Skip to main content

Posts

Showing posts with the label राजस्थान के संग्रहालय

राजस्थान पुरासम्पदा संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा निर्मित पेनोरमा, संग्रहालय, स्मारक

राजस्थान पुरासम्पदा संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा लगभग 100 करोड रुपये की लागत से धरोहर संरक्षण के अंतर्गत विभिन्न स्मारकों/पेनोरमा का निर्माण किया गया है, जिनकी सूची निम्न है - पेनोरमा/ संग्रहालय/स्मारक जिला 1 . नागरीदास जी पेनोरमा, किशनगढ़, अजमेर अजमेर 2 निम्बार्काचार्य पेनोरमा, सलेमाबाद, अजमेर अजमेर 3 हसन खां मेवाती पेनोरमा, अलवर अलवर 4 कृष्ण भक्त अलीबख्श पेनोरमा, मुण्डावर, अलवर अलवर 5.राष्ट्रीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, मानगढ़ बाँसवाड़ा 6 चालकनेची पेनोरमा, चालकना (तन्नोट माता जन्मस्थान) बाड़मेर 7 हाड़ौती पेनोरमा, बारां बारां 8 राणा सांगा पेनोरमा, खानवा, भरतपुर भरतपुर 9   श्री करणी माता पेनोरमा, बीकानेर   बीकानेर 10   संत रैदास पेनोरमा, चित्तौड़गढ़ चित्तौड़गढ़ 11   संत सुन्दरदास पेनोरमा, दौसा दौसा 12 कालीबाई पेनोरमा, माण्डवा डूंगरपुर 13  मावजी महाराज पेनोरमा, बेणेश्वर डूंगरपुर 14 पं. दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय संग्रहालय धानक्या, जयपुर जयपुर 15. गुरू गोविन्

Albert Hall Museum of Jaipur
'अल्बर्ट हॉल’ संग्रहालय, जयपुर

प्रिंस ऑफ़ वेल्स ‘अलबर्ट एडवर्ड’ की 1876 में जयपुर यात्रा के दौरान जयपुर में ‘अल्बर्ट हॉल’ का शिलान्यास किया गया, तब यह निर्धारित किया जाना शेष था कि इसका क्या उपयोग किया जाएगा । उस समय इसके सांस्कृतिक या शैक्षिक कार्य के लिए उपयोग करने अथवा इसे टाउन हॉल के रूप में प्रयुक्त करने के सुझाव आये थे । उस समय जयपुर में कार्यरत अंग्रेज रेजिडेंट सर्जन डॉ. थॉमस होल्बेन हेन्डले, जिनकी रूचि चिकित्सकीय उत्तरदायित्व से इतर कला व संस्कृति की तरफ भी बढ़ चुकी थी, ने 1880 ई में जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने को जयपुर में स्थानीय दस्तकारों द्वारा निर्मित उत्पादों के प्रदर्शन के लिए एक “औद्योगिक म्यूजियम” खोलने का सुझाव दिया जिसकी स्वीकृति महाराजा ने प्रदान कर दी। तब एक अस्थायी आवास में 1981 में एक छोटा - सा म्यूजियम बनाया गया, जो अत्यंत ही लोकप्रिय हुआ । इसके अलावा 1883 में हैण्डले ने नया महल (पुरानी विधान सभा) में एक “जयपुर प्रदर्शनी ( Jaipur Exhibition ) ” की भी स्थापना की ।  उक्त सभी प्रयासों का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय दस्तकारों को अपने व्यावसायिक कौशल में सुधार करने की प्

Government Museum, Ajmer
राजकीय संग्रहालय, अजमेर-

अजमेर में स्थित इस राजकीय संग्रहालय को ‘मैगजीन' के रूप में भी जाना जाता है। यह “अकबर के किले (मैगजीन किले)” के अंदर स्थित है। इसे लॉर्ड कर्जन और भारत में पुरातत्व विभाग के तत्कालीन महानिदेशक सर जॉन मार्शल की पहल के तहत अक्टूबर 1908 में स्थापित किया गया था। बाद में अपने पहले अधीक्षक पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा अपनी प्रदर्शनी के माध्यम से क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत की ओर लोगों का ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इसे विकसित किया गया। इस संग्रहालय में मुख्य रूप से मूर्तियां, शिलालेख, पूर्व ऐतिहासिक अनुभाग, लघु चित्रों, अस्त्र-शस्त्र, कवच और कला और शिल्प की वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। मूर्तियां- मूर्ति-शिल्प अनुभाग इस संग्रहालय का सबसे दिलचस्प अनुभाग है। इस अनुभाग का गठन पुष्कर , अढाई दिन का झोंपड़ा , बघेरा , पीसांगन , हर्षनाथ ( सीकर) भरतपुर , सिरोही , अर्थुना और ओसियां से प्राप्त प्राचीन, दुर्लभ और अद्वितीय मूर्तियों से किया गया है।    ये मूर्तियां गुप्तकाल से लेकर 19 वीं शताब्दी ईसवी की तक की है जो शैव ​​, वैष्णव और जैन धर्मों का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ