तारकशी या इनले वर्क ऑन वुड - राजस्थान की एक प्रसिद्ध कला जयपुर में 'इनले वर्क ऑन वुड या तारकशी की कला' मध्यकाल से प्रचलित था। लकड़ी पर तारकशी की कला एक अनुपम कला है। तारकशी के कलात्मक कार्य के प्राचीन नमूनों को राजस्थान के पुराने महलों, हवेलियों आदि के दरवाजों, झरोखों की खिडकियों के अलावा सिंहासनों, फर्नीचर, हाथी के हौदों और घोड़े या ऊंट की काठी एवं अन्य कलात्मक वस्तुओं में देखा जाता है। तारकशी एक प्रकार की काष्ठकला है। तारकशी का शाब्दिक अर्थ "तार को कसना" है, अर्थात इस कला में तार को लकड़ी के अन्दर जड़ा जाता है। अंग्रेजी में इसे Inlaying in wood कहा जाता है जिसका अर्थ "लकड़ी में तार जड़ना" है। तारकशी के काम को दृढ़ एवं उच्च तैलीय लकड़ी पर ही किया जा सकता है, क्योंकि दृढ एवं उच्च तैलीय लकड़ी में तार को कसने या जड़ने से तार ढीला नहीं पड़ता है। अतः 'इनले वर्क' में शीशम एवं अन्य पेड़ की दृढ़ लकड़ी प्रयुक्त की जाती है। इस कला में लकड़ी पर तारों द्वारा कलात्मक पैटर्न बनाया जाता है। यह पैटर्न आमतौर पर जटिल ज्यामितीय रूपों या मुगल कला के फूलों-पत्तिय
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