Skip to main content

Why is world Wetland Day celebrated on 2nd February | 2 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस

Why is world Wetland Day celebrated on 2nd February

2 फरवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस



विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में


वर्ष 1971 में अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स अर्थात आर्द्र  भूमि पर रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention on Wetlands) पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस  (World Wetland Day) जाता है। 1971 में ईरान के रामसर Ramsar में रामसर संधि पत्र (Ramsar Treaty) पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 

1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्‍थलों की सूची में कुल 26 स्‍थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।

रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्‍थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्‍थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्‍थल हैं।

रामसर स्थलों की अधिकतम संख्या तमिलनाडु में है (रामसर स्थलों की संख्या - 14), इसके पश्‍चात उत्‍तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं।

भारत 1982 से इस कन्वेंशन का एक पक्ष है और अब तक 23 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को समाहित करते हुए 75 वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित कर चुका है।

क्या है वर्ल्ड वेटलैंड्स डे 2023 की की विषयवस्तु या Theme-

world wetlands day theme 2023


वर्ल्ड वेटलैंड्स डे 2023 की विषयवस्तु (Theme) 'इटस टाइम फॉर वेटलैंड रिस्टोरेशन (It's Time for Wetlands Restoration)' है, जो इस प्रक्रिया को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। यह एक पूरी पीढ़ी के लिए आह्वान है कि आर्द्रभूमियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी निवेश करके आर्द्रभूमियों के लिए सक्रिय कार्रवाई करें और जो खराब स्थिति में पहुँच चुकी हैं उन्हें पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करें।

भारत के पास है एशिया में रामसर साइटों का सबसे बड़ा नेटवर्क


भारत के पास एशिया में रामसर साइटों का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो इन साइटों को वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और मानव कल्याण का समर्थन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक नेटवर्क बनाता है। 

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2022 में सहभागिता मिशन शुरू किया जो 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की 75 आर्द्रभूमियों के एक स्वस्थ और प्रभावी ढंग से प्रबंधित नेटवर्क' का अभियान है जिसके अंतर्गत पानी और खाद्य सुरक्षा, बाढ़, सूखा, चक्रवात और अन्य चरम घटनाओं से बचाव, रोजगार सृजन, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की प्रजातियों का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन क्रियाएं, और सांस्कृतिक विरासत की मान्यता, संरक्षण और आयोजनों को सहायता दी जाती है। 

दो पुस्तकों - 'इंडियाज 75 अमृत धरोहर- इंडियाज रामसर साइट्स फैक्टबुक' और 'मैनेजिंग क्लाइमेट रिस्क्स इन वेटलैंड्स- ए प्रैक्टिशनर्स गाइड‘ का विमोचन 4 फरवरी 2023 को भारत सरकार के 'आर्द्रभूमि बचाओ अभियान' के शुभारंभ के अवसर पर किया गया।

आर्द्रभूमि (wetland वेटलैंड) का तात्पर्य किस प्रकार की भूमि से होता है? 

आर्द्र भूमि क्या है ?

आर्द्रभूमि (wetland) ऐसा भूभाग होता है जिसके परितंत्र का बड़ा भाग स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त (सचुरेटेड) हो या उसमें डूबा रहे। ऐसे क्षेत्रों में जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्रभूमियों को परिभाषित करता है। नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (wetland) कहा जाता है। दरअसल वेटलैंड्स वैसे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है।

विश्व की सबसे बड़ी रामसर साइट कौन सी है? 

रामसर साइट सूचना सेवा के अनुसार सूचीबद्ध आर्द्रभूमि का सबसे बड़ा क्षेत्र बोलीविया है, जिसमें लगभग 148,000 वर्ग किलोमीटर (57,000 वर्ग मील) है। रामसर साइट सूचना सेवा (आरएसआईएस) एक खोज योग्य डेटाबेस है जो प्रत्येक रामसर साइट पर जानकारी प्रदान करता है।

भारत की आर्द्रभूमि

भारत की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि कौन सी है? 

 भारत का सबसे बड़ा वेटलैंड क्षेत्र सुंदरबन वेटलैंड पश्चिम बंगाल है।

भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल कौन सा है ? 

हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका वेटलैंड क्षेत्र भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल है। यह लगभग 0.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

भारत की प्रथम रामसर साइट कौनसी है? 

भारत के प्रथम रामसर स्थल के रूप में ओडिशा की चिल्का झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय पार्क को वर्ष 1981 में शामिल किया गया।

भारत का पहला आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केन्द्र कहाँ स्थित है ?

राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केन्द्र (एनसीएससीएम), चेन्नई के भाग के रूप में भारत का 'प्रथम आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र (सीडब्ल्यूसीएम)' चेन्नई में 2021 में स्थापित किया गया । 

भारत में आर्द्रभूमि का वर्गीकरण क्या है ?

भारत में लगभग 4.6 प्रतिशत जमीन आर्द्रभूमि है, जिनका क्षेत्रफल 1.526 करोड़ हेक्टेयर है। स्थलाकृतिक भिन्नता के आधार भारत में आद्रभूमि को 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है –

  1. हिमालयी आर्द्रभूमि

  2. गंगा का मैदानी आर्द्रभूमि

  3. रेगिस्तानी आर्द्रभूमि

  4. तटीय आर्द्रभूमि 

    आर्द्र भूमि संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए हम क्या कर सकते हैं -

    यह अत्यावश्यक है कि हम आर्द्रभूमियों के बारे में राष्ट्रीय और वैश्विक जागरूकता बढ़ाएँ ताकि उनके तेजी से हो रहे नुकसान को कम किया जा सके और उनके संरक्षण और पुनर्स्थापन के कार्यों को प्रोत्साहित किया जा सके। विश्व आर्द्रभूमि दिवस इन गंभीर रूप से महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों के बारे में लोगों की समझ बढ़ाने का आदर्श समय है।  

    वर्ष 2023 के लिए थीम (विषय वस्तु) है - "नष्ट हो चुकी आर्द्रभूमि को पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करें" , क्योंकि अच्छी तरह से बहाल आर्द्रभूमि मूल प्राकृतिक आर्द्रभूमि द्वारा की जाने वाली कई सेवाएँ प्रदान कर सकती है।

    इस वर्ष का तत्काल आह्वान या अपील यह है कि दुनिया की आर्द्रभूमि को पूरी तरह से गायब होने से बचाया जाए और जिन्हें हम पहले ही खो चुके हैं, उन्हें पुनर्स्थापित करें। इस हेतु कार्रवाई करने तथा वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी का निवेश करने का एक तत्काल आह्वान इस वर्ष की थीम द्वारा की गयी है।

    हम सभी के लिए यह आवश्यक है कि हम इस बारे में और अधिक पढ़ें कि आर्द्रभूमियों का पुनर्स्थापित करना कैसे हम सब के एक स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने में मदद कर सकता है ।

आर्द्र भूमि के संरक्षण और पुनर्स्थापन के क्या लाभ है ?

ये भूमि लोगों और प्रकृति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि -

  • इन पारिस्थितिक तंत्रों के पर्यावरण, जलवायु, पारिस्थितिक, सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, मनोरंजक तथा सौंदर्य संबंधी योगदान सहित कई महान आंतरिक मूल्य है । इनका संपोषणीय सतत विकास एवं मानव सेवाओं अनेक लाभ है । 

  • ये पृथ्वी की लगभग 6 प्रतिशत भूमि की सतह को कवर करते हैं और सभी पादप व जन्तु प्रजातियों में से 40 प्रतिशत आर्द्रभूमि में निवास करते हैं या वहाँ प्रजनन करते हैं। 

  • आर्द्रभूमि की जैव विविधता हमारे स्वास्थ्य, हमारी खाद्य आपूर्ति, पर्यटन और रोजगार के लिए बहुत मायने रखती है। 

  • आर्द्रभूमि मनुष्यों के लिए, अन्य पारिस्थितिक तंत्रों के लिए तथा हमारी जलवायु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये बाढ़ नियंत्रण और जल शोधन सहित जल विनियमन जैसी आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती हैं। 

  • दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए आर्द्रभूमि पर निर्भर हैं। इसका अर्थ यह है कि दुनियाँ के आठ व्यक्तियों में से लगभग एक व्यक्ति अपनी आजीविका के लिए आर्द्र भूमि पर निर्भर है।

  • वेटलैंड्स जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करते हैं-

जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरे के लिए आर्द्रभूमि एक प्राकृतिक समाधान है। वे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, इसलिए वैश्विक तापन को धीमा करने और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए अक्सर उन्हें "पृथ्वी के गुर्दे “Kidneys of the Earth” कहा जाता है। पीटलैंड्स अकेले दुनिया के सभी जंगलों से दोगुना कार्बन जमा करते हैं। लेकिन, सूखी या नष्ट हो चुकी आर्द्रभूमि भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन करती है। अतः आर्द्र भूमि को सूखने और नष्ट होने से बचाना आवश्यक है। वेटलैंड्स बाढ़, सूखे, तूफान और सूनामी के प्रभावों के खिलाफ एक बफर प्रदान करते हैं, और जलवायु परिवर्तन के लिए लचीलापन बनाते हैं।


वेटलैंड्स पारिस्थितिक तंत्र में क्या शामिल होते हैं ?

वेटलैंड्स एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र हैं जहां पानी पर्यावरण और संबंधित पादप एवं जंतु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक है। वेटलैंड्स की एक व्यापक परिभाषा में मीठे पानी और समुद्री व तटीय पारिस्थितिक तंत्र दोनों शामिल हैं जैसे-

  • सभी झीलें और नदियाँ, 

  • भूमिगत जलभृत, 

  • दलदल (swamps and marshes)

  • गीले घास के मैदान, 

  • पीटलैंड, 

  • ओसेस (शाद्वल या नख़लिस्तान)

  • मुहाना estuaries

  • डेल्टा और ज्वारीय फ्लैट, 

  • मैंग्रोव और अन्य तटीय क्षेत्र, 

  • प्रवाल भित्तियाँ, और 

  • सभी मानव निर्मित स्थल जैसे मछलियों के तालाब, चावल के खेत, जलाशय और साल्टपैन (नमक का मैदान)

 

वर्तमान में भारत में कितनी रामसर साइट है?  Ramsar Sites in India

भारत में आर्द्रभूमि क्षेत्र कितने हैं?

भारत की रामसर साइट लिस्ट, रामसर साइट्स इन इंडिया

रामसर साइट्स इन इंडिया 2022 PDF ramsar sites in rajasthan

क्र. सं.रामसर साइटराज्य / केंद्र शासित प्रदेशघोषित वर्ष
1.चिल्का झीलओडिशा1981
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यानराजस्थान1981
3.लोकटक झीलमणिपुर1990
4.वुलर झीलजम्मू-कश्मीर1990
5.हरिके झीलपंजाब1990
6.सांभर झीलराजस्थान1990
7.कंजली झीलपंजाब2002
8.रोपड़ आर्द्रभूमिपंजाब2002
9.कोलेरु झीलआंध्र प्रदेश2002
10दीपोर बीलअसम2002
11.पोंग बांध झीलहिमाचल प्रदेश2002
12.त्सो मोरीरी झीललद्दाख2002
13.अष्टमुडी झीलकेरल2002
14.सस्थमकोट्टा झीलकेरल2002
15.वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि क्षेत्रकेरल2002
16.भोज आर्द्रभूमिमध्य प्रदेश2002
17.भितरकनिका मैंग्रोवउड़ीसा2002
18.प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2002
19.पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमिपश्चिम बंगाल2002
20.चंदेरटल आर्द्रभूमिहिमाचल प्रदेश2005
21.रेणुका आर्द्रभूमिहिमाचल प्रदेश2005
22.होकेरा आर्द्रभूमिजम्मू और कश्मीर2005
23.सुरिंसर और मानसर झीलजम्मू और कश्मीर2005
24.रुद्रसागर झीलत्रिपुरा2005
25.ऊपरी गंगा नदीउत्तर प्रदेश2005
26.नालसरोवर पक्षी अभयारण्यगुजरात2012
27.सुंदरवन डेल्टा क्षेत्रपश्चिम बंगाल2019
28.नंदुर मध्यमेश्वरमहाराष्ट्र2019
29.केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्वपंजाब2019
30.नांगल वन्यजीव अभयारण्यपंजाब2019
31.व्यास संरक्षण रिजर्वपंजाब2019
32.नवाबगंज पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
33.साण्डी पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
34.समसपुर पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
35.समन पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
36.पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्यउत्तर प्रदेश2019
37.सरसई नावर झीलउत्तर प्रदेश2019
38.आसन कंजर्वेशन रिजर्वउत्तराखंड2020
39.काबर ताल झीलबिहार2020
40.लोनार झीलमहाराष्ट्र2020
41.सुर सरोवर झील उत्तर प्रदेश2020
42.त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्रलद्दाख2020
43.वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्रगुजरात2021
44.थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्यगुजरात2021
45.सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हरियाणा2021
46.भिंड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्यहरियाणा2021
47.हैदरपुर वेटलैंडउत्तर प्रदेश2021
48.बखीरा वन्यजीव अभ्यारणउत्तर प्रदेश2022
49.खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्यगुजरात2022
50.करिकिली पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
51.पल्लिकरनई  मार्श रिजर्व फॉरेस्ट तमिलनाडु2022
52.पिचवरम मैंग्रोव तमिलनाडु2022
53.पाला अर्द्धभूमिमिजोरम2022
54.साख्य सागरमध्यप्रदेश2022
55.कुनथनकुलम पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
56.मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्वतमिलनाडु2022
57. उदयमार्थदपुरम पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
58. वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
59.वेलोड पक्षी अभयारण्यतमिलनाडु2022
60.वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्सतमिलनाडु2022
61.सतकोसिया गॉर्जओडिशा2022
62.नंदा झील गोवा2022
63.रंगनाथितु वी एसकर्नाटक2022
64.शिरपुर आर्द्रभूमिमध्यप्रदेश2022
65.टंपारा झीलओडिशा13 अगस्त 2022
66.हीराकुंड रिजर्वओडिशा13 अगस्त 2022
67.अनसुपा झीलओडिशा13 अगस्त 2022
68.यशवंत सागरमध्य प्रदेश13 अगस्त 2022
69.चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्यतमिलनाडु13 अगस्त 2022
70.सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्सतमिलनाडु13 अगस्त 2022
71.वडुवुर पक्षी अभ्यारण्यतमिलनाडु13 अगस्त 2022
72.कांजीरंकुलम पक्षी अभ्यारण्यतमिलनाडु13 अगस्त 2022
73.ठाणे क्रीकमहाराष्ट्र13 अगस्त 2022
74.हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्वजम्मू और कश्मीर13 अगस्त 2022
75.शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्वजम्मू और कश्मीर13 अगस्त 2022

राजस्थान में रामसर स्थल कौन कौन से हैं? 

रामसर कन्वेंशन के तहत राजस्थान में कितने आर्द्रभूमि आते हैं?

राजस्थान के रामसर स्थल: 

  1. सांभर झील (1990) 

  2. केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान (1981)

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन...

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली...