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Baadshah's Sawari of Nathdwara- नाथद्वारा की बादशाह की सवारी

नाथद्वारा में प्रतिवर्ष धुलंडी की शाम को प्राचीन परंपरा के तहत स्थानीय गुर्जरपुरा मोहल्ले की बादशाह गली से ठाट-बाट से बादशाह की सवारी निकाली जाती है। इसमें एक व्यक्ति बादशाह बनकर पालकी में बैठता है। इस सवारी मे बादशाह बादशाही दाढ़ी मूंछ लगाकर जामा पायजामा की मुगली पोशाक पहनते हैं तथा आंखों में काजल लगाकर दोनों हाथों में श्रीनाथजीकी छवि लेकर पालकी पर सवार होते हैं। सवारी की अगवानी आगे आगे नाथद्वारा के श्रीनाथजी के मंदिर मंडल का बैंड के बांसुरी वादन करते हुए चलता है।    गुर्जरपुरा से सवारी सीधे बड़ा बाजार होती हुई आगे बढ़ती है तब बृजवासी  लोग बादशाह पर गालियों की बौछारें करते हैं। सवारी मंदिर की परिक्रमा लगाती हुई श्रीनाथ जी के मंदिर पहुंचती, जहां पर बादशाह ने अपनी दाढ़ी से सूरजपोल की सीढिय़ां साफ कर बरसाें से चली रही परंपरा का निर्वाह करते हैं। इसके बाद मंदिर के परछने विभाग के मुखिया ने बादशाह को पैरावणी भेंट करते हैं। बृजवासी लोग मंदिर में भी बादशाह को जमकर गालियां सुनाते हैं तथा रसिया गान कर माहौल को बृज-सा बना देते हैं।    नाथद्वारा में ये मान्यता है कि औरंगजे

ब्यावर का प्रसिद्ध बादशाह मेला और बादशाह की सवारी

यूँ तो राजस्थान के सवारी नाट्य में से एक बादशाह की सवारी कई शहरों में निकाली जाती है किंतु अजमेर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित ब्यावर कस्बे में हर साल बड़े धूमधाम से निकाली जाने वाली हिंदुस्तान के एक दिन के बादशाह की सवारी अत्यंत प्रसिद्ध है। इसे बादशाह का मेला भी कहा जाता है। यह सवारी उत्सव बादशाह अकबर के जमाने से ही यहाँ होली के दूसरे दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है जिसमें बादशाह के रूप में अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल की सवारी निकाली जाती है। कहा जाता है कि अकबर ने खुश होकर राजा टोडरमल को एक दिन की बादशाहत सौंपी थी। बादशाहत मिलने के बाद टोडरमल इतना खुश हुए कि वे हाथी पर सवार होकर प्रजा के बीच आए और हीरे-मोती के अलावा सोने व चांदी की अशर्फियां लुटाकर उन्होंने अपनी खुशी प्रकट की थी। उस समय तो टोडरमल ने अशर्फियां लुटाई थी, लेकिन अब अशर्फियों की जगह गुलाल लुटाई जाती है। बादशाह से मिली खर्ची यानी गुलाल को लोग अपने घरो में ले जाते हैं। लोगों का विश्वास है कि खर्ची उनके घर में बरकत लाती है। यही कारण है कि बादशाह से खर्ची पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग इस सवारी में उमड़ते हैं। कहा