प्रिंस ऑफ़ वेल्स ‘अलबर्ट एडवर्ड’ की 1876 में जयपुर यात्रा के दौरान जयपुर में ‘अल्बर्ट हॉल’ का शिलान्यास किया गया, तब यह निर्धारित किया जाना शेष था कि इसका क्या उपयोग किया जाएगा । उस समय इसके सांस्कृतिक या शैक्षिक कार्य के लिए उपयोग करने अथवा इसे टाउन हॉल के रूप में प्रयुक्त करने के सुझाव आये थे । उस समय जयपुर में कार्यरत अंग्रेज रेजिडेंट सर्जन डॉ. थॉमस होल्बेन हेन्डले, जिनकी रूचि चिकित्सकीय उत्तरदायित्व से इतर कला व संस्कृति की तरफ भी बढ़ चुकी थी, ने 1880 ई में जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने को जयपुर में स्थानीय दस्तकारों द्वारा निर्मित उत्पादों के प्रदर्शन के लिए एक “औद्योगिक म्यूजियम” खोलने का सुझाव दिया जिसकी स्वीकृति महाराजा ने प्रदान कर दी। तब एक अस्थायी आवास में 1981 में एक छोटा - सा म्यूजियम बनाया गया, जो अत्यंत ही लोकप्रिय हुआ । इसके अलावा 1883 में हैण्डले ने नया महल (पुरानी विधान सभा) में एक “जयपुर प्रदर्शनी ( Jaipur Exhibition ) ” की भी स्थापना की । उक्त सभी प्रयासों का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय दस्तकारों को अपने व्यावसायिक कौशल में सुधार करने की प्
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