Ancient city - Madhymika or Nagri प्राचीन नगर मध्यमिका या नगरी चित्तौड़ के किले से 7-8 मील उत्तर में नगरी नाम का एक प्राचीन स्थान है। नगरी का प्राचीन नाम 'मध्यमिका' था। इस नगरी के पश्चिम में बेड़च नदी बहती है। इसकी सर्वप्रथम खोज 1872 ई. में कार्लाइल द्वारा की गयी थी। इतिहासविद डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू के अनुसार यही वह क्षेत्र था जहां चांदी की उपलब्धता को देखकर यवनों की सेना ने सेनापति अपोलोडोटस के नेतृत्व में हमला किया। स्वयं पतंजलि ने उस घेरे को देखा और अपने 'महाभाष्य' में उसका जिक्र किया है- ‘अरूणात् यवना: साकेतम्, अरूणात यवनों मध्यमिकाम्’। विभिन्न शिलालेखों में मध्यमिका का उल्लेख प्राप्त होता है। ह्वेनसांग ने इस इलाके का, खासकर यहां की उपज-निपज का वर्णन किया है। महाभारत के सभापर्व में मध्यमिका पर नकुल की दिग्विजय यात्रा के सन्दर्भ वर्णन मिलता है, जिसमें माध्यमिका को जनपद की संज्ञा दी गई है- 'तथा मध्यमिकायांश्चैव वाटधानान् द्विजानथ पुनश्च परिवृत्याथ पुष्करारण्यवासिनः' । शिवि जनपद की राजधानी थी मध्यमिका - पुरातत्व अन्वेषण में नगरी बस्त
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