Skip to main content

National Gopal Ratna Awards -2022 - राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2022

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Awards) पशुधन और डेयरी क्षेत्र के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है। भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लें काफी पुष्ट हैं और ये देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता रखती हैं। 

यह भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा दिया जाता है ।  

देश में पहली बार "राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission - RGM)" दिसंबर 2014 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित तथा विकसित करना था।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission - RGM) के तहत, दुग्ध उत्पादक किसानों और इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों तथा दुग्ध उत्पादकों को बाजार तक सुलभ पहुंच प्रदान करने वाली डेयरी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से निम्नलिखित श्रेणियों में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Awards) प्रदान किए जाते हैं:

 राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Awards) की श्रेणियां -

  1. देशी गाय/भैंस की नस्लों को पालने-पोसने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान (पंजीकृत नस्लों की सूची संलग्न है)
  2. सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी)
  3. सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति/दुग्ध उत्पादक कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठन

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार की राशि-

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार में प्रत्येक श्रेणी में योग्यता का प्रमाण पत्र, एक स्मृति चिन्ह और राशि निम्नानुसार है:

  • पहली रैंक- रु. 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) Rs. 5,00,000/-(Rupee five lakh only) -1st rank

  • दूसरी रैंक- रु. 3,00,000/- (तीन लाख रुपये मात्र) Rs. 3,00,000/- (Rupee three lakh only) -2nd rank 

  • तीसरी  रैंक- रु. 2,00,000/- (दो लाख रुपये मात्र) Rs. 2,00,000/- (Rupee two lakh only)  -3rd rank

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार, 2022 के विजेता- 

 

क्रम संख्या

वर्ग या श्रेणी

चयनित आवेदकों के नाम

रैंक

1.

स्वदेशी मवेशी/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान,

श्री जितेंद्र सिंह, फतेहाबाद, हरियाणा

 

ii श्री रविशंकर शशिकांत सहस्रबुद्धे, पुणे, महाराष्ट्र

 

iii सुश्री गोयल सोनलबेन नारन, कच्छ, गुजरात

पहला

 

दूसरा

 

तीसरा

2.

सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी)

i श्री गोपाल राणा, बलांगीर, ओडिशा

 

ii श्री हरि सिंह, गंगानगर, राजस्थान

 

iii श्री माचेपल्ली बसवैया, प्रकाशम, आंध्र प्रदेश

पहला

 

दूसरा

 

तीसरा

3.

सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दूग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन

i मनंतवाडी क्षीरोलपादका सहकरण संगम लिमिटेड, वायनाड, केरल

ii अराकेरे दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड, मांड्या, कर्नाटक

iii मन्नारगुडी एमपीसीएस, तिरुवरूर, तमिलनाडु

पहला

 

दूसरा

 

तीसरा

 

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर, 2022) के अवसर पर विजेताओं को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान किए गए । 

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कारों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल अर्थात https://awards.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होता है । 

पंजीकृत नस्लों के नाम-

 

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कारों के लिए मवेशियों तथा भैंसों की पंजीकृत नस्लों के नाम निम्नानुसार है- The name of registered breeds of cattle and buffaloes are given below-

Registered Breeds Of Cattle

 

Sl.No


Cattle Breed


Home tract

  1
Amritmahal
Karnataka
  2
Bachaur
Bihar
  3
Bargur
Tamilnadu
  4
Dangi
Maharashtra and Madhya Pradesh
  5
Deoni
Maharashtra and Karnataka
  6
Gaolao
Maharashtra and Madhya Pradesh
  7
Gir
Gujrat
  8
Hallikar
Karnataka

 

9


Hariana


Haryana, Uttar Pradesh and Rajasthan

  10
Kangayam
Tamilnadu
  11
Kankrej
Gujarat and Rajasthan
  12
Kenkatha
Uttar Pradesh, Madhya Pradesh
  13
Kherigarh
Uttar Pradesh
  14
Khillar
Maharashtra, Karnataka
  15
Krishna Valley
Karnataka
  16
Malvi
Madhya Pradesh
  17
Mewati
Rajasthan, Haryana, Uttar Pradesh
  18
Nagori
Rajasthan
  19
Nimari
Madhya Pradesh
  20
Ongole
Andhra Pradesh
  21
Ponwar
Uttar Pradesh
  22
Punganur
Andhra Pradesh
  23
Rathi
Rajasthan
  24
Red Kandhari
Maharashtra
  25
Red Sindhi
On organized farms only
  26
Sahiwal
Punjab, Rajasthan
  27
Siri
Sikkim and WestBengal
  28
Tharparkar
Rajasthan
  29
Umblachery
Tamilnadu
  30
Vechur
Kerala
  31
Motu
Orissa,Chhattisgarhand Andhra Pradesh
  32
Ghumusari
Orissa
  33
Binjharpuri
Orissa
  34
Khariar
Orissa
  35
Pulikulam
Tamilnadu
  36
Kosali
Chhattisgarh
  37
MalnadGidda
Karnataka
  38
Belahi
Haryana and Chandigarh
  39
Gangatiri
Uttar Pradesh and Bihar
  40
Badri
Uttarakhand
  41
Lakhimi
Assam
  42
Ladakhi
Jammu and Kashmir
  43
Konkan Kapila
Maharashtra and Goa
  44
PodaThurpu
Telangana
  45
Nari
Rajasthan and Gujarat
  46
Dagri
Gujarat
  47
Thutho
Nagaland
  48
Shweta Kapila
Goa
  49
Himachali Pahari
Himachal Pradesh
  50
Purnea
Bihar
           
 

Registered breeds of Buffalo

 

Sr. No


Breed


Home Tract

  1
Bhadawari
Uttar Pradesh and Madhya Pradesh
  2
Jaffarabadi
Gujarat
  3
Marathwadi
Maharashtra
  4
Mehsana
Gujarat
  5
Murrah
Haryana
  6
Nagpuri
Maharashtra
  7
Nili Ravi
Punjab
  8
Pandharpuri
Maharashtra
  9
Surti
Gujarat
  10
Toda
Tamilnadu
  11
Banni
Gujarat
  12
Chilika
Orissa
  13
Kalahandi
Odisha
  14
Luit (Swamp)
Assam and Manipur
  15
Bargur
Tamil Nadu
  16
Chhattisgarhi
Chhattisgarh
  17
Gojri
Punjab and Himachal Pradesh

18
Dharwadi
Karnataka
  19
Manda
Odisha


Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...