राज्य विधानसभा द्वारा नगर पालिका कानून की धारा 53 में किए गए संशोधन के अनुसार अब राजस्थान में भी ठीक ढंग से काम नहीं करने वाले महापौर, सभापति और नगर पालिका अध्यक्षों को वापस बुलाने का अधिकार ( राइट टू रिकॉल ) मतदाताओं को होगा। इसके लिए दो तिहाई पार्षदों को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देना होगा, लेकिन अध्यक्ष को जनमत संग्रह (वोटिंग) के आधार पर ही हटाया जा सकेगा। दो साल बाद हटा सकेंगे: नगर पालिका कानून की धारा 53 में किए गए संशोधन के अनुसार निकाय प्रमुख के खिलाफ पद ग्रहण करने की तारीख से दो साल तक और उपचुनाव में जीतकर आए अध्यक्ष के खिलाफ उसके आधे कार्यकाल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। यह होगी हटाने की प्रक्रिया: निकाय अध्यक्ष को हटाने के लिए तीन-चौथाई पार्षद कलेक्टर को लिखित आवेदन करेंगे। *. कलेक्टर अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन करने वाले पार्षदों का सत्यापन करेंगे। *. 7 दिन में अपनी शंका का समाधान करने के बाद वे 14 दिन के अंदर संबंधित निकाय में साधारण सभा की बैठक बुलाएंगे। *. इसकी अध्यक्षता उनके मनोनीत प्रतिनिधि करेगा। *. साधारणसभा में तीन-चौथाई बहुमत से अविश्वास
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