नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किये गए 34 वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के राजस्थान मण्डप में प्रदेश के विभिन्न सिद्धहस्त शिल्पियों के साथ ही ‘ थेवा-कला ’ से बने आभूषण इन दिनों व्यापार मेला में दर्शकों विशेषकर महिलाओं के लिये विशेष आकर्षण का केन्द्र बने। राजस्थान मण्डप में प्रदेश के एक से बढ़कर एक हस्तशिल्पी अपनी कला से दर्शकों को प्रभावित किया , लेकिन थेवा कला से बनाये गये आभूषणों की अपनी अलग ही पहचान है। शीशे पर सोने की बारीक मीनाकारी की बेहतरीन ‘ थेवा-कला ’ विभिन्न रंगों के शीशों ( काँच) को चांदी के महीन तारों से बनी फ्रेम में डालकर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरने की अनूठी कला है , जिन्हें कुशल और दक्ष हाथ छोटे-छोटे औजारों की मदद से बनाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली इस कला को राजसोनी परिवार के पुरूष सीखते हैं और वंश परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। इसी ‘ थेवा-कला ’ से बने आभूषणों का प्रदर्शन व्यापार मेला में ’’ ज्वैल एस इंटरनेशनल ‘‘ द्वारा किया गया , जिसने मण्डप में आने वाले दर्शकों को अपनी ओर लगातार खींचा। थेवा कला की शुरूआत लगभग 300 वर्ष पूर्व राजस
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