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मोहन लाल सुखाड़िया जी के जीवन का अनछुए पहलू-

मेवाड़ में प्रजामंडल की राजनीतिक गतिविधियों में अपनी अग्रणी स्थिति बनाने से पहले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने इंदुबाला सुखाड़िया के साथ अंतर्जातीय विवाह कर लिया। ब्यावर के शिक्षित एवं प्रगतिशील समाज के लोगों ने आर्य समाज की वैदिक रीति से यह विवाह 1 जून 1938 को संपन्न करवाया। अपने संस्मरणों में सुखाड़ियाजी ने लिखा है- " विवाह के बाद नाथद्वारा जाकर मां का आशीर्वाद पाना मेरा कर्तव्य था, जो मुझे सबसे अधिक भयपूर्ण और मानसिक रूप से कष्टप्रद लग रहा था, लेकिन मुझमें आक्रोश भी बहुत था। जो मां मुझे बचपन में स्नेह से पालती रही तथा हजारों कल्पनाएं मेरे लिए संजोती रहीं, वही आज मुझसे मिलने में आत्मग्लानि और मुंह देखने में घृणा तथा मौत की सी अनुभूति कर उठी है। मेरे लिए यह विषम परिस्थिति थी। इसमें मां का भी क्या दोष था? वह ऐसे ही वातावरण में पली थी। जीवन भर श्रीनाथजी की भक्ति एवं साधना में छुआछूत की पृष्ठभूमि में सतत संलग्न रही। वह भला मेरे इस विवाह से कैसे प्रसन्न होकर आशीर्वाद दे सकती थी? और उनके इस व्यवहार के प्रति मेरा भी क्रोध कैसे शांत हो सकता था? दोनों ओर ही मजबूरी थी

आधुनिक राजस्थान के निर्माता 'पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया'

आधुनिक राजस्थान के निर्माता के रूप में लोकप्रिय 'पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया' का जन्म 31 जुलाई 1916 को झालावाड़ में एक जैन परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री पुरुषोत्तम लाल सुखाडिया एक क्रिकेटर थे जो बॉम्बे तथा सौराष्ट्र की टीम से खेले थे। नाथद्वारा तथा उदयपुर में प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के लिए मुंबई चले गए जहाँ वे छात्र राजनीति से जुड़े तथा अपने कॉलेज के महासचिव बने। वहाँ वो छात्र हितों के लिए लगातार सक्रिय रहे। इसी दौरान वे प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं यथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, युसुफ मेहेरली तथा अशोक मेहता आदि के संपर्क में आए। वे सरदार पटेल के नेतृत्व में होने वाली कांग्रेस की बैठकों में नियमित रूप से शरीक होते थे। नाथद्वारा लौटने पर उन्होंने इलेक्ट्रिकल का छोटा सा प्रतिष्ठान प्रारंभ किया। यही प्रतिष्ठान उनकी स्वाधीनता आंदोलन के लिए युवा मित्रों की बैठकों व गतिविधियों का केन्द्र बना। यहाँ वे ब्रिटिश शासन की तानाशाही व अनियमिताओं के अलावा इलाके में सामाजिक-आर्थिक सुधार पर चर्चा करते थे। उन्होंने तथा उनके