Skip to main content

Posts

Showing posts with the label राजस्थान की उपयोगी घासें

Saccharum munja- कैसे करें उपयोगी मूंजा घास की खेती-

मुंजा एक बहुवर्षीय घास है, जो गन्ना प्रजाति की होती है। यह ग्रेमिनी कुल की सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम सेक्करम मूंज (Saccharum munja) है। मूंज को रामशर भी कहते हैं। यह  घास  भारत,  पाकिस्तान  एवं अपफगानिस्तान के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पायी जाती है। इसका प्रसारण जड़ों एवं सकर्स द्वारा होता है। यह वर्ष भर हरी-भरी रहती है। इसके पौधों की लम्बाई 5 मीटर तक होती है। यह एक खरपतवार है, जो खेतों में पाया जाता है। बारानी एवं मरूस्थलीय प्रदेशों में इसका उपयोग मृदा कटाव व अपक्षरण रोकने में बहुत सहायक होता है। यह एक बहुवर्षीय पौधा है। इसके पौधे एक बार जड़ पकड़ लेने के बाद लगभग 25-30 वर्ष तक नहीं मरते हैं। अधिकतर अकृषि योग्य भूमि जहां कोई फसल व पौधा नहीं पनपता, वहां पर यह खरपतवार आसानी से विकसित हो जाती है। यह नदियों के किनारे, सड़कों, हाईवे,  रेलवे लाइनों और तालाबों के पास, चरागाहों, गोचर, ओरण आदि के आसपास जहाँ खाली जगह हो वहां पर स्वतः प्राकृतिक रूप से उग जाती है। इसकी पत्तियां बहुत तीक्ष्ण होती हैं। इसकी पत्तियों से हाथ या शरीर का कोई भाग लग जाए तो वह जगह कट सकती है और खून निकल सकता ह

rajasthan gk Grasses of Rajasthan - राजस्थान में पशुचारे के लिए उपयोगी घासें

1. सेवण घास- सेवण घास का वानस्पतिक नाम: लेसीयूरस सिंडीकस (Lasiurus Sindicus) सेवण एक बहुवर्षीय घास है। यह पश्चिमी राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। यह घास 100 से 350 मिमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण घास है। इसमें जड़ तन्त्र अच्छा विकसित होता है, इस कारण यह सूखा सहन कर सकती है। यह कम वर्षा वाली रेतीली भूमि में भी आसानी से उगती है। सेवण का चारा पशुओं के लिए पौष्टिक तथा पाचक होता है। भारत के अलावा यह घास मिश्र, सोमालिया, अरब व पाकिस्तान में भी पाई जाती है। भारत में मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में पाई जाती है। राजस्थान में जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर व चूरु जिले में यह अन्य घासों के साथ आसानी से उगती हुई पाई जाती है। इसकी मुख्य विशेषता है कि यह रेतीली  मिट्टी में आसानी से पनपती है, इसी कारण यह थार के रेगिस्तान में बहुतायत से विकसित होती है। इसको घासों का राजा भी कहते हैं। इसका तना उर्ध्व, शाखाओं युक्त लगभग 1.2 मीटर तक लम्बा होता है। इसकी पत्तियां रेखाकार, 20-25 सेमी. लम्बी तथा पुष्प गुच्छा 10 सेमी. तक लम्बा होता है। सेव