प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला प्रसिद्ध जैन तीर्थ ऋषभदेव का मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी दिनांक 26 मार्च सुबह सुरक्षाकर्मियों द्वारा दी गई 21 बंदूकों से सलामी के साथ शुरू हुआ। मेले का आगाज होते ही मंगला के दर्शन खुले, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्तों ने मंदिर में पहुँच कर पूजा अर्चना की। मेले के पहले दिन दोपहर 12.30 बजे विधि विधान के साथ मंदिर शिखर पर ध्वजा चढ़ाई गई। इसके बाद निकली शोभायात्रा में प्रभु ऋषभदेव की पालकी को निज मंदिर से पगल्याजी तक ले जाया गया। वहां भगवान की पूजा अर्चना की गई। इस मेले के तहत 26 मार्च रात को जन्म कल्याणक आरती और मंगलदीप आरती की गई जिसमें हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मेले में दूरदराज के भक्तों की दिनभर आवाजाही रही। मेले के दूसरे दिन भगवान ऋषभदेव का मंगला दर्शन के पश्चात दुग्धाभिषेक तथा जलाभिषेक किया गया। सुबह की आरती के बाद दिनभर केसरिया जी भगवान की केसर पूजा चली जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने कालिया बाबा ऋषभदेव को केसर चढ़ाई। दोपहर को आंगी धराने के साथ ही शिखर पर जयकारों के साथ ध्वजा भी च
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