* बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएं मार्ग में वर्षा करते हुए जब राजस्थान में प्रवेश करती है तो उनमें विद्यमान आर्द्रता की मात्रा कम होती है। * राज्य में वर्षा की मात्रा दक्षिण-पूर्व व पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है। * अरब सागर से आने वाले मानसूनी हवाओं के लिए अरावली पर्वतमाला की दिशा समान्तर होने के कारण यह उन्हें रोक नहीं पाती है। जिससे ये राजस्थान में बहुत कम वर्षा करके निकल जाती है। * अरब सागर से आने वाले मानसूनी हवाओं से राज्य के दक्षिणी जिलों में पर्याप्त वर्षा हो जाती है। * राज्य में होने वाली कुल वर्षा का लगभग 34 प्रतिशत वर्षा जुलाई माह में तथा 33 प्रतिशत वर्षा अगस्त माह में होती है। * राज्य में वार्षिक वर्षा का औसत 57 सेमी है जिसका वितरण 10 से 100 सेमी के मध्य है। * राज्य में वर्षा का समय तथा मात्रा अनिश्चिता के साथ ही वर्षा का वितरण भी असमान है। यह इस प्रकार है- 1. सबसे न्यूनतम वर्षा 10 सेमी से भी कम पश्चिमी भाग (जैसलमेर के उत्तर पश्चिमी भाग) में होती है। 2. सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ है। इस जिले में लगभग 100 सेमी वर्षा होती है। 3. अर
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