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olive farming in rajasthan in hindi राजस्थान में जैतून की खेती

राजस्थान जैतून की खेती करने वाले राज्यों की अग्रिम पंक्ति में शामिल राजस्थान देश में जैतून के अग्रणी उत्पादक राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है। राजस्थान में 182 हेक्टेयर सरकारी कृषि क्षेत्रों के अतिरिक्त किसानों के 425.18 हेक्टेयर खेतों में जैतून की खेती की जा रही है। 2013 से 2016 तक राज्य में कुल 11574.09 किलोग्राम जैतून के तेल का उत्पादन किया गया है। प्रारंभ में , राज्य ने कुल 182 हेक्टेयर क्षेत्र के सरकारी खेतों पर जैतून की खेती आरम्भ की थी। अब किसानों के खेतों पर इसकी खेती 425.18 हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। राज्य के विभिन्न भागों में जैतून के सात कृषि क्षेत्र तैयार किए गए हैं।   वर्ष 2008 से ही इजराइल के सक्रिय सहयोग से राज्य द्वारा आरम्भ में जैतून के 1,12,000 पौधे आयात किए थे। इजराइल की जलवायु तथा मिट्टी लगभग राजस्थान के समान ही हैं। वर्ष 2008-10 में राज्य के विभिन्न भागों में कुल 182 हेक्टेयर सरकारी भूमि क्षेत्र पर जैतून के सात कृषि क्षेत्र तैयार किए गए थे। वर्ष 2015 से मार्च 2016 की अवधि में जैतून की खेती का विस्तार किसानों के 296 हेक्टेयर खेतों तक हो चुका है।   र

How to Farm Drumstick in rajasthan - कैसे करे सहजन की खेती rajasthan

 कैसे करे सहजन की खेती Rajasthan सहजन की खेती क्या है सहजन (Moringa oleifera) सहजन को अंग्रेजी भाषा में ड्रमस्टिक कहा जाता हैं, यह एक औषधीय पौधा होता है। यह मोरिंगंसी कुल का पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा है। यह 7-8 मीटर ऊँचा वृक्ष होता है, जो भारत में प्राय: सभी भागों में पाया जाता है। अलग - अलग क्षेत्रों में इसे अलग - अलग नाम से भी जाना जाता है। इसकी छाल एवं शाखाएँ कोमल होती हैं तथा पर्ण संयुक्त त्रिपिच्छकी व लम्बी होती है। फूल हल्के नीले-सफेद रंग के होते हं जो गुच्छों में लगते हैं। फल हरे-भूरे रंग की लम्बी फलियों जैसे लटके हुए रहते है। सहजन का रासायनिक संगठन- इसकी पत्तियों, फलों व फूलों में कई तरह के आवश्यक एमिनो अम्ल पाये जाते हैं जैसे एलानिन, आर्जिनिन, गलाइसिन, सेरीन, लाइसीन, थ्रिओनिन, वेलीन, एस्पार्टीक तथा ग्लूटेमिक अम्ल आदि। इसकी पत्तियां व फलों में विटामिन ‘ए‘, ‘सी‘ (एस्कोर्बिक अम्ल) व निकोइनिक अम्ल पाया जाता है। इसके फलों में कई तरह के एल्केलॉइड्स तथा क्विरसीटिन व केम्पफेरॉल फ्लेवोनॉइड्स होते है। इसके तने में गौंद निकलता है जो एक पॉलीयुरोनाइड होती है जिसमें आर्बीन

HOW TO DO MODERN FARMING OF GROUNDNUT - कैसे करें मूंगफली की आधुनिक खेती

HOW TO DO MODERN FARMING OF GROUNDNUT -  कैसे करें मूंगफली की आधुनिक खेती भारत में की जाने वाली तिलहनी फसलों की खेती में सरसों, तिल, सोयाबीन व मूँगफली आदि प्रमुख हैं। मूँगफली पडौसी राज्य गुजरात के साथ-साथ राजस्थान की भी एक प्रमुख तिलहनी फसल हैं। यह गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक उगाई जाती है। अन्य राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब में भी यह काफी महत्त्वपूर्ण फसल मानी जाने लगी है।  मूँगफली (peanut, या groundnut) का वानस्पतिक नाम  ऐराकिस हाय्पोजिया (Arachis hypogaea) है। मूंगफली एक ऐसी फसल है जो लेग्युमिनेसी कुल की होते हुए भी तिलहनी के रूप में अधिक उपयोगिता रखती है। लेग्युमिनेसी कुल का पौधा होने के कारण मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। मूंगफली की आधुनिक खेती करने से भूमि की उर्वरता बढ़ने से भूमि का सुधार होगा और इसके साथ साथ किसान की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होती है। राजस्थान में बीकानेर जिले के लूणकरनसर में अच्छी किस्म की मूँगफली का अच्छा उत्पादन होता है, इस कारण लूणकरनसर को 'राजस्थान

जानिए क्या होता है फोग

मरू क्षेत्र का मेवा  - फोग केलिगोनम या फोग की करीब 60 प्रजातियां झाडी या छोटे वृक्षों के रूप में उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी एशिया व दक्षिणी यूरोप में पाई जाती है। इनमें से केलिगोनम पोलिगोनाइडिस (Calligonum polygonoides Linn) जिसे स्थानीय भाषा में फोग, फोगाली, फोक तथा तूरनी आदि नामों से पुकारा जाता है। यह पोलिगोनेएसी कुल का सदस्य है। फोग सफेद व काली रंग की झाड़ी है, जिसमें शाखित शाखाएं होती है। यह अत्यंत शुष्क एवं ओंस दोनों परिस्थिति में जीवित रह सकता है। भारत में यह उत्तरी पंजाब व पश्चिमी राजस्थान में अधिक मिलता है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान में बागोही पहाडियों मे आर्मीनिया व सीरिया में भी मिलता है। पश्चिमी राजस्थान में केलिगोनम पोलीगोनाइडिस सामान्यतः 80 मिमी से 500 मिमी वर्ष वाले तथा 32-40 डिग्री से. तापमान वाले इलाकों में मिलता है। यह रेतीले इलाकों, टिब्बों तथा चटटानी क्षेत्रों में भी उग सकता है।  इसमें पुष्पण प्रायः फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक होता है। फल सामान्यतः मार्च के अंत तक या अप्रैल मध्य तक परिपक्व हो जाते है। इसके एक पौधे से डेढ़ से 4 किलो तक बीज प्राप्त हो सकता है। इन्ह

International Horticulture Innovation and training centre (IHITC), इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर इन्नोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर (आईएचआईटीसी)

International Horticulture Innovation and training centre (IHITC) : राज्य सरकार ने वाणिज्यिक बागवानी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक उच्च तकनीक बागवानी पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु पीटीसी + इंटरनेशनल; नीदरलैंड (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग सेंटर, नीदरलैंड) के तकनीकी सहायता से अंतर्राष्ट्रीय बागवानी नवाचार और प्रशिक्षण केंद्र (IHITC) की स्थापना की है। IHITC लघु अवधि के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के स्पेक्ट्रम युक्त ऐसा सबसे उत्तम स्थल है, जो वाणिज्यिक बागवानी, कृषि उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, उन्नत बागवानी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए मूल्य संवर्धन या प्रसंस्करण से संबंधित क्षेत्रों में कर्मियों के कौशल को उन्नत करने, वाणिज्यिक बागवानी फसलों के लिए और खुदरा विपणन के संबंध में बागवानी में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने हेतु प्रकृति में व्यावहारिक और अभिनव प्रशिक्षण प्रदान करता है।  केंद्र के पास कॉर्पोरेट खेती या कॉर्पोरेट टाई-अप से बागवानी श्रृंखला के विकास को प्रोत्साहित करने और उत्पादकों के साथ उत्पादन के निर्यात को सुविधाजनक बनाने का जनादेश है। यह बढ़ती उष्णकटिबंधीय औ