पृष्ठभूमि- राजस्थान में प्राचीन काल से ही भूमि, कृषि तथा इनके प्रशासन का प्रचलन रहा है। भारत में सदा से ही कृषि-भूमि और कृषक ही सर्वोपरि रहा है। यही कारण है कि भारत में विभिन्न शासकों ने भू-राजस्व व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक और कानूनी प्रावधान बनाये थे। अंग्रेजों ने भी ईस्ट इंडिया कम्पनी के माध्यम से भारतवर्ष में अपने शासन की जड़ें जमाने के लिए एक प्रभावी प्रशासनिक संस्था के रूप में राजस्व-मण्डल (Board of Revenue ) की स्थापना की, जिसका अनुसरण सभी देशी रियासतों ने किसी न किसी रूप में किया। अंग्रेजों द्वारा स्थापित राजस्व मण्डल के भू-राजस्व प्रशासन की विशेषताएं इसे मुगलों के भू-राजस्व प्रशासन से पृथक करती है। इसमें मुख्य अंतर यह था कि अंग्रेजी भू-राजस्व प्रशासन विभिन्न्ा मण्डलों (Boards ) के माध्यम से ही संचालित होता था। यह उनका अदभुत एवं सफल प्रशासनिक प्रयोग था। इसकी सफलता को देखते हुए ही स्वतंत्रता-प्राप्ति एवं रियासती एकीकरण के बाद भी इसे बनाए रखना आवश्यक समझा गया। पिण्डारी युद्वों तथा मराठों के आक्रमणों से बचने के लिए राजपूताना की विभिन्न देशी
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