ल्यू पॉट्री, अनेक प्रकार का घरेलू सामान, सजवाट की वस्तुएं, विभिन्न प्रकार के अचार मुरब्बे, पापड़ आदि सामान मेले में बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। 

राजस्थान में डेनमार्क के सहयोग से डेयरी क्षेत्र में सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस होगा स्थापित -

प्रदेश में डेनमार्क के सहयोग से डेयरी क्षेत्र में सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित होगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से शनिवार 6 मार्च को डेनमार्क के राजदूत श्री फ्रेड्डी स्वाने की मुख्यमंत्री निवास पर हुई मुलाकात के दौरान इस पर चर्चा की गई। श्री स्वाने ने कहा कि पशुपालकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए डेयरी विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में डेनमार्क की विशेषज्ञता का लाभ राजस्थान को उपलब्ध कराने की दिशा में पूरा सहयोग दिया जाएगा।

जल संरक्षण एवं जल शुद्धिकरण के क्षेत्र में भी डेनमार्क के सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि उदयपुर के नगरीय क्षेत्र में जल संरक्षण एवं जल शुद्धिकरण कार्यों में डेनमार्क की कम्पनियों का तकनीकी सहयोग मिल रहा है। 

जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में राजस्थान एवं डेनमार्क के बीच सहयोग की रूपरेखा पर भी चर्चा हुई। श्री गहलोत ने श्री स्वाने से राजस्थान एवं डेनमार्क के मध्य कृषि और पशुपालन, खाद्य, ग्रीन टेक्नोलॉजी एवं वस्त्र उद्योग जैसे क्षेत्रों में सहयोग एवं निवेश के बारे में चर्चा की।

गौ संरक्षण पर सरकार ने खर्च किए 1511-31 करोड़ रुपये-


नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में गौ संरक्षण पर 1511 करोड़, 31 लाख 4 हजार 86 रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 
मुद्रांक विक्रय और मदिरा विक्रय पर देय वैट पर गौ संरक्षण अधिभार से प्राप्त राशि में से ये खर्च किया गया है।

स्वायत्त शासन मंत्री ने प्रश्नकाल में वित्त मंत्री की ओर से विधायक श्री धर्मनारायण जोशी के पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि गौ संरक्षण के लिए तय प्रक्रियानुसार जैसे-जैसे मांग आती है, वैसे ही फंड आंवटित कर दिया जाता है
श्री धारीवाल ने विधायक श्री जोशी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राज्य सरकार को स्टांप ड्यूटी पर अधिभार से वर्ष 2015-2016 से 2020-2021 तक 1242 करोड़ 56 लाख 24 हजार रुपये प्राप्त हुए है। 
मदिरा की बिक्री पर देय वैट पर अधिभार से वर्ष 2018-2019 से 2020-2021तक प्राप्त राजस्व राशि 1017 करोड़ 8 लाख 67 हजार रुपये है। 
इस तरह अधिभार से प्राप्त कुल राशि 2259 करोड़ 64 लाख 91 हजार रुपये है।

उन्होंने बताया कि अधिभार से प्राप्त हुई राशि में से 1511 करोड़ 31 लाख 4 हजार रुपये 86 रुपये खर्च किए गए हैं-
  • 1500 करोड़ 46 लाख 43 हजार रुपये गौशाला सहायता, 

  • 3 करोड़ 44 लाख 61 हजार रुपये गौशाला विकास कार्य, 

  • 20 लाख रुपये गौशाला बायोगैस सहभागिता योजना, 

  • 7.20 करोड़ रुपये नंदीशाला जनसहभागिता योजना पर ।


Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...