Achievements of the Department of Space in last 8 years अंतरिक्ष विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ पिछले 8 वर्षों में :
अंतरिक्ष विभाग की पिछले 8 वर्षों में प्रमुख उपलब्धियाँ: Achievements of the Department of Space in 8 years
वर्ष 2014 से –20 दिसंबर 2022 तक अंतरिक्ष विभाग की प्रमुख उपलब्धियाँ:
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पिछले 8 वर्षों में प्रमुख मिशन:
वर्ष 2014 से अब तक कुल मिलाकर 44 अंतरिक्ष यान मिशन, 42 प्रक्षेपण यान मिशन और 5 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक सफलतापूर्वक पूरे किये गए हैं।
चंद्रयान-2 मिशन :
22 जुलाई, 2019 को चंद्रमा के लिए भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके III- एम 1 के माध्यम से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। यह अनुसंधान समुदाय के लिये महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्रदान कर रहा है।
50 वाँ PSLV प्रक्षेपण:
दिसंबर 2019 में PSLV-C48/RISAT-22BR1 का प्रक्षेपण वर्कहॉर्स लॉन्च वाहन PSLV का 50वाँ प्रक्षेपण था।
RISAT-2BR1 सीमा पर चौबीसों घंटे निगरानी कर घुसपैठ पर रोक लगाएगा।
इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM):
जुलाई 2022 में विज्ञान मंत्रालय ने इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेन्ड ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM) को राष्ट्र को समर्पित किया।
यह एक ऐसी सुविधा है जिसकी कल्पना राष्ट्रीय विकास के लिये बाहरी अंतरिक्ष के सतत् उपयोग के लाभों को प्राप्त करते हुए सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु समग्र दृष्टिकोण के साथ की गई है।
प्रक्षेपण यान मार्क 3 (Launch Vehicle Mark- LVM):
LVM 3/वन वेब इंडिया-1 मिशन को अक्तूबर 2022 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
इस लॉन्च के साथ LVM 3 आत्मनिर्भरता का उदाहरण है और वैश्विक वाणिज्यिक लॉन्च सेवा बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्म्कता को बढ़ाता है।
इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT):
गगनयान कार्यक्रम के हिस्से के रूप में नवंबर 2022 में बबीना फील्ड फायर रेंज (BFFR), झाँसी, उत्तर प्रदेश में क्रू मॉड्यूल डिक्लेरेशन सिस्टम का इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (IMAT) सफलतापूर्वक किया गया था।
इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेट:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने भविष्य के मिशनों के लिये कई अनुप्रयोगों के साथ एक गेम चेंजर- इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) के साथ नई तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।
IAD के पास विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष अनुप्रयोगों जैसे- रॉकेट चरणों की पुनर्प्राप्ति, मंगल या शुक्र पर पेलोड उतारने और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिये अंतरिक्ष पर्यावास बनाने की बड़ी क्षमता है।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV)-C54:
PSLV-C54 ने नवंबर 2022 में भारत-भूटान सैट (INS-2B) सहित आठ नैनो-उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक EOS-06 उपग्रह लॉन्च किया।
नए उपग्रह का प्रक्षेपण भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की भूटान के विकास के लिये ICT और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहित उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की योजना का समर्थन करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है।
104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करने का एक विश्व रिकॉर्ड :
2017 में, पीएसएलवी सी-37 ने एक ही लॉन्च के दौरान 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करने का एक विश्व रिकॉर्ड बनाया।
इसरो द्वारा निर्मित सबसे भारी उपग्रह- जीसैट-11
05 दिसंबर, 2018 को, इसरो की अगली पीढ़ी के उच्च प्रवाह क्षमता वाला संचार उपग्रह, जीसैट-11 को एरियन-5 वीए-246 द्वारा फ्रेंच गुयाना के कौरू से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। लगभग 5,854 किलोग्राम वजन का जीसैट-11 इसरो द्वारा निर्मित सबसे भारी उपग्रह है।
देश का पहला समर्पित खगोल विज्ञान मिशन- एस्ट्रोसैट
एस्ट्रोसैट भारत की प्रथम समर्पित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला है जिसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से पी.एस.एल.वी.-C30 (XL) रॉकेट द्वारा 28 सितंबर, 2015 को 1515 किलोग्राम के उत्थापन द्रव्यमान के साथ 650 किमी, 6° झुकाव वाली कक्षा में प्रक्षेपित किया गया।
- सितंबर 2015 में पीएसएलवी ने एस्ट्रोसैट लॉन्च किया, यह देश का पहला समर्पित खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, ऑप्टिकल और यूवी स्पेक्ट्रमी बैंड में एक साथ खगोलीय स्रोतों का अध्ययन करना है।
- एस्ट्रोसेट पर पांच उपकरण लगे हैं-
अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप,
लार्ज एरिया एक्स रे प्रपोशनल काउंटर,
सॉफ्ट एक्स रे टेलीस्कोप,
कैडमियम जिंक टेल्यूराइड इमेजर और
स्कैनिंग स्काई मॉनीटर
- एस्ट्रोसैट ने पांच नई आकाशगंगाओं की खोज करके बड़ी सफलता प्राप्त की है।
नाविक (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) की स्थापना और संचालन-
इसरो ने नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (नाविक) की स्थापना और संचालन किया है, जो भारत और उसके आसपास के उपयोगकर्ताओं को अत्यधिक सटीक स्थिति, नेविगेशन और समय की जानकारी प्रदान करता है ।
भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के कुल 7 उपग्रह हैं - सभी पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए हैं,
IRNSS-1 G ने 2016 में तारामंडल को पूरा किया है ।
शैक्षणिक सहायता, क्षमता निर्माण और आउटरीच:
1. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र (STIC):
वर्ष 2018 से अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये देश के कुछ प्रमुख स्थानों पर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र (STIC) स्थापित किये गए हैं।
इस पहल के अंतर्गत वर्तमान में नौ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेल (STC) शैक्षणिक संस्थानों में काम कर रहे हैं, छह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र (STIC) अगरतला, त्रिची, जालंधर, राउरकेला, नागपुर और भोपाल में और छह क्षेत्रीय अंतरिक्ष शैक्षणिक केंद्र (RACS) वाराणसी, कुरुक्षेत्र, जयपुर, गुवाहाटी, सूरतकल और पटना में संचालित हैं।
2. सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र:
हाल ही में सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र की स्थापना इसरो/डीओएस (ISRO/DoS) और केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।
3. इसरो द्वारा यूनिस्पेस नैनोसेटेलाइट असेंबली और प्रशिक्षण:
जून 2018 में भारत द्वारा असेंबली एकीकरण और परीक्षण (AIT) पर हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण तथा सैद्धांतिक शोध के संयोजन द्वारा नैनो उपग्रहों के विकास पर क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘इसरो द्वारा यूनिस्पेस नैनोसेटेलाइट असेंबली एवं प्रशिक्षण’ (उन्नति-UNNATI) की घोषणा की गई।
4. युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम:
वर्ष 2019 में इसरो ने सरकार के “जय विज्ञान, जय अनुसंधान” वाले दृष्टिकोण के अनुरूप “युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम” या “युवा विज्ञानी कर्यक्रम” (YUVIKA) नामक एक वार्षिक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाह्य अंतरिक्ष के आकर्षक क्षेत्र में युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करना है।
5 स्पेसटेक इनोवेशन नेटवर्क (SpIN):
दिसंबर 2022 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और सोशल अल्फा ने स्पेसटेक इनोवेशन नेटवर्क (SpIN) लॉन्च करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जो बढ़ते अंतरिक्ष उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के लिये नवाचार और उद्यम विकास हेतु भारत का पहला समर्पित मंच है।
सुधार और उद्योगों की भागीदारी में बढ़ोत्तरी:
1. न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL):
वर्ष 2019 में न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्त्व वाले उपक्रम/ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) के रूप में शामिल किया गया
इसका उद्देश्य भारतीय उद्योगों में अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण आधार को बढ़ाने और घरेलू तथा वैश्विक खरीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के उत्पादों एवं सेवाओं का व्यावसायिक रूप से दोहन करने में सक्षम बनाना है।
GSAT-24 संचार उपग्रह जो कि NSIL का पहला मांग संचालित मिशन है, को जून 2022 में फ्रेंच गुयाना के कौरौ से लॉन्च किया गया था ।
2. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe):
जून 2020 में में अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में भारत सरकार द्वारा इन-स्पेस (IN-SPACe) की स्थापना की घोषणा की गई।
उद्देश्य -
उद्योग, शिक्षाविदों और स्टार्ट-अप के लिए इको-सिस्टम तैयार किया जा सके और विस्तृत दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों को अधिकृत और विनियमित करते हुए वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में प्रमुख हिस्सेदारी को आकर्षित किया जा सके।
IN-SPACe इसरो और अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों में भाग लेने या भारत के अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के बीच एकल-बिंदु इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
जून 2022 में माननीय प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में इन-स्पेस (IN-SPACe) मुख्यालय का उद्घाटन किया था।
3. भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISpA):
ISpA भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की सामूहिक अभिव्यक्ति बनेगा । ISpA का प्रतिनिधित्त्व प्रमुख घरेलू और वैश्विक निगमों द्वारा किया जाएगा जिनके पास अंतरिक्ष एवं उपग्रह प्रौद्योगिकियों में उन्नत क्षमताएँ हैं।
4. पहला निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र:
नवंबर 2022 में पहले निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र की स्थापना SDSC, शार के इसरो परिसर में मेसर्स अग्निकुल कॉसमॉस प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई द्वारा की गई।
4 नवंबर 2022 को अग्निकुल द्वारा विकसित 'अग्निलेट सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया ।
5 विक्रम-एस (प्रारंभ मिशन) का प्रक्षेपण
18 नवंबर 2022 को मैसर्स स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद से एक उपकक्षीय प्रक्षेपण यान विक्रम-एस (प्रारंभ मिशन) का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष नीति- 2022:
भारतीय अंतरिक्ष नीति- 2022 को अंतरिक्ष आयोग द्वारा मंज़ूरी प्रदान की गई । इस नीति के लिये उद्योग समूहों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया, अंतर-मंत्रालयी परामर्श के साथ ही अधिकार प्राप्त प्रौद्योगिकी समूह द्वारा समीक्षा की गई और यह आगे की अनुमोदन प्रक्रिया के अंतर्गत है।
आपदा प्रबंधन:
बाढ़ की निगरानी, बाढ़ग्रस्त राज्यों के बाढ़ ज़ोखिम क्षेत्र एटलस का निर्माण, बाढ़ पूर्व चेतावनी मॉडल का विकास करना, कई दैनिक पहचान और वनाग्नि के प्रसार, चक्रवात ट्रैक (cyclone track) का पूर्वानुमान, भूकंप की तीव्रता तथा भूस्खलन, भूकंप एवं भूस्खलन के कारण हुए नुकसान का आकलन आदि।
कोविड-19 संबंधी सहायता:
कोविड-19 महामारी के दौरान मैकेनिकल वेंटिलेटर और मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे उपकरणों को विकसित किया गया तथा प्रौद्योगिकियों को भारतीय उद्योगों में स्थानांतरित किया गया।
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