Skip to main content

Know which OS is India's first Mobile operating system - BharOS जानिए कौन है भारत में निर्मित पहला मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम

सब कुछ जानिए भारत में निर्मित पहला मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS के बारे में-

Know All About India's first Mobile operating system - BharOS

भारत में निर्मित प्रथम मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम-'भरोस' (First Mobile Operating System made in India- BharOS) का विकास आईआईटी मद्रास द्वारा किया गया है ।

First Mobile Operating System made in India- BharOS

  • इस ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS को IIT Madras की 'नॉट फॉर प्रॉफिट' कंपनी ने बनाया है ।

  • BharOS को जैंडके ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड (JandCops) द्वारा विकसित किया गया है, जिसे आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया है, जो आईआईटी मद्रास की नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है

  • भारत में निर्मित इस प्रथम मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम-'भरोस' का सफल परीक्षण दिनांक 24 जनवरी 2023 को केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान एवं रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा किया गया।

  • वर्तमान में इस OS की सेवाएं उन संगठनों को प्रदान की जा रही हैं जिन्हें निजता और सुरक्षा की अत्यधिक आवश्यकताएं हैं, जिनके यूजर उन संवेदनशील जानकारियों का नियंत्रण करते हैं ।

  • भरोस एक ऐसा मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो भरोसे की बुनियाद पर बना है। यह यूजर को केवल उन्हीं ऐप्स को चुनने और उपयोग करने के लिए अधिक स्वतंत्रता, नियंत्रण और लचीलापन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हों। यह न्यू सिस्टम यूजर को अपने मोबाइल उपकरणों पर सुरक्षा और निजता के बारे में सोच के तरीके में क्रांति लाने का वादा करती है।

  • वर्तमान में BharOS की सेवाएं उन संगठनों को प्रदान की जा रही हैं जिन्हें निजता और सुरक्षा की अत्यधिक आवश्यकताएं हैं और जिनके यूजर उन संवेदनशील जानकारियों का नियंत्रण करते हैं जिनके लिए मोबाइल पर प्रतिबंधित ऐप्स पर गोपनीय संचार की आवश्यकता होती है। ऐसे यूजर को निजी 5G नेटवर्क के माध्यम से निजी क्लाउड सेवाएं एक्सेस करने की आवश्यकता होती है।

  • भरोस की विशेषता है ''नो डिफॉल्ट ऐप्स- NDA'-

  • भरोस में नो डिफॉल्ट ऐप्स ( NDA ) सुविधा है। इसका अर्थ है कि यूजर को उन ऐप्स का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है जिनसे वे परिचित नहीं हो सकते हैं या जिन पर वे भरोसा नहीं कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त, यह दृष्टिकोण यूजर को उन परमीशंस पर अधिक नियंत्रण रखने की स्वतंत्रता देता है जो उनके डिवाइस पर ऐप्स में उपलब्ध हैं, क्योंकि वे केवल उन ऐप्स को परमीशन देना चुन सकते हैं, जिन पर वे अपने डिवाइस पर कुछ सुविधाओं या डेटा तक पहुंचने के लिए भरोसा करते हैं ।

  • भरोस संगठन-विशिष्ट प्राइवेट ऐप स्टोर सर्विसेज ( PAAS ) से विश्वसनीय ऐप्स तक पहुंच प्रदान करता है। BharOS सुविधाओं और सुरक्षा के मामले में Android और iOS दोनों से बेहतर है। Android की तरह, BharOS भी “नेटिव ओवर द एयर” (NOTA) अपडेट प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि सॉफ्टवेयर अपडेट स्वचालित रूप से डिवाइस पर डाउनलोड और इंस्टॉल हो जाएंगे।


Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...