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राजस्थान में यहाँ होता हैं मकर संक्रांति पर दड़ा खेल Dara game is played on Makar Sankranti here in Rajasthan

राजस्थान में यहाँ होता हैं मकर संक्रांति पर दड़ा खेल - मकर संक्रांति पर बूंदी के बरूंधन गांव में 5 किलो वजनी बॉल से खेला जाता है दड़ा खेल राजस्थान के बूंदी जिले में बरूंधन में सामाजिक समरसता के प्रतीक पारंपरिक 'दड़ा खेल' बिना रेफरी के साथ खेला जाने वाला स्वअनुशासित खेल हैं। रियासतकाल से पिछले 800 साल से बेहद रोचक इस खेल की अनोखी परंपरा निभाई जा रही है, जिसमें पत्थर को टाट में लपेटकर और रस्सियों से गूंथ कर बनाई गई 5 किलो वजन जितनी भारी बॉल से दड़ा नामक खेल खेला जाता है, जिसके लिए 12 गांवों की दो टीमें बनती हैं और उसके बाद सामूहिक रूप से हाड़ा वंशजों के पास जाकर इसे खेलने की अनुमति ली जाती है। इस पर हाड़ा वशंज उन्हें प्रतीक रूप में शराब पीला कर कर दड़ा खेलने की अनुमति देते हैं। लक्ष्मीनारायण मंदिर भगवान के आंगन को साक्षी मानते हुए संक्रांति पर एक अनूठी दड़ा (फुटबॉल) खेल की विशिष्ट परंपरा राजस्थान के बूंदी जिले के बरूंधन गांव में सदियों से चली आ रही है। यह दड़ा वस्तुतः टाट से बनाई गई देसी भारी भरकम बॉल होता है। इस बॉल का वजन करीब 5 किलो होता है। यह दड़ा महोत्सव बेहद रोचक होता है

उदयपुर का मेवाड़ महोत्सव

पर्यटन विभाग के तत्वावधान में लोकपर्व गणगौर से जुड़े तीन दिवसीय मेवाड़ महोत्सव का आयोजन उदयपुर में किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन दिनांक 6 से 8 अप्रैल तक किया गया। इसके तहत उदयपुर के पुराने शहर व गणगौर घाट पर मेला भरा गया। 6 अप्रैल को गणगौर व ईसरजी की भव्य सवारियां निकाली गई तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुतियाँ हुई। इसमें महिलाएं गणगौर संबंधी विभिन्न लोकगीत गाते हुए तथा सभी लोग जयकारे लगाते चल रहे थे। चैत्र नवरात्रि की तीज के अवसर पर अंचल में गणगौर—ईसरजी की पूजा विधि विधान से की गई। व्रतार्थी महिलाओं ने घर—घर गणगौर व ईसरजी की प्रतिमाओं को सजाया और उनको जल आचमन करवाया। गणगौर व्रत की कथाओं को सुनकर आरती की। पहले दिन की गणगौर को गुलाबी गणगौर माना जाता है। इस दिन महिलाओं ने गणगौर की प्रतिमाओं को गुलाबी वस्त्र धारण करवाए तथा नख—शिख आभूषण धारण करवाए और उन्हें लाड़ लड़ाते हुए उनके सामने घूमर नृत्य किया। शहर के विभिन्न समाजों की सजी धजी गणगौरों की सवारियां गणगौर घाट पर पहुंची जहाँ पर्यटन विभाग की ओर से सर्वश्रेष्ठ गणगौर का खिताब लगातार तीसरी बार राजमाली समाज को तथा द्वितीय स्थ

जयपुर के रामबाग पोलो ग्राउंड में हुआ हाथी महोत्सव

होली की मस्ती के साथ फाल्गुन पूर्णिमा शनिवार 19 मार्च की शाम को जयपुर के रामबाग पोलो ग्राउंड में पर्यटन विभाग की ओर से शानदार हाथी महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें जयपुर आए विदेशी सैलानियों ने हाथियों पर सवारी करते हुए रंगों के साथ मस्ती की। देश के एक अलग ही रूप को देख रहे ये पर्यटक होली की मस्ती में ऐसे डूबे कि सब कुछ भूल गए। शाम चार बजे जैसे ही एलिफेंट फेस्टिवल शुरू हुआ तो अबीर गुलाल एवं फूलों के बीच क्या देसी क्या विदेशी सभी होली के रंगों में रंग गए। इस महोत्सव में विदेशियों के लिए देसी खेलों मटका दौड़, रस्साकशी का भी आयोजन किया गया। इसमें रंगीन पानी से भरे मटके को सिर पर रखकर जहां विदेशी पर्यटकों ने दौड़ लगाई। वहीं रस्साकशी में स्थानीय नागरिकों एवं विदेशी पर्यटकों के मध्य जोर आजमाइश हुई। साथ ही राजस्थान के लोक नृत्यों से भी पर्यटकों का मनोरंजन किया गया। इस आयोजन में नगाडे की थाप पर गज श्रृंगार का आगाज हुआ तथा हाथियों के जुलूस में राजस्थान का वैभव एवं संस्कृति के रंग के दर्शन हुए। गज श्रृंगार में बीस हाथियों ने भाग लिया तथा जुलूस में निकले इन हाथियों के भव्य श्रृंगार राजस्थान के गौ