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Rajasthan Oriental Research Institute (R.O.R.I.) राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर

राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर [Rajasthan Oriental Research Institute (R.O.R.I.)]  - पृष्ठभूमि कला और साहित्य के लिए राजस्थान के तत्कालीन रियासतों व राज्यों के शासकों का प्रश्रय व संरक्षण, वल्लभ व नाथ संप्रदायों के नैतिक व सक्रिय समर्थन, नए साहित्य के सृजन कार्यों एवं टीका को सीखने व लेखन के लिए नागौर तपगच्छ के जैन भिक्षुओं के समर्पण तथा पेंटिंग व स्क्रिबल कौशल की कला के लिए यतियों के समर्पण आदि ने प्रांत को मात्रा और गुणवत्ता दोनों में नवीन साहित्य की रचना करने या हजारों पांडुलिपियों की नकल करने के क्षेत्र में समृद्ध करने का मार्ग प्रशस्त किया है। स्वर्गीय हरप्रसाद सारदा (अजमेर) और पंडित के. माधव कृष्ण शर्मा (बीकानेर) ने पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करने का कार्य शुरू किया, जबकि विद्वानों ने डी. आर. भंडारकर एवं इतालवी शिक्षाविद एल.पी. टेस्सीटरी न केवल राज्य की विशाल सांस्कृतिक विरासत के विशाल सर्वेक्षण का संचालन किया, बल्कि जयपुर से प्रकाशित काव्यमाला श्रृंखला के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वाले विद्वानों को भी प्रेरित किया। स्वतंत्रता के भोर में, राजस्थान सरकार न